कोर्ट यदि तस्वीरों के आधार पर धारणा बनाती है तो जल्लीकट्टू खतरनाक माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट यदि तस्वीरों के आधार पर धारणा बनाती है तो जल्लीकट्टू खतरनाक माना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
‘जल्लीकट्टू’ (Jallikattu) की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के एक कानून को दी गई चुनौती पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि यदि कोर्ट उसके समक्ष पेश की गई तस्वीरों के आधार पर कोई धारणा बनाता है तो यह बहुत खतरनाक स्थिति होगी.
नई दिल्ली. ‘जल्लीकट्टू’ की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के एक कानून को दी गई चुनौती पर सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि यदि शीर्ष अदालत उसके समक्ष पेश की गई तस्वीरों के आधार पर कोई धारणा बनाता है तो यह बहुत खतरनाक स्थिति होगी. सांड को काबू करने के इस खेल के दौरान बरती जाने वाली कथित निर्ममता का चित्रण करने के लिए कुछ याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष ये तस्वीरें पेश की हैं. जल्लीकट्टू खेल का आयोजन फसल कटाई के उत्सव पोंगल के अवसर पर तमिलनाडु में किया जाता है.
न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है कि जानवरों से निर्ममता की रोकथाम (पीसीए) अधिनियम,1960 में संशोधन के जरिये राष्ट्रपति की मंजूरी से शामिल प्रावधान गलत कानून है क्योंकि तस्वीरें ऐसा बयां करती हैं. पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार शामिल हैं. पीठ ने सवाल किया, ‘इन तस्वीरों के आधार पर क्या हम कह सकते हैं, या क्या हम स्वीकार कर सकते हैं कि कानून गलत है? क्या हम आपके द्वारा हमें दिखाई गई इन तस्वीरों के आधार पर कोई धारणा बना सकते हैं?’
जल्लीकट्टू के बारे में दलील देने के लिए खबरों और तस्वीरों का हवाला दिया कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शिवम दीवान ने जल्लीकट्टू के बारे में दलील देने के लिए खबरों और तस्वीरों का हवाला दिया, जिस पर शीर्ष न्यायालय की यह टिप्पणी आई है. दीवान ने जल्लीकट्टू के दौरान विभिन्न जिलों में मानव और सांड की जान जाने तथा उनके घायल होने के बारे में मीडिया में आई खबरों का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार की ओर से दी गई दलीलों के उलट कार्यक्रम के दौरान इस खेल में हिस्सा लेने वाले कई व्यक्ति सांड पर झपटते हुए हमला करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं अत्यधिक निर्ममता का जिक्र कर रहा हूं.’
जानवरों से निर्ममता की रोकथाम अधिनियम 2017 की वैधता पर भी सुनवाई की तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘जीवन के हर क्षेत्र में लोगों की जान जाती है. सड़क पर वाहन चलाते समय, आप लापरवाही से वाहन नहीं चला सकते. किसी की मौत हो सकती है. कोई ट्रक पलट सकता है. कुछ इमारतें गिर सकती हैं. कुछ पुल गिर सकते हैं.’ इस पर पीठ ने कहा, ‘जल्लीकट्टू के संदर्भ में सरकार इस तरह की चीजें होने दे रही है. सरकार सक्रियता से इसे बढ़ावा दे रही है’ विषय पर दलील बृहस्पतिवार को भी पेश की जाएगी. पीठ ने जानवरों से निर्ममता की रोकथाम (कनार्टक द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2017 की वैधता पर भी सुनवाई की, जो राज्य में भैंसों की दौड़ ‘कंबाला’ की अनुमति देता है.
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Tags: Jallikattu, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : December 07, 2022, 23:42 IST