समंदर के अंदर से ही दुश्मनों को खामोश कर देगा भारत एक और न्यूक्लियर सबमरीन
समंदर के अंदर से ही दुश्मनों को खामोश कर देगा भारत एक और न्यूक्लियर सबमरीन
India Nuclear Submarine: भारत अपने न्यूक्लियर सबमरीन के जखीरे में लगातार इजाफा कर रहा है. वह समंदर से आने वाले दुश्मनों को कतई बख्शने के मूड में नहीं है. आने वाले समय में भारत को दो और ताकतवर न्यूक्लियर सबमरीन मिलने वाले हैं.
नई दिल्ली. समंदर के रास्ते आने वाले दुश्मनों को अब भारत वहीं दफ्न कर देगा क्योंकि वह एक के बाद एक न्यूक्लियर सबमरीन को लॉन्च कर रहा है. हिंद-प्रशांत में चीन की दादागिरी को भी इससे रोकने में मदद मिलेगी. भारत ने कनाडा के साथ चल रहे कूटनीतिक विवाद के बीच इस सप्ताह विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर (एसबीसी) में अपनी चौथी न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) को लॉन्च किया है. यह कदम भारत की परमाणु ताकत को अपने दुश्मनों के खिलाफ मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है.
भारत की दूसरी एसएसबीएन आईएनएस अरिघाट को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 29 अगस्त 2024 को कमीशन किया गया था, जबकि तीसरी एसएसबीएन आईएनएस अरिधमन अगले साल कमीशन की जाएगी. 9 अक्टूबर को, कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने इंडियन नेवी के लिए दो न्यूक्लियर पावर्ड अटैक पनडुब्बियों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी, ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दुश्मनों के किसी भी हमले को रोकने में मदद मिल सके.
हालांकि, मोदी सरकार न्यूक्लियर पावर पर खुलकर बात नहीं कर रही है, चौथी एसएसबीएन, जिसका कोडनेम S4 है, का लॉन्च 16 अक्टूबर को किया गया. यह ईवेंट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा तेलंगाना के विकाराबाद जिले के डामागुंडम वन क्षेत्र में वेरि लो फ्रीक्वेंसी नवल स्टेशन का उद्घाटन करने के एक दिन बाद हुआ, जिसका मकसद भारतीय नौसेना के रणनीतिक संपत्तियों के साथ कमांड, कंट्रोल और संचार को मजबूत करना है.
भारत की नई एसएसबीएन S4 में 75% स्वदेशी सामग्री, K-4 मिसाइल से लैस
भारत ने हाल ही में लॉन्च की गई अपनी चौथी न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) S4 में लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया है. यह पनडुब्बी 3,500 किलोमीटर रेंज के K-4 न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है, जिन्हें वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम के माध्यम से दागा जा सकता है. पहली एसएसबीएन आईएनएस अरिहंत में 750 किलोमीटर रेंज के K-15 न्यूक्लियर मिसाइल हैं, जबकि इसके बाद आने वाली पनडुब्बियाँ पहले के K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ एडवांस रूप में हैं.
S4 SSBN की रेंज और शक्ति असीमित है. INS अरिहंत और INS अरिघाट पहले से ही गहरे समुद्री गश्त पर हैं, और 2028 में रूस के अकुला क्लास की एक न्यूक्लियर पावर्ड अटैक पनडुब्बी भी इस बेड़े में शामिल होने वाली है. यह भारत की सामरिक ताकत को और मजबूत करेगा और उसे समुद्री सुरक्षा में सहायता प्रदान करेगा.
Tags: Indian navyFIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 19:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed