मौर्य कुर्मी और दलित UP बीजेपी चीफ ने आलाकमान को गिना दी खराब हाल की वजह
मौर्य कुर्मी और दलित UP बीजेपी चीफ ने आलाकमान को गिना दी खराब हाल की वजह
यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है. सूत्रों ने बताया कि उन्होंने 15 पन्नों की एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे के कारण गिनाए हैं.
उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी बीजेपी को लेकर पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में खासी हलचल देखी जा रही. बीजेपी के उत्तर प्रदेश प्रमुख भूपेंद्र चौधरी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य यहां दिल्ली आकर केंद्र नेतृत्व से मिलते देखे गए. मौर्य और चौधरी ने पहले सोमवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है, फिर भूपेंद्र चौधरी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है. सूत्रों ने बताया कि राज्य इकाई ने 15 पन्नों का एक दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे के कारण गिनाए गए हैं.
सूत्रों के मुताबिक, भूपेंद्र चौधरी ने शीर्ष नेतृत्व को बताया, ‘राज्य में सभी छह मंडलों में बीजेपी के कुल वोट में 8 प्रतिशत गिरावट आई है.’ बीजेपी यूपी को मुख्य रूप से छह क्षेत्रों में विभाजित करती है- पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, गोरखपुर और काशी… सूत्र ने न्यूज18 को बताया, ‘रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस बार कुर्मी और मौर्य जातियां भाजपा से दूर चली गईं और पार्टी केवल एक तिहाई दलित वोट हासिल करने में सफल रही.’ इसके साथ ही बसपा के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की गिरावट कांग्रेस और राज्य में उसके गठबंधन सहयोगियों के लिए फायदेमंद साबित हुई.
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यूपी बीजेपी की रिपोर्ट में क्या-क्या बात
न्यूज18 को इस रिपोर्ट का एक कॉपी मिली है, जिसमें बीजेपी की परेशानी के कारणों और उनके संभावित समाधान के बारे में बताया गया है, जो देश के सबसे बड़े राज्य में भगवा पार्टी की मदद कर सकता है.
सूत्र ने कहा, ‘पार्टी की हार के लिए जिम्मेदार बताए गए सबसे अहम कारणों में से एक यह था कि प्रशासन पार्टी और सरकार पर हावी होता दिख रहा है. कई मुद्दों पर नौकरशाही और पुलिस का दखल जनता और सबसे खास तौर से बीजेपी समर्थकों को पसंद नहीं आया. गठबंधन के कुछ सहयोगियों ने भी इस ओर इशारा किया.’
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के शीर्ष नेताओं के रवैये ने पार्टी के कट्टर कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित और असंतुष्ट कर दिया, लेकिन उनकी शिकायतों या चिंताओं को सुनने के लिए कोई तंत्र नहीं था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पार्टी ने टिकटों की घोषणा बहुत पहले कर दी, जिससे पार्टी का अभियान दूसरे दलों के मुलाबले बहुत पहले चरम पर पहुंच गया और फिर चुनाव के वक्त कार्यकर्ता थक गए.
सात चरण का चुनाव पड़ा भारी
सूत्र ने कहा, “यह एक ऐसा राज्य था, जहां सात चरणों में चुनाव हुए और जब यह आखिरी कुछ चरणों तक पहुंचा, तो कार्यकर्ताओं में हताशा छा गई.’ राज्य में भाजपा की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने वाली बात यह थी कि अगर पार्टी 400 का आंकड़ा पार करती है, तो संविधान में बदलाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गलत समय पर बयान दिए गए- विपक्ष द्वारा फैलाई गई यह कहानी, जिसे भाजपा चुनौती देने में असमर्थ थी. इसके अलावा, राज्य में पेपर लीक और बेरोजगारी से लोगों खासे नाराज थे.’
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सूत्र ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, लोगों के सामने यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार पेपर लीक को रोकने या प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करने में सक्षम नहीं थी. इसलिए, नौकरी न मिलना युवाओं के बीच चिंता का विषय थी.’ पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य मुद्दों में से एक यह था कि करीब 30,000-40,000 कट्टर भाजपा समर्थकों के नाम कई सीटों पर मतदाता सूची से गायब थे.
एक सूत्र ने शीर्ष अधिकारियों के साथ चर्चा के बारे में jharkhabar.com को बताया, ‘टकराव को अलग रखना होगा और महत्वपूर्ण मामलों पर आम सहमति बनाना महत्वपूर्ण है. 2027 में अगले विधानसभा चुनाव से पहले हमारे पास बहुत कम समय है, इसलिए सामूहिक जिम्मेदारी लेना समय की मांग है. इसके लिए पूरी इकाई को अपनी कमर कस लेनी चाहिए.’
50 हजार लोगों से बात कर तैयार की रिपोर्ट
jharkhabar.com को पता चला है कि स्टेट यूनिट ने उत्तर प्रदेश भर में 50,000 से अधिक लोगों से बात करके रिपोर्ट तैयार की है. जिन लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, उनसे शीर्ष और निचले स्तर के नेताओं ने एक-एक करके मुलाकात की. वहीं आने वाले दिनों में मौर्य और चौधरी की तरह ही राज्य के कुछ दूसरे नेताओं को भी अपनी प्रतिक्रिया साझा करने के लिए दिल्ली आने के लिए कहा जाएगा। इसमें बृजेश पाठक और योगी आदित्यनाथ शामिल हैं.
पश्चिमी यूपी और काशी में सबसे ज्यादा नुकसान
हाल के लोकसभा चुनावों में, समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 37 सीटें जीतीं, जो 2019 में पांच थीं. इस बीच, भाजपा 2019 के चुनावों में 62 सीटों से घटकर 33 सीटों पर आ गई. भगवा पार्टी के क्षेत्रवार प्रदर्शन से पता चलता है कि उसे पश्चिमी यूपी और काशी बेल्ट में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 28 सीटों में से वह केवल आठ ही जीत पाई.
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर बेल्ट की 13 में से केवल छह सीटें भगवा दल के खाते में आईं. वहीं अवध क्षेत्र में भाजपा 16 में से केवल सात सीटें ही जीत पाई. इसी तरह बुंदेलखंड में उसे 10 में से केवल चार सीटें मिलीं.
ऐसे में मौजूदा समस्याओं को ध्यान में रखते हुए और सभी को खुश करने वाला समाधान निकालना उस पार्टी के लिए पहली अग्नि परीक्षा होगी, जिसने पिछले दो कार्यकालों से यूपी में अपना दबदबा बनाए रखा है और जिसकी केंद्र में तीसरी बार सरकार बनी है. सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि आगामी विधानसभा उपचुनावों में भाजपा कैसा प्रदर्शन करती है. यूपी में जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनके लिए आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य इकाई ने दो-तीन मंत्रियों की सेवाएं ली हैं.
Tags: Amit shah, Lok sabha, PM Modi, UP BJP, Yogi AdityananthFIRST PUBLISHED : July 18, 2024, 09:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed