उदयपुर राज परिवार में विवाद की वजह क्या है 40 साल पुराना है मामला

Udaipur Royal family Dispute Reason : उदयपुर में महाराणा प्रताप के वंशजों में राजतिलक की रस्म पर विवाद छिड़ गया है. महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने उदयपुर के सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए. जब चित्तौड़गढ़ से विश्वराज सिंह मेवाड़ परंपरा के तहत धूणी दर्शन के लिए उदयपुर पहुंचे तो उन्हें अंदर नहीं घुसने नहीं दिया गया. विश्वराज के समर्थकों ने हंगामा किया. पुलिस फोर्स ने हल्का बल प्रयोग किया. आइये जानते हैं उदयपुर के राज परिवार के बीच विवाद की मुख्य वजह क्या है?

उदयपुर राज परिवार में विवाद की वजह क्या है 40 साल पुराना है मामला
उदयपुर. उदयपुर में महाराणा प्रताप के वंशजों में राजतिलक की रस्म पर बवाल हो गया. पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज को समर्थकों ने मेवाड़ राजवंश का नया महाराणा माना. चितौड़ में फतेह निवास महल में सोमवार को राज तिलक कार्यक्रम आयोजित किया. देशभर से पूर्व राजा महाराजा और पूर्व जागीरदार शामिल हुए. देर शाम राजतिलक की रस्म पर विवाद छिड़ गया. महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस (रंगनिवास और जगदीश चौक) के दरवाजे बंद कर दिए. उधर, चित्तौड़गढ़ में राजतिलक की रस्म होने के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ परंपरा के तहत धूणी दर्शन के लिए उदयपुर पहुंचे लेकिन सिटी पैलेस के रास्ते पर बैरिकेड्स लगे मिले. विश्वराज के समर्थकों ने बैरिकेड्स हटा दिए. 3 गाड़ियां पैलेस के अंदर घुसीं. मौके पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स ने हल्का बल प्रयोग किया. कलेक्टर और एसपी ने करीब 45 मिनट तक विश्वराज सिंह मेवाड़ से उनकी गाड़ी में बैठकर बात की लेकिन सहमति नहीं बन सकी. विश्वराज मेवाड़ और उनके समर्थक धूणी के दर्शन करने की बात पर अड़े हैं. आइये जानते हैं मेवाड़ के पूर्व राज परिवार में विवाद का कारण क्या है. सबसे पहले बात आज के विवाद की करते हैं. 1. धूणी दर्शन : राजतिलक कार्यक्रम के ऐलान के साथ ही कार्यक्रम के आयोजकों ने ऐलान किया कि विश्वराज सिंह मेवाड़ राज तिलक के बाद धूणी दर्शन करने सिटी पैलेस जाएंगे. सिटी पैलेस पर कब्जा अरविंद सिंह मेवाड़ का है. महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट के चैयरमैन अरविंद सिंह मेवाड़ हैं. अरविंद सिंह मेवाड़ ने एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करवा दी कि विश्वराज सिंह सिटी पैलेस ट्रस्ट के सदस्य नहीं, इसलिए सिटी पैलेस में प्रवेश नहीं दिया जाएगा लेकिन राज तिलक के बाद समर्थकों के साथ विश्वराज सिंह धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस पहुंचे. समर्थकों ने सिटी पैलेस की बैरिकेटिंग हटा दी. विश्वराज तीन गाड़ियों के काफिले के साथ घुसे लेकिन पूरा काफिला अंदर चाहते थे, इसलिए समर्थक और पुलिस आमने सामने हो गई. 2. एकलिंग जी के दर्शन दरअसल मेवाड़ के महाराणा खुद को एकलिंगजी के दीवान मानते हैं. महाराणा की छड़ी इसी मंदिर मेम दर्शन के बाद पुजारी सौंपते हैं, यानी शासन करने की छड़ी. एक तरह से महाराणा की मान्यता इसी मंदिर से मिलती है. विश्वराज सिंह चितौड़ में राज तिलक के बाद मंदिर जाना चाहते थे. एकलिंगजी मंदिर भी इसी ट्रस्ट के अधीन है, इसलिए अरविंद सिंह मेवाड़ ने विश्वराज के मंदिर में प्रवेश पर पांबदी लगा दी और बैरिकैटिंग करवा दी. ताजी जानकारी के मुताबिक, एकलिंग जी मंदिर के दर्शन शाम 7:45 पर बंद हुए. सिटी पैलेस में प्रवेश नहीं कर पाने के चलते वह अभी भी जगदीश चौक पर मौजूद है. धूणी दर्शन के बाद एकलिंग जी जाने का कार्यक्रम था. अभी तक धूणी के दर्शन नहीं कर पाएं है. 3. संपत्ति विवाद: मेवाड़ राजवंश में महाराणा प्रताप के बाद 19 महाराणा बने हैं. 1930 में भूपाल सिंह मेवाड़ के महाराणा बने. 1955 में भूपाल सिंह की मौत के बाद भगवत सिंह मेवाड़ के महाराणा बने. ये मेवाड़ के आखिरी महाराणा थे. भगवत सिंह के दो बेटे और एक बेटी थी. सबसे बड़े महेंद्र सिंह मेवाड़, छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ और बेटी योगेश्वरी. महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिह हैं. विश्वराज नाथद्धारा से बीजेपी विधायक हैं. उनकी पत्नी महिमा कुमारी राजसमंद से बीजेपी सांसद हैं. छोटे बेटे अरविंद सिंह के एक बेटा लक्ष्यराज सिंह हैं. संपति को लेकर विवाद महाराणा भगवत सिंह के जीवनकाल में ही शुरू हो गया था. भगवत सिंह ने पैतृक संपत्तियों को (जिनमें लेक पैलेस, जग मंदिर, जग निवास, फतेह प्रकाश महल, सिटी पैलेस म्यूजियिम, शिव निवास ) बेचना और लीज पर देना शुरू किया तो बड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ ने अपने पिता के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया. इस केस में महेंद्र सिंह मेवाड़ ने मांग रखी कि रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर प्रथा को छोड़कर पैतृक संपत्तियों को हिंदू उतराधिकाार कानून के तहत बराबर बांटा जाए. दरअसल रूल ऑफ प्रोइमोजेनीचर एक्ट आजादी के बाद बना. इसमें नियम था कि बड़ा बेटा राजा बनेगा और सारी संपत्ति उसकी होगी लेकिन भगवत सिंह बड़े बेटे महेंद्र सिंह से नाराज थे. वो छोटे बेटे अरविद सिंह को अपना उतराधिकारी बनाना चाहते थे. यानी सारी संपत्ति अरविंद सिंह की होगी. कोर्ट में भगवत सिंह ने जबाब दिया कि सभी संपत्ति का हिस्सा नहीं हो सकता है ये अविभाजनीय है. भगवत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में संपतियों का एक्ज्यूक्यूटर छोटे बेटे अरविंद सिंह को बना दिया. इससे पहले भगवत सिंह ने महेंद्र सिंह मेवाड़ को ट्रस्ट और सपंति से बाहर कर दिया. तीन नवंबर 1984 को भगवत सिंह का निधन हो गया. तब मेवाड़ के अधिकतर सामंतों ने बड़े बेटे महेंद्र सिंह को मेवाड़ की गद्दी पर बैठाकर महाराणा घोषित कर दिया. तब से मेवाड़ में महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह दोनों खुद को महाराणा मानते आए हैं. अब तीन संपत्ति पर विवाद:  1. राजघराने का शाही और महल शंभू निवास 2. बड़ी पाल 3. घास घर 37 साल बाद 2020 में कोर्ट ने इस संपत्ति विवाद में चौंकाने वाला फैसला दिया. शंभू निवास पर महेंद्र सिंह अरविंद और बहन योगेश्वरी का बराबर का हक माना. तीनों को चार चार साल उसमें रहने का हक दिया. बाद में अरविंद सिंह की याचिका पर इस आदेश के लागू होने पर रोक लगा दी. Tags: Rajasthan news, Udaipur newsFIRST PUBLISHED : November 25, 2024, 22:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed