मशीन है या जादू 1 घंटे में साफ कर देगा10 एकड़ खेत से धान की पराली!

अवतार सिंह ने बताया कि अगर खेत समतल है तो रैकर आसानी से काम कर सकता है, लेकिन अगर खेत में उबड़-खाबड़ जगह है, तो रैकर को काम करने में मुश्किल होगी. आमतौर पर, एक घंटे में एक रैकर 8 से 10 एकड़ तक के क्षेत्रफल की पराली इकट्ठा कर सकता है.

मशीन है या जादू 1 घंटे में साफ कर देगा10 एकड़ खेत से धान की पराली!
शाहजहांपुर : एनजीटी के आदेशों के बाद पराली जलाने पर रोक लगा दी गई. जिसके बाद किसानों के लिए पराली बड़ी समस्या के तौर पर देखी जाने लगी, लेकिन अब पराली किसानों के लिए समस्या नहीं बल्कि अतिरिक्त आमदनी का स्रोत बन गई है. बहुत से ऐसे मशीन आ रहे हैं, जिनकी मदद से पराली को गट्ठर बनाकर बेचा जा सकता है. ऐसी ही एक कृषि मशीन है रैकर, जो धान की फसल कटने के बाद पराली को लाइनों में इकट्ठा करता है. उसके बाद बेलर की मदद से पराली से गट्ठर बना दिया जाता है. कृषि यंत्र एक्सपर्ट अवतार सिंह ने बताया कि रैकर, पराली इकट्ठा करने वाला बेहद उपयोगी कृषि यंत्र है. जिसका उपयोग खेतों में कटाई के बाद बचे हुए पराली को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है. यह यंत्र किसानों के लिए बेहद ही उपयोगी है. रैकर में लगे हुए दांतों या टाइन की मदद से पराली को जमीन से उठाया जाता है और एक लाइन में इक्कठा किया जाता है. लाइनों में एकत्र हुई पराली को बेलर से उठाया जाता है. रैकर का ऐसे करें इस्तेमाल अवतार सिंह ने बताया कि रैकर कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि रोटरी रैकर और रेक रैकर. हर प्रकार के रैकर की अपनी अलग विशेषताएं होती हैं. रैकर की मदद से पराली को आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है. खेत को साफ-सुथरा रखने में मदद मिलती है. पराली को जलाने से प्रदूषण होता है. रैकर की मदद से पराली को जलाने के बजाय अन्य तरीकों से इसका उपयोग किया जा सकता है. पराली को खाद बनाने या बायोगैस बनाने में में इस्तेमाल किया जा सकता है. पराली को खेत में गला देने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने में मदद मिलती है. 1 घंटे में 10 एकड़ खेत कर देगा साफ अवतार सिंह ने बताया कि अगर खेत समतल है तो रैकर आसानी से काम कर सकता है, लेकिन अगर खेत में उबड़-खाबड़ जगह है, तो रैकर को काम करने में मुश्किल होगी. आमतौर पर, एक घंटे में एक रैकर 8 से 10 एकड़ तक के क्षेत्रफल की पराली इकट्ठा कर सकता है. रैकर को चलाने के लिए 25 से 30 हॉर्स पावर ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है. बेलर का ये है काम अवतार सिंह ने बताया कि बेलर पहले पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटता है. फिर, यह कटी हुई पराली को एक चैम्बर में एकत्र करता है. एक निश्चित मात्रा में पराली एकत्र करने के बाद, बेलर उसे एक मजबूत रस्सी या तार से बांधकर एक गठ्ठा बना देता है. अंत में, यह गठ्ठा चैम्बर से बाहर निकाल दिया जाता है. बेलर चलाने से पहले रैकर का इस्तेमाल किया जाता है. 80 % की मिलेगी सब्सिडी अवतार सिंह ने बताया कि बेलर या रैकर खरीदने पर सरकार द्वारा 50% से 80% तक की सब्सिडी दी जाती है. बेलर की कीमत करीब 17 लाख रुपए और रैकर की कीमत 4 लाख रुपए है. यह अलग-अलग कंपनी और अलग-अलग क्षमता के हिसाब से इनके रेट कम और ज्यादा भी हो सकते हैं. Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 18:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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