वोट के लिए महाराष्ट्र को कंगाल कर देंगे नेता 10 साल में ढाई गुना बढ़ा कर्ज
वोट के लिए महाराष्ट्र को कंगाल कर देंगे नेता 10 साल में ढाई गुना बढ़ा कर्ज
Maharashtra Election: महाराष्ट्र चुनाव में फ्रीबीज या मुफ्त की चीजें एक बड़ा मुद्दा है. शायद जीत हार तय करने में यह बड़ी भूमिका भी निभाएगा. लेकिन क्या आपको पता है कि महायुती और महाविकास अघाड़ी ने जो वादे किए हैं, उन पर खर्च कितना आएगा.
महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए दोनों ही मुख्य गठबंधनों – महायुती और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में लंबे-लंबे वादे करने और ‘मुफ्त की रेवड़ी’ बांटने की होड़ मची हुई है. दोनों ही पक्ष ने जनता से ऐसे-ऐसे वादे कर दिए हैं कि इन्हें पूरा करने पर महाराष्ट्र की बदहाली बढ़नी तय है. राज्य की माली हालत पहले से ही बहुत अच्छी नहीं है.
महाराष्ट्र पर कर्ज का बोझ बीते दस सालों में दोगुने से भी ज्यादा हो गया है. 2014 में राज्य पर 2.94 लाख करोड़ का कर्ज था जो आरबीआई के मुताबिक, 2023 में 7.82 लाख करोड़ रुपये हो गया. हालांकि, सरकार का कहना है कि मार्च 2025 तक कर्ज का आंकड़ा 7.82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचेगा.
महाराष्ट्र नहीं है मालामाल
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने महाराष्ट्र सरकार का खाता-बही खंगालने के बाद हिसाब लगाया है कि राज्य को सात साल में पौने तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है. यह महाराष्ट्र सरकार के ऊपर कुल बकाया कर्ज का करीब 60 फीसदी हिस्सा ही है. सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी की चलते इस अवधि में सरकार को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है. शिंदे सरकार ने सीएजी की यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर दी है. मतलब, सभी नेता राज्य की माली हालत से भली-भांति परिचित हैं.
2024-25 के बजट अनुमान के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार का कुल कर्ज 7,82,991 करोड़ तक जा सकता है. यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 18.35 प्रतिशत होगा. 2022-23 में यह 17.26 प्रतिशत और 2023-24 में 17.59 प्रतिशत था. मतलब कर्ज लगातार बढ़ रहा है.
राजकोषीय घाटा (सरकार की आमदनी और खर्च का अंतर) भी तीन प्रतिशत के मान्य पैमाने से ज्यादा बढ़ चुका है. अफसरों का मानना है कि सरकार कोई नया वित्तीय बोझ उठा पाने की स्थिति में नहीं है. राज्य में 1781.06 करोड़ रुपये खर्च कर स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के खेल मंत्रालय के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय के अफसरों ने साफ लिखा कि राज्य सरकार ‘वित्तीय दबाव’ में है और इस वजह से नया खर्च बढ़ाने की स्थिति में नहीं है. मंत्रालय ने इस दबाव के कारणों में से एक कारण नई योजनाओं की शुरुआत करना भी बताया.
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा था कि महाराष्ट्र सरकार की लड़की बहिन योजना के चलते राज्य सरकार को सब्सिडी का पैसा देने में मुश्किल आ सकती है.
ऐसे तो हो जाएंगे कंगाल
इन परिस्थितियों के बावजूद नेता चुनाव जीतने के लिए अंधाधुंध वादे किए जा रहे हैं. सत्ताधारी भाजपा ने घोषणा की है कि लाडकी बहिन योजना के तहत महिलाओं को 2100 रुपये प्रति महीना दिया जाएगा, किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा, किसानों के लिए सम्मान निधि की राशि 12000 से बढ़ा कर 15000 की जाएगी, 10 लाख छात्रों को 10 हजार रुपये प्रति महीना स्टाइपेंड दिया जाएगा, 25 लाख नौकरियों के अवसर पैदा किए जाएंगे, 2028 तक महाराष्ट्र को एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जाएगा, गरीब परिवारों के लिए अक्षय अन्न योजना के तहत मुफ्त राशन की व्यवस्था की जाएगी, एससी-एसटी व ओबीसी को कारोबार शुरू करने के लिए 15 लाख रुपये तक का कर्ज बिना ब्याज के दिया जाएगा…आदि.
