मालदीव समेत पड़ोसियों को यूं ही नहीं बुलाया मोदी के मन में चल रहा बड़ा प्लान

PM Modi News: श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों को आमंत्रित कर पीएम मोदी ने अपने शपथ वाले दिन दुनिया को कूटनीतिक संदेश दिया. पीएम मोदी ने यह साफ कर दिया कि भारत के लिए पड़ोसी पहले हैं. पीएम मोदी का यह दांव हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की दिशा में है.

मालदीव समेत पड़ोसियों को यूं ही नहीं बुलाया मोदी के मन में चल रहा बड़ा प्लान
नई दिल्ली: हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का दखल बढ़ता जा रहा है. श्रीलंका से लेकर मालदीव तक को वह अपने मायाजाल में फंसा रहा है. मगर भारत भी हिंद महासागर में चीन की हरकतों से अनजान नहीं है. यही वजह है कि पीएम मोदी ने जब तीसरी बार पीएम पद की शपथ ली, तब उन्होंने चीन की चाल को फेल करने का अचूक दांव चला. शपथ ग्रहण के दिन ही पड़ोसियों को साधकर पीएम मोदी ने अपनी बड़ी चाल चल दी. भारत ने श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश समेत पड़ोसी देशों को शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया.  पीएम मोदी ने अपने शपथ वाले दिन ही दुनिया को कूटनीतिक संदेश दिया कि भारत के लिए पड़ोसी पहले हैं. पीएम मोदी का यह दांव हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की दिशा में है. दरअसल, भाजपा के नेतृत्व में रविवार को एनडीए सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हुआ. पीएम मोदी के शपथ ग्रहण के दौरान भारत के 7 अहम पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल हुए. पीएम मोदी के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव, मॉरिशस, भूटान और सेशल्स को आमंत्रित किया गया था. इनमें से पांच हिंद महासागर क्षेत्र के देश हैं, जबकि नेपाल और भूटान दशकों से भारत के अच्छे पड़ोसी रहे हैं. हिंद महासागर के ये देश भारत की समुद्री नीति के लिहाज से काफी अहम हैं. अपने शपथ ग्रहण समारोह में इन देशों को बुलाकर पीएम मोदी ने कूटनीतिक मोर्चे पर दुनिया को बड़ा संदेश दिया- भारत के लिए पहले उनके पड़ोसी हैं. चीन की काफी समय से भारत के पड़ोसियों पर निगाह है, चाहे वह श्रीलंका हो या मालदीव. चीन की चाल का काट जानकारों की मानें तो पीएम मोदी अपने पड़ोसियों को साधना चाहते हैं. वह चाहते हैं कि भारत के पड़ोसी देशों का झुकाव चीन की ओर अधिक न हो. जैसा कि बीते कुछ समय में देखा गया है. नेपाल, श्रीलंका और मालदीव बीते कुछ समय से चीन से अधिक प्रभावित हुए हैं. चीन ने श्रीलंका, मालदीव को अपने फायदे के लिए टारगेट किया है. चीन की वजह से ही बीते समय में नेपाल से रिश्तों में खटास आई. ड्रैगन की वजह से ही भारत का मालदीव संग रिश्ता तनाव में आया. हालांकि, अब भारतीय प्रयासों से ये देश अब ट्रैक पर आने लगे हैं. चीन इन देशों को कर्ज की जाल में फंसाकर हिंद महासागर क्षेत्र में अपना दबदबा बनाना चाहता है. अगर चीन अपने मंसूबों में कामयाब होकर भारत को चौतरफा घेरना चाहता है. यही वजह है कि भारत अपने पड़ोसियों से रिश्ते बेहतर कर उन्हें चीन से दूर करने में जुटा है. भारत के लिए पड़ोसी क्यों अहम? अब सवाल उठता है कि आखिर इसके पीछे भारत की क्या मंशा? तो इसका जवाब है समुद्री सुरक्षा. चीन समंदर का सिकंदर बनना चाहता है. वह हिंद महासागर पर अपना एकछत्र राज चाहता है. ऐसा करके वह समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना चाहता है. वह हिंद महासागर क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है. यही वजह है कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी दखल को रोकना चाहता है. चीन लालच-प्रलोभल देकर भारत के पड़ोसी देशों को अपने पाले में लाना चाहता है. यह भारत के समुद्री सुरक्षा के लिहाज से काफी खतरनाक होगा. यही वजह है कि अब भारत की नजर मालदीव, श्रीलंका, सेशल्स, मॉरिशस और बांग्लादेश से रिश्ते को और बेहतर करने पर है. मालदीव में चीन का दखल हिंद महासागर के अहम देश श्रीलंका और मालदीव का इस्तेमाल चीन रणनीतिक लाभ के लिए करना चाहता है. चीन तो मालदीव में पोत के जरिए जासूसी और रिसर्च भी कर रहा है. मालदीव में मुइज्जू की सरकार आने के बाद से भारत के रिश्ते तल्ख हुए हैं. मुइज्जू चीन के काफी करीबी हैं. सत्ता में आते ही उन्होंने भारत को अपने सैनिक हटाने को कहा. हालांकि, भारत से रिश्ते बिगड़ने का मालदीव को खामियाजा भुगतना पड़ा. टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ और मुइज्जी की मालदीव में खूब आलोचना हुई. वहीं, सेशल्स ने समुद्री सुरक्षा के संदर्भ में भारतीय प्रयासों का समर्थन किया है. समुद्री डकैती और अवैध मछली शिकार को रोकने में भारत के लिए सेशल्स की भूमिका अहम है. वहीं, श्रीलंका का भी चीन से झुकाव कम होता दिख रहा है. भारत के आर्थिक मदद मिलने के बाद वह फिर पटरी पर लौट आया है. जबकि शेख हसीना के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते काफी बेहतर रहे हैं. Tags: Narendra modi, PM Modi, Pm modi newsFIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 10:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed