Birthday Radhakrishnan : रिश्ते के भाई की किताबों को पढ़ना क्यों थी राधाकृष्णन की मजबूरी इससे कैसे बदला जीवन
Birthday Radhakrishnan : रिश्ते के भाई की किताबों को पढ़ना क्यों थी राधाकृष्णन की मजबूरी इससे कैसे बदला जीवन
देशभर में आज यानि 05 सितंबर को टीचर्स डे मनाया जा रहा है. ये भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉक्टर राधाकृष्णन के जन्मदिन पर उन्हें सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. वह बहुत गरीब घर में पैदा हुए. उन्होंने रिश्ते के भाई की किताबें पढ़कर अपने जीवन को बदला. जानते हैं कि ऐसा कैसा हुआ.
हाइलाइट्ससर्वपल्ली राधाकृष्णन की जिंदगी में एक दिलचस्प वाकया हुआ थाराधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र की पढ़ाई अपनी मर्जी से नहीं की थीउनका जन्म 5 सितंबर 1888 को बेहद साधारण परिवार में हुआ था
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बीसवीं सदी की अहम शख्सियतों में एक माना जाता है. वो महान दार्शनिक और राजनीतिज्ञ रहे. उत्कृष्ट प्रतिभा के धनी सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जिंदगी में एक ऐसा वाकया हुआ, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. हालांकि ये घटना ये बताती है कि उन दिनों वह अपने परिवार की साधारण स्थिति से कितने मजबूर थे. लेकिन ये अच्छा ही हुआ, इसने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी.
अक्सर हम कहते हैं कि किस्मत जो करती है, अच्छे के लिए करती है. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के साथ भी ऐसा ही हुआ था. वो महान दार्शनिक बने लेकिन ये उनकी इच्छा नहीं थी. जिस शख्स की विद्वता की वजह से पूरे देश ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया. जिनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के तौर पर घोषित किया गया. उस शख्स की जिंदगी का सबसे बड़ा बदलाव उसकी गुरबत की वजह से आया.
अभावों में बीती शुरुआती जिंदगी
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जिंदगी अभावों में बीती थी. महान दार्शनिक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र की पढ़ाई अपनी मर्जी से नहीं की थी. गरीबी ने उन्हें दर्शनशास्त्र की पढ़ाई के लिए मजबूर किया.
कहा जाता है कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के एक चचेरे भाई ने उन्हें दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ने के लिए दी थीं. भाई की दर्शनशास्त्र की किताबों से ही राधाकृष्णन ने पढ़ाई की. मुफलिसी में जी रहे राधाकृष्णन के परिवार के लिए उनकी पढ़ाई जारी रखने का यही रास्ता था. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस तरह से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की और महान दार्शनिक बने.
डॉ राधाकृष्णन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के साथ
1962 से हुई शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति बने. उन्हें दूसरा राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य मिला. 1931 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि मिली. 1962 से उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) के अवसर पर हर शिष्य अपने गुरू को याद करता है, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करता है.
डॉ राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता चाहते थे कि बेटा अंग्रेजी की पढ़ाई नहीं करे बल्कि मंदिर का पुजारी बने. लेकिन राधाकृष्णन का मन पढ़ाई में लगता था. उन्होंने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज में फिलॉसफी (दर्शनशास्त्र) की पढ़ाई की. वह इतने प्रतिभावान थे कि शिकागो यूनिवर्सिटी ने उन्हें तुलनात्मक धर्मशास्त्र पर भाषण देने के लिए आमंत्रित किया था.
सबसे लंबे समय तक देश के उपराष्ट्रपति रहे
1949 से 1952 तक डॉ राधाकृष्णन USSR के राजदूत रहे. 1952 से 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली. 1954 में उन्हें भारत रत्न के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया. 1962 से 1967 तक वो देश के राष्ट्रपति रहे. डॉ राधाकृष्णन को 20वीं सदी के भारत के सबसे प्रभावशाली विद्वानों में से एक माना जाता है. राधाकृष्णन मैसूर (1918-21), कोलकाता (1921-31, 1937-41) यूनिवर्सिटी में फिलॉसफी के प्रोफेसर रहे थे.
डॉ. राधाकृष्णन कहा करते थे कि पढ़ाई में अच्छे लोगों को हमेशा शिक्षक बनना चाहिए
27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट हुए राधाकृष्णन
इसके अलावा वह ऑक्सफोर्ड (1936-52) में भी प्रोफेसर रहे. डॉ राधाकृष्णन ने आंध्र यूनिवर्सिटी, बीएचयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी में कुलपति की जिम्मेदारी निभाई. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था. जिसमें वह 16 बार लिटरेचर और 11 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट हुए थे.
उन्होंने नहीं दी थी अपना जन्मदिन मनाने की इजाजत
जब वह राष्ट्रपति थे, तब उनका जन्मदिन मनाने के लिए लोगों ने उनसे इजाजत मांगी लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर आप सम्मान करना ही चाहते हैं तो देश के शिक्षकों का करें. डॉ. राधाकृष्णन हमेशा कहा करते थे कि पढ़ाई में अच्छे लोगों को हमेशा शिक्षक बनना चाहिए. इसलिए पूरा देश उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है.
जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने थे, तब मशहूर दार्शनिक बर्टेंड रसेल ने कहा था कि ‘दर्शनशास्त्र के लिए बड़े गर्व की बात है कि डॉ. राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने हैं और एक दार्शनिक के रूप में मुझे इसकी खास खुशी हो रही है.’
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Tags: Dr. Radhakrishnan, Teacher, Teachers dayFIRST PUBLISHED : September 05, 2022, 07:33 IST