एमवीए के वादे
उधर, विरोधी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस, उद्धव सेना और शरद पवार की एनसीपी) ने ऐलान किया है कि महालक्ष्मी स्कीम के तहत महिलाओं को 3000 रुपये प्रति महीना दिया जाएगा, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा की सुविधा होगी, नौकरी खोज रहे युवाओं को 4000 रुपये प्रति महीना स्टाइपेंड मिलेगा, समय पर कर्ज लौटाने वाले हर किसान को 50000 रुपये दिए जाएंगे, 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा किया जाएगा, मुफ्त दवा दी जाएगी…आदि.
एक योजना पर सबसे ज्यादा खर्च
राज्य में अभी महायुति (भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार वाली एनसीपी का गठबंधन) की सरकार है. इस सरकार ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही लडकी बहिन योजना शुरू कर महिलाओं को 1500 रुपये प्रति महीना देना शुरू किया है. जुलाई से शुरू हुई इस योजना के प्रचार पर ही महज कुछ महीनों में 200 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. महाराष्ट्र सरकार ने इस साल के बजट में खर्च का जो हिसाब लगाया है, उसके मुताबिक किसी एक सेक्टर में इतना पैसा खर्च करने का प्रावधान नहीं है, जितना अकेली इस एक योजना पर खर्च किया जा रहा है. नीचे के आंकड़े से यह स्पष्ट है.
गणित समझिए
महाराष्ट्र में करीब 9.7 करोड़ वोटर्स हैं. महिलाएं 4.7 करोड़ हैं. महायुती सरकार ढाई करोड़ महिलाओं को लडकी बहिन योजना का फायदा देना चाहती है. इस पर अभी ही 46000 करोड़ सालाना खर्च का अनुमान है. अगर दोबारा वह सत्ता में आई और रकम 1500 से बढ़ा कर 2100 रुपये प्रति महीना करने का वादा पूरा किया तो खर्च 63000 करोड़ रुपये पहुंच जाएगा. अगर एमवीए सत्ता में आई और उसने 3000 रुपये प्रति महीना देने का वादा नि निभाया तो 90000 करोड़ रुपये सिर्फ इस एक वादे की कीमत बैठेगी.
महाराष्ट्र की जनता पर नेताओं का वादा बड़ा भारी पड़ेगा. यह सिर्फ एक वादे का हिसाब है. मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के बाकी वादे भी पूरे किए तो अर्थव्यवस्था पर और कितना बोझ पड़ेगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है.
‘दोनों में से किसी गठबंधन ने यह नहीं बताया है कि इन वादों को पूरा करने के लिए पैसों का इंतजाम कहां से होगा. दोनों को उम्मीद है कि ऐसे वादों से जनता उन्हीं की सरकार बनवा देगी.’
वोट पर एकाधिकार की कोशिश
सत्ताधारी पार्टी को तो लगता है कि योजना का लाभ लेने वाली ढाई करोड़ महिलाओं के वोट पर उसका एकाधिकार हो गया है. भाजपा के एक राज्यसभा सांसद धनंजय महादिक पर आरोप है कि उन्होंने कोल्हापुर की एक जनसभा में कहा, ‘कांग्रेस की रैलियों में अगर आपको लडकी बहिन योजना के तहत 1500 रुपये प्रति महीने का लाभ लेने वाली महिला बैठी दिखे तो उनकी तस्वीर ले लो…हम उन्हें देख लेंगे.’
Tags: Devendra Fadnavis, Eknath Shinde, Maharashtra Elections, Rahul gandhi, Sharad pawarFIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 21:02 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed