राष्ट्रपति और होम म‍िन‍िस्‍ट्रर से म‍िले बंगाल के राज्‍यपाल क्‍या है धारा 356

कोलकाता आर जी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदा बोस दिल्ली में हैं. वे यहां गृहमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात कर रहे हैं. राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यों में होते हैं और वहां की स्थिति पर उनकी रिपोर्ट को ही केंद्र अहमियत देता है.

राष्ट्रपति और होम म‍िन‍िस्‍ट्रर से म‍िले बंगाल के राज्‍यपाल क्‍या है धारा 356
पश्चिम बंगाल के गवर्नर डॉ सीवी आनंदा बोस दिल्ली में हैं. होम मिनिस्टर और राष्ट्रपति से मुलाकात कर रहे हैं. वैसे तो लॉट साहब कभी भी राष्ट्पति और गृहमंत्री से मिल सकते हैं लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल के रिश्ते सभी को पता हैं. खासकर अभी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के मर्डर और रेप और बाद की घटनाओं के मद्दनजर उनकी दिल्ली यात्रा बहुत अहम मानी जा रही है. केंद्र के प्रतिनिधि होते हैं राज्यपाल कहने की जरुरत नहीं है कि राज्यपाल राज्यों में केंद्र के प्रतिनिधि होते हैं. राज्य सरकार अगर किसी तरह से राज्य में स्थितियां सामान्य नहीं रख पाती तो वे गृह मंत्रालाय के जरिए अपनी रिपोर्ट केंद्र को भेजते हैं. यहां खुद राज्यपाल ही दिल्ली चले आए हैं. पता चला है कि मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने कोलकाता की घटना और वहां की स्थितियों पर पर भी चर्चा की. ये मुलाकात करीब बीस मिनट चली. राष्ट्रपति के अलावा डॉक्टर बोस गृहमंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से भी मुलाकात कर रहे हैं. जाहिर है इन दोनों से भी कोलकाता की स्थिति पर चर्चा होगी. स्वास्थ्य मंत्री से खासतौर पर डॉक्टरों की सुरक्षा पर चर्चा होगी ही. केंद्र की बीजेपी सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार के बीच तल्खी कई बार सामने आ चुकी है.  गृह मंत्रालय को रिपोर्ट देते हैं केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल केंद्र सरकार को हर तरह की जानकारी मुहैया करते हैं. उनकी ही रिपोर्ट पर केंद्र सरकार राष्ट्रपति से धारा 356 के तहत राज्य सरकारों को बर्खास्त करने की सिफारिश करती है. राष्ट्रपति अलग अलग परिस्थितियों में संविधान की इसी धारा के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करके राज्य सरकार को बर्खास्त करते हैं. संविधान की धारा 356  राष्ट्रपति जिन परिस्थितियों में अपने 356 के अधिकारों का प्रयोग करते हैं उनमें राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होना भी शामिल है. ये राज्यपाल के विवेक पर है कि वे कब राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति इस तरह से खराब समझते हैं, जब राष्ट्रपति शासन की जरुरत हो. वे अपनी रिपोर्ट होम मिनिस्ट्री को भेजतें हैं. उनकी रिपोर्ट पर राय बना कर गृहमंत्रालय उसे केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सिफारिश के तौर पर राष्ट्रपति को भेजते हैं. अभी तक राष्ट्रपति धारा 356 का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर ही करते हैं. कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या और रेप के बाद जिस तरह से प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया और अस्पताल में तोड़ फोड़ की गई उसे लेकर राजनीतिक गलियारों में गंभीर चिंता जताई गई है. ये भी पढ़ें : ‘वाम और राम का काम’, फिर यूपी हाथरस का नाम, कौन भटक रहा है, कौन भटका रहा है ममता दीदी!  संविधान की धारा 355  याद दिला दें कि संविधान में 356 जैसी व्यवस्था दुनिया के दो ही देशों में है. भारत के अलावा पाकिस्तान में ही राज्य सरकार को भंग करने की ये व्यवस्था दी गई है. इसे भारत सरकार अधिनियम 1935 की धारा 93 से लिया गया माना जाता है. ये भी रोचक है उस समय भारत के तकरीबन सभी नेताओं ने इसका विरोध किया था. खैर संविधान लागू होने पर इसे जरूरी माना गया. संविधान की धारा 355 के तहत संघ की सरकार का ये दायित्व है कि वे राज्यों की किसी भी बाहरी हमले से सुरक्षा करे. साथ ही इसी धारा से केंद्र को ये अख्तियार मिलता है कि वो ये सुनिश्चित करे कि राज्य की सरकारें कानून व्यवस्था का पालन करा रही हैं. बाद में संशोधन के जरिए केंद्र ये भी अधिकार मिला कि वो कुछ खास क्षेत्रों को नियंत्रित कर सके. Tags: Home Minister Amit Shah, Mamta Banarjee, President Draupadi MurmuFIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 12:25 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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