झारखंड में बेदर्द बना मॉनसून तो सरकार बन रही हमदर्द किसानों की राहत के लिए 18 को बैठक
झारखंड में बेदर्द बना मॉनसून तो सरकार बन रही हमदर्द किसानों की राहत के लिए 18 को बैठक
Weak Monsoon: झारखंड के किसान इस वक्त मॉनसून की मार से बेहाल हैं. कमजोर मॉनसून ने राज्य के किसानों की कमर तोड़ दी है. समय पर बारिश नहीं होने की वजह से धान या मक्का की फसल की रोपाई नहीं हो पाई है. राज्य के 24 जिलों में से सिर्फ दो जिले ईस्ट सिंहभूम और वेस्ट सिंहभूम में बारिश का प्रतिशत औसत के आसपास है. जबकि बाकी 22 जिलों का हाल बेहाल है.
हाइलाइट्सझारखंड राज्य फसल राहत योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद किसानों को जमीन के कागजात के साथ आवेदन करना होगा अनिवार्य. 18 अगस्त को राज्य के मुख्यसचिव सुखदेव सिंह करेंगे सुखाड़ को लेकर महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक.
रांची. झारखंड में कमजोर मॉनसून का असर जिलास्तर पर दर्ज बारिश के आंकड़ों से झलकने लगा है. ईस्ट सिंहभूम और वेस्ट सिंहभूम को छोड़ दें, तो बारिश के आंकड़े विभाग की चिंता बढ़ाने वाले हैं. धान और मक्का की फसल को लेकर विभाग और किसान सबसे ज्यादा चिंतित हैं. हालांकि झारखंड राज्य फसल राहत योजना के तहत अब तक 7 लाख 28 हजार 888 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया है, जबकि आवेदन देने वाले किसानों की संख्या 2 लाख 57 हजार 862 है.
झारखंड के किसान इस वक्त मॉनसून की मार से बेहाल हैं. कमजोर मॉनसून ने राज्य के किसानों की कमर तोड़ दी है. समय पर बारिश नहीं होने की वजह से धान या मक्का की फसल की रोपाई नहीं हो पाई है. राज्य के 24 जिलों में से सिर्फ दो जिले ईस्ट सिंहभूम और वेस्ट सिंहभूम में बारिश का प्रतिशत औसत के आसपास है. जबकि बाकी 22 जिलों का हाल बेहाल है. 1 जून से 17 अगस्त तक बारिश पाकुड़ जिले में औसत से 72 प्रतिशत कम बारिश गोड्डा जिले में औसत से 68 प्रतिशत कम बारिश साहेबगंज जिले में औसत से 68 प्रतिशत कम बारिश जामताड़ा जिले में औसत से 66 प्रतिशत कम बारिश चतरा जिले में औसत से 62 प्रतिशत कम बारिश देवघर जिले में औसत से 56 प्रतिशत कम बारिश गढ़वा जिले में औसत से 56 प्रतिशत कम बारिश पलामू जिले में औसत से 52 प्रतिशत कम बारिश बाकी बचे जिलों में भी औसत से 20 से लेकर 49 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है
किसानों की हालत पस्त
समय पर बारिश नहीं होने से किसानों के खेत परती पड़े हैं. कुछ एक जिलों में इस वक्त भी रोपा का काम चल रहा है. खेत में पानी जमा होते ही गांव के लोग अपने परिवार के साथ खेत में उतर गए हैं. हालांकि वे मॉनसून की मार की वजह से इस बार पस्त दिख रहे हैं. राहत योजनाओं का पता नहीं
बुधनी कहती है कि क्या करें बाबू बारिश ने इस बार धोखा दे दिया. अब जो बचा है उसी में रोपा कर रहे हैं. उम्र के इस पड़ाव में ज्यादा काम भी नहीं हो पाता है. सरकार क्या कर रही है, कौन सी योजना शुरू की – इसके बारे में कुछ भी नहीं जानती. कोई बताने भी अब तक गांव नहीं पहुंचा. राहत योजना शुरू
मॉनसून की बेरुखी भांपते हुए इस बार सरकार ने 21 जुलाई को झारखंड राज्य फसल राहत योजना की शुरुआत की. अब तक इस योजना को पाने के लिए 7 लाख 28 हजार 888 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है. हालांकि योजना का लाभ लेने के लिए आवेदकों की संख्या 2 लाख 57 हजार 862 तक ही पहुंच पाई है. ऐसे लें झारखंड राज्य फसल राहत योजना का लाभ योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी रजिस्ट्रेशन के बाद जमीन के कागजात के साथ आवेदन किसानों के आवेदन की 5 स्तर पर समीक्षा और फिर निबटारा धान और मक्का की फसल की बर्बादी पर योजना का लाभ फसल बर्बादी का आकलन पंचायत स्तर पर करने का निर्णय 30 से 50 प्रतिशत तक फसल बर्बाद होने पर प्रति एकड़ 3 हजार रुपया 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल बर्बाद होने पर प्रति एकड़ 4 हजार रुपया किसान को 5 एकड़ तक फसल की बर्बादी पर योजना का लाभ
लाभ लेने के लिए हुए रजिस्ट्रेशन गढ़वा जिले के 1 लाख 3 हजार 689 किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन गुमला जिले के 81 हजार 692 किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन गिरिडीह जिले के 68 हजार 420 किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन साहेबगंज जिले में सबसे कम 616 किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन वेस्ट सिंहभूम में 1 हजार 101 किसानों ने कराया है रजिस्ट्रेशन
झारखंड की राजनीति गर्माई
किसानों को राहत पहुंचाने और राहत देने के मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति गर्म है. सत्ता पक्ष जहां सरकार और विभाग के उठाए कदमों से सहमत है, वहीं सरकार को राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी घेरने में जुटी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के अनुसार, सरकार किसानों के मामले में संजिदा है. आम जनता की शिकायत पर विभागीय मंत्री को भी प्रदेश प्रभारी ने आवश्यक दिशा निर्देश दिया है. इधर किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अर्जुन सिंह के मुताबिक, सरकार कान में तेल डाल कर सो रही है. किसान मोर्चा ने किसानों के साथ-साथ सुखाड़ की स्थिति में मवेशियों के चारा को लेकर भी आवाज बुलंद की है. राज्यभर में इस मुद्दे पर आंदोलन हो चुका है. फिर सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया. बीते साल का मुआवजा लापता
झारखंड में साल 2018 – 2019 में राज्य के 129 जिलों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित किए गए थे, पर किसानों को किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिला. इस बार पंचायत स्तर पर सुखाड़ की समीक्षा शुरू हो गई है. अब देखना है कि गुरुवार को होने वाली मुख्य सचिव सचिव की बैठक में क्या कुछ निर्णय लिया जाता है.
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Tags: Drought, Jharkhand news, MonsoonFIRST PUBLISHED : August 18, 2022, 00:00 IST