यूपी के इस जिले में जमीन की उर्वरक क्षमता हुई खत्म खेती करना हुआ मुश्किल
यूपी के इस जिले में जमीन की उर्वरक क्षमता हुई खत्म खेती करना हुआ मुश्किल
Banda News: बुंदेलखंड के बांदा समेत 7 जिलों में ज्यादा रसायनिक खादों के प्रयोग से कृषि उर्वरकता क्षमता खत्म होती जा रही है. ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों से ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद प्रयोग करने की अपील की है.
बांदा: बुंदेलखंड के बांदा सहित 7 जनपदों के खेती की कृषि उर्वरता खत्म होती जा रही है. उपजाऊ बनाने वाले पोषक तत्व नाइट्रोजन और फास्फोरस अब गहराई में चले गए हैं, किसानों के लिए यह चिंता का विषय बन गया है. पहले यहां की मिट्टी के ऊपरी सतह से कुछ नीचे पोशक तत्व मिलते थे, लेकिन अब वह 1 मीटर नीचे चले गए हैं, जिसमे अब भविष्य में खेती करने में संकट आ सकता है.
रासायनिक खादों से होने वाले नुकसान
बता दें कि बुंदेलखंड की खेती में सबसे ज्यादा रासायनिक खादों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे उसकी उर्वरक क्षमता खत्म होती जा रही है, किसान और कृषि वैज्ञानिक इसको लेकर परेशान हैं. जहां मिट्टी की उर्वरा बचाने को कृषि विश्वविद्यालय भी शोध कर रहा है.
मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी चिंता का विषय
2023 में मिट्टी परीक्षण विभाग के अनुसार 7 जनपदों बांदा, झांसी, ललितपुर, जालौन, महोबा, हमीरपुर और चित्रकूट में 22,559 किसानों के खेतो की मिट्टी में पाए जाने वाले 16 प्रकार के पोषक तत्वों की जांच की गई.
जहां परिक्षण में आया की खेतों में 2 महत्वपूर्ण पोषक तत्व नाइट्रोजन और फॉस्फोरस तेजी से घट रहा है, मृदा परीक्षण करने वाले विभाग के अनुसार, मिट्टी में नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर उच्च स्तर 0.80 से घटकर अति न्यून स्तर 0.20 और फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर 40.0 से घटकर 10.0 स्तर पर पहुंच गया है.
कृषि अधिकारी ने किसानों को दी एडवाइजरी
वहीं, उप कृषि निदेशक डॉ. विजय कुमार ने बताया कि बांदा में पोटाश का स्तर बहुत अच्छा नहीं है, पहले जैविक खादों के प्रयोग से प्रति हेक्टेयर गेहूं की उपज 12 कुंतल थी, जो अब रासायनिक खादों की वजह से वह 8 कुंतल रह गई है, किसानों से हमारी अपील है कि जैविक खाद का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें.
Tags: Agriculture, Banda News, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 11:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed