नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को उस वक्त सभी हैरानी में पड़ गए, जब भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने एक वकील को अदालत से बाहर करने की चेतावनी दे डाली. दरअसल, उस वकील ने एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के सिलसिले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पद से हटाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिका को खारिज करते हुए वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उसने इस मुद्दे को राजनीतिक प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल किया, तो उसे अदालत से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. सीजेआई चंद्रचूड़ ने सख्त लहजे में कहा, “यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है. आप बार के सदस्य हैं. हम जो कहते हैं, उस पर हमें आपकी पुष्टि की जरूरत नहीं है. आप जो कहते हैं उसे कानूनी नियमों का पालन करना होगा.”
सीजेआई ने आगे कहा, “हम यहां यह देखने के लिए नहीं हैं कि आप एक राजनीतिक पदाधिकारी के लिए क्या महसूस करते हैं. आपका अंतरिम आवेदन हमारा अधिकार नहीं है. देखिए, मुझे खेद है, अन्यथा मैं आपको इस अदालत से हटा दूंगा.” भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी इसमें शामिल हुए और पीठ के सामने कहा कि “यह प्लेटफॉर्म ऐसी याचिकाओं के लिए नहीं है”.
सुप्रीम कोर्ट 31 साल की रेजिडेंट डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के संबंध में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृत पाई गई थी. इस दौरान कोर्ट ने राज्य में मेडिकल कॉलेजों/अस्पतालों में सुरक्षा उपायों को लागू करने की धीमी गति पर चिंता जाहिर की.
Tags: Junior Doctors Strike, Mamata banerjee, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 20:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed