माता-पिता के अटपटे व्यवहार से बिगड़ रहे बच्चे चिकित्सक के पास आ रहे मामले

Moradabad Psychologist Doctor: आजकल के बच्चों को समझना बहुत कठिन हो गया है. मुरादाबाद मंडलीय अस्पताल के डाक्टर ने बच्चों के व्यवहार का बदलने का कारण माता-पिता के व्यवहार से जोड़कर देख रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जैसे-जैसे बच्चे देख रहे हैं, वह ऐसा ही सीखने की कोशिश कर रहे हैं.

माता-पिता के अटपटे व्यवहार से बिगड़ रहे बच्चे चिकित्सक के पास आ रहे मामले
पीयूष शर्मा/मुरादाबादः आज-कल के बच्चों को समझना काफी मुश्किल हो रहा है. इसके लिए जिम्मेदार कहीं न कहीं अभिभावक भी हैं. उनका अटपटा व्यवहार बच्चे को कम उम्र में ही चिड़चिड़ा बना रहा है. मुरादाबाद में कई मामले ऐसे आए हैं. जिनमें अभिभावकों के अटपटे व्यवहार से उनका बच्चा बिगड़ा है. इस स्थिति को मनोवैज्ञानिक भी बड़ा खतरा मान रहे हैं. बच्चे हो रहे हैं गुस्सैल मां-बाप का बच्चों के बीच कड़ी भाषा के प्रयोग, धमकी भरा रवैया अपनाने आदि से बच्चों के मन को प्रभावित कर रहे हैं. अभिभावकों के ऐसे व्यवहार से बच्चों की पर्सनैलिटी पर गहरा असर पड़ रहा है. मां-बाप के कड़े व्यवहार से प्रभावित बच्चे डरे-सहमे या फिर गुस्सैल होते दिख रहे हैं. हाल के दिनों में इस तरह के मामले मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र पहुंचने के बाद काउंसलर हैरत में पड़ गए है.  जहां काउंसिलिंग में पाया गया कि बच्चों का इस तरह के व्यवहार का कारण अभिभावकों का बच्चों के प्रति रवैया ही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि बच्चे की पर्सनैलिटी और उसका भविष्य माता-पिता तथा उनकी भाषा ही तय करती है. अभिभावकों की भाषा का असर पड़ रहा बच्चों पर बच्चे में कितना कॉन्फिडेंस होगा या उसकी सीखने की क्षमता क्या होगी? वह कितना प्रोडक्टिव और सिक्योर होगा. यह अभिभावकों की भाषा और उनका व्यवहार ही तय करता है. जहां माता-पिता आपस में गुस्से में जिन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. वही भाषा बच्चे सीख रहे हैं और बाद में बच्चों का व्यवहार अभिभावकों को खराब लगने लगता है. मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना काल के बाद से बच्चों के ऐसे अजब- गजब मामले सामने आ रहे हैं. हाल के तीन महीने में बारह से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. बच्चों के अजीब व्यवहार के पीछे परिवार की भूमिका मुरादाबाद मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र ने हाल के 3 महीने में 12 से अधिक व्यवहारगत समस्याओं से संबंधित बच्चों की काउंसिलिंग की है. अधिकाश केस में उनके ऐसे व्यवहार के पीछे पारिवारिक भूमिका पाई गई. साथ ही कहा कि इसमें सुधार की बहुत जरूरत है. मनोविश्लेषक डॉक्टर ने बताया हिंदू कॉलेज की मनोविश्लेषक कैप्टन डॉक्टर मीनू मेहरोत्रा ने बताया कि वर्तमान समय में बच्चों के व्यवहारों में आए परिवर्तन जहां उनके विकास श्रृंखला और हारमोंस में बदलाव के कारण होते हैं. वहीं, दूसरा प्रभाव माता-पिता के दैनिक व्यवहार से जुडा हुआ होता है. यदि अभिभावक स्वयं अवसाद, चिंताग्रस्त हैं तो उसका पारिवारिक व्यवहार दोषपूर्ण हो जाता है. ऐसी स्थिति से बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य नकारात्मक प्रभाव में आ जाता है. मंडलीय अस्पताल के डॉक्टर ने बताया मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. कुमार मंगलम सारस्वत ने बताया कि अभिभावकों के लडाई-झगड़े, तनाव आक्रामक व्यवहार का बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. शांत, सुखद वातावरण में रहने वाले बच्चे का व्यवहार आक्रामक, अराजक और टॉक्सिक एनवायरनमेंट के बच्चे के व्यवहार से भिन्न होगा. यह ध्यान रखने योग्य बात है कि बच्चा बचपन में जो कुछ सीखता है और अपने व्यवहार में उतारता है. सामान्यतया जीवन भर वह उसके व्यवहार में परिलक्षित होता रहता है. FIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 11:49 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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