Explainer: क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया क्यों धनकड़ से नाराजगी
Explainer: क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया क्यों धनकड़ से नाराजगी
सूत्रों के अनुसार राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 70 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं. जानते हैं कि क्या है इस पद पर आसीन को हटाने की प्रक्रिया, जो पहले कभी किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ नहीं हुई.
हाइलाइट्स राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में विपक्ष 70 सांसदों के हस्ताक्षर, TMC और सपा का भी समर्थन राज्यसभा में विपक्ष उनके संचालन के तरीके से नाखुश
विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. इस प्रस्ताव पर राज्यसभा सदस्यों के हस्ताक्षर कराया जा रहा है. विपक्षी गठबंधन उनके खिलाफ एकजुट हो गया है. जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर जिस तरह से राज्यसभा में हंगामा हुआ, उसे लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सभापति जगदीप धनखड़ से नाराज बताए जा रहे हैं. भारतीय संसदीय राजनीति के इतिहास में ये पहला मौका होगा जबकि राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो. हालांकि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ ऐसे प्रस्ताव पेश करने की चर्चा और प्रयास पहले भी हुए हैं लेकिन वो आगे नहीं बढ़ पाए.
हाल की रिपोर्ट बताती हैं कि विपक्षी दल राज्यसभा में उनके प्रबंधन से क्षुब्ध हैं. असंतुष्ट होने के कारण वो धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में जुट गए हैं. नए साल आने के पहले ही विपक्ष ने इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है. सूत्रों का कहना है कि इस पर 70 सांसदों के साइन हो चुके हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत किसी भी उपराष्ट्रपति को नहीं हटाया गया है. हालांकि इस पर लोकसभा से भी मुहर लगनी चाहिए.
जगदीप धनखड़ के खिलाफ समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में बताए जा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से INDIA ब्लॉक के प्रदर्शनों से दूर-दूर नज़र आ रहे TMC और सपा के सांसदों ने धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
विपक्षी दल मंगलवार, 10 दिसंबर को राज्यसभा में सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. उनको हटाने के प्रस्ताव पर कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है.
भारत के उपराष्ट्रपति को कभी भी सफल अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा है. जबकि 1963 के बाद से भारत के कई प्रधानमंत्रियों के खिलाफ जरूर कुल 31 प्रस्ताव पेश किए गए हैं. केवल तीन बार ऐसे प्रस्ताव पर प्रधानमंत्रियों की गद्दी गई है. विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच.डी. देवेगौड़ा और अटल बिहारी वाजपेयी इसके शिकार हुए हैं.
उपराष्ट्रपति से क्यों नाराज विपक्ष?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि वह राज्यसक्षा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं. ऐसे आरोप उनके खिलाफ पिछले कुछ समय लगातार लगते रहे हैं. जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर उनकी भूमिका से समूचा विपक्ष बुरी तरह नाराज है, इसने उन्हें फिर एकजुट कर दिया है.सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बुरी तरह हंगामा हुआ.
इस साल अगस्त में भी विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर चुका था. तब उनके खिलाफ आरोप था कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद कर दिया जाता है. संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता. विपक्षी सांसदों पर व्यक्ति टिप्पणी की जा रही है.
विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं. मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं. उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है.
उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?
उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और उच्च सदन को नियमों और परंपराओं के मुताबिक सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. उन्हें राज्यसभा के सभापति पद से तभी हटाया जा सकता है, जब उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति के पद से हटा दिया जाये. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं. संविधान के मुताबिक उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनके पद से हटाया जा सकता है. हालांकि प्रस्ताव पेश करने के बारे में 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है.
संविधान में क्या कहा गया है?
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में कहा गया है: “उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिये उसके पद से हटाया जा सकता है. लेकिन कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि कम से कम चौदह दिनों का नोटिस नहीं दिया गया हो, जिसमें यह बताया गया हो ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है”.
उपराष्ट्रपति को हटाने के नियम उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही पेश किया जा सकता है, लोकसभा में नहीं. 14 दिन का नोटिस देने के बाद ही प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. प्रस्ताव को राज्य सभा में ‘प्रभावी बहुमत’ (रिक्त सीटों को छोड़कर राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों का बहुमत) द्वारा पारित किया जाना चाहिए और लोकसभा द्वारा ‘साधारण बहुमत’ से सहमत होना चाहिए. जब प्रस्ताव विचाराधीन हो तो सभापति सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकते. राज्यसभा के सभापति के विपरीत, लोकसभा के मतदान कर सकते हैं. लेकिन अगर उन्हें हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन हो और वोटों की समानता के मामले में मतदान का अधिकार नहीं मिलता.
क्यों विपक्ष के लिए इसे पास कराना मुश्किल
अविश्वास प्रस्ताव लाया तो जा सकता है लेकिन विपक्ष के पास राज्यसभा में इसे पास कराने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं है. उनके पास 250 में केवल 103 सीटें हैं, लिहाजा उनके लिए आवश्यक बहुमत हासिल कर पाना मुश्किल है.
बेशक विपक्ष इस प्रक्रिया को शुरू कर सकता है. इसे एक राजनीतिक बयान या रणनीति के रूप में उपयोग कर सकता है. लेकिन संसद में इस तरह के प्रस्ताव को सफलतापूर्वक पारित करना असंभव सा ही है.
Tags: Jagdeep Dhankar, Jagdeep Dhankhar, No Confidence Motion, Rajya sabhaFIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 13:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed