CJI के पद से रिटायर हुए जस्टिस चंद्रचूड़ अब क्या कर सकते हैं और क्या नहीं

सीजेआई की कुर्सी छोड़ने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ वकालत नहीं कर सकेंगे. संविधान में वकालत पर प्रतिबंध लगाया गया है.

CJI के पद से रिटायर हुए जस्टिस चंद्रचूड़ अब क्या कर सकते हैं और क्या नहीं
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) शुक्रवार (8 नवंबर) को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर हो गए. अब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे, जो सोमवार को पदभार संभालेंगे.जस्टिस चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त हो जाने के बाद क्या कर सकते हैं और कौन से काम नहीं कर सकते? उन्हें कौन-कौन से लाभ मिलेंगे? हम आपको समझाते हैं.. CJI क्या नहीं कर सकते सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को देश के किसी भी अदालत में वकालत करने की अनुमति नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 124(7) के अनुसार, “कोई भी व्यक्ति जिसने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पद धारण किया है, वह भारत की सीमा के भीतर किसी भी अदालत या किसी भी प्राधिकरण के समक्ष वकालत या कार्य नहीं करेगा..” कानूनी जानकारों के मुताबिक यह प्रतिबंध न्यायपालिका की पवित्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के उद्देश्य से लगाया गया है.इस तरह का प्रावधान हितों के टकराव और पक्षपात के आरोपों से बचने में मदद करता है. कानून के जानकार कहते हैं कि यदि एक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश (Supreme Court Judge) को सेवानिवृत्ति के बाद वकालत करने की अनुमति दी जाती है तो यह उनके पिछले पद की गरिमा को कमजोर कर सकता है. यह प्रावधान किसी कानूनी मामले में संवेदनशील जानकारी के संभावित दुरुपयोग को भी रोकता है, जिसकी उन्हें जानकारी होती है. रिटायरमेंट के बाद CJI या न्यायाधीश क्या कर सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद सीजेआई या न्यायाधीश वकालत नहीं कर सकते लेकिन अन्य भूमिकाएं निभा सकते हैं. कई रिटायर्ड जज सार्वजनिक सेवा में प्रवेश कर जाते हैं. कुछ राज्यपाल या सरकारी समितियों के सदस्य के रूप में नियुक्त हो सकते हैं. सेवानिवृत्त न्यायाधीश विवादों में मध्यस्थ या सुलहकर्ता भी बन सकते हैं. मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 कहता है कि “एक व्यक्ति, जो सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा है” भारत के मध्यस्थता परिषद का सदस्य हो सकता है. रिटायर्ड सीजेआई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राष्ट्रीय हरित अधिकरण जैसे आयोगों और न्यायाधिकरणों के प्रमुख के रूप में भी सेवा कर सकते हैं या उनमें शामिल हो सकते हैं. सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए एक और विकल्प है कि वे लॉ स्कूलों में पढ़ाने, व्याख्यान देने या कानूनी मुद्दों पर लेखन करके अकादमिक क्षेत्र का हिस्सा बन सकते गैं. रिटायर्ड सीजेआई या जजों के सरकारी निकायों में पद स्वीकार करने को लेकर लंबे समय से बहस चलती आ रही है. इसका विरोध करने वालों का तर्क है कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है और चापलूसी की संस्कृति को बढ़ावा मिल सकता है. पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई का कार्यालय छोड़ने के छह महीने के भीतर राज्यसभा के लिए नामांकन ने सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्तियों पर व्यापक बहस छेड़ दी थी. बार एंड बेंच की पिछले जून में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सेवानिवृत्त हुए 28 जजों में से छह जजों को संवैधानिक या वैधानिक पद मिले हैं. क्या रहा है जस्टिस चंद्रचूड़ का पक्ष निवर्तमान सीजेआई चंद्रचूड़ भी इस मुद्दे पर अपने विचार रख चुके हैं. उन्होंने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए राजनीति में शामिल होने से पहले “कूलिंग-ऑफ” पीरियड की बात की थी. अगस्त में दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “जज के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद, राजनीति में शामिल होने से पहले कुछ समय लेना चाहिए. यहां तक कि अगर कोई राजनीति में शामिल होने का फैसला करता है तो पर्याप्त अंतराल होना चाहिए. जजों को निष्पक्ष माना जाता है और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी गरिमा बनाए रखनी चाहिए.. “ रिटायरमेंट के बाद क्या सुविधाएं मिलेंगी? सेवानिवृत्त सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के जजों को कई सुविधाएं मिलती हैं जिनमें आजीवन घरेलू सहायक और ड्राइवर शामिल हैं. इसके अलावा सेवानिवृत्त सीजेआई को आजीवन क्लर्कियल स्टाफ भी मिलते हैं. 2022 में जारी नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, सेवानिवृत्त सीजेआई को सेवानिवृत्ति के पांच साल बाद उनके निवास पर चौबीसों घंटे सुरक्षा कवर मिलेगा. इसके साथ-साथ 24/7 पर्सनल सुरक्षा गार्ड भी मिलता है. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जजों के लिए सुरक्षा कवर और व्यक्तिगत गार्ड तीन साल के लिए होते हैं. एक सेवानिवृत्त सीजेआई को सेवानिवृत्ति के बाद छह महीने के लिए नई दिल्ली में किराया-मुक्त टाइप VII आवास भी मिलता है. इसके अलावा, पूर्व सीजेआई और सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जजों को उनके मासिक मोबाइल फोन और इंटरनेट बिल के लिए 4,200 रुपये भी मिलता है. Tags: DY Chandrachud, Justice DY Chandrachud, Special Project, Supreme Court, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 11:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed