PM मोदी आज Navy को सौंपेंगे पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर जानें INS विक्रांत की खूबियां
PM मोदी आज Navy को सौंपेंगे पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर जानें INS विक्रांत की खूबियां
INS Vikrant: आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे.
हाइलाइट्सपोत का डिजाइन नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने किया तैयार.आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है. 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी कर सकता है तय.
कोच्चि. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के केरल दौरे का शुक्रवार को आखिरी दिन है. आज पीएम मोदी कोच्चि से भारत में ही निर्मित विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को नौसेना (Indian Navy) में शामिल करेंगे. इसे मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत बनाया गया है. यह अब तक का भारत का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत है. भारत से पहले सिर्फ पांच देशों ने 40 हजार टन से अधिक वजन वाला एयरक्राफ्ट कैरियर (Aircraft Carrier) बनाया है. आईएनएस विक्रांत का वजन 45 हजार टन है.
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने पहले कहा था कि आईएनएस विक्रांत हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत पर विमान उतारने का परीक्षण नवंबर में शुरू होगा, जो 2023 के मध्य तक पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि मिग-29 के जेट विमान पहले कुछ वर्षों के लिए युद्धपोत से संचालित होंगे.
आईएनएस विक्रांत का निर्माण
इस पोत का डिजाइन नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है. वहीं निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. पिछले साल 21 अगस्त से अब तक समुद्र में परीक्षण के कई चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. पोत को नौसेना की सेवा में शामिल किए जाने के बाद इस पर विमानों को उतारने का परीक्षण किया जाएगा.
क्यों पड़ा नाम विक्रांत
इस पोत के पूर्ववर्ती पोत विक्रांत ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी, जिसके नाम पर इस नए पोत का नाम रखा गया है.
जहाज में लगभग 2,200 कमरे
जहाज निर्माण का पहला चरण अगस्त 2013 में जहाज के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा हुआ. 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत 18 समुद्री मील से लेकर 7500 समुद्री मील की दूरी तय कर सकता है. जहाज में लगभग 2,200 कमरे हैं, जिन्हें चालक दल के लगभग 1,600 सदस्यों के लिए डिजाइन किया गया है. इसमें महिला अधिकारियों और नाविकों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन शामिल हैं.
यह है सुविधाएं
मशीनरी संचालन, जहाज नौवहन और उत्तरजीविता के लिए बहुत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिजाइन किया गया यह विमानवाहक, अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है. जहाज में नवीनतम चिकित्सा उपकरण सुविधाओं के साथ एक पूर्ण अत्याधुनिक चिकित्सा परिसर है जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर), आपातकालीन मॉड्यूलर ओटी, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, दंत चिकित्सा परिसर, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाएं आदि शामिल हैं.
यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60 आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम होगा.
आईएनएस विक्रांत खूबियां
-आईएनएस विक्रांत की कीमत 20 हजार करोड़ है.
-इसके अलग-अलग पार्ट्स 18 राज्यों में बने हैं.
-ये पोत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है.
-इसकी अधिकतम गति 28 नॉट है.
-विक्रांत में करीब 2200 कंपार्टमेंट हैं.
-पोत से एक साथ 30 विमान संचालित हो सकते हैं.
-चालक दल 1,600 सदस्यों के रहने के लिए पर्याप्त है.
-आगे से डिजाइन ऐसा है कि विमान टेक ऑफ में दिक्कत न हो.
-मिग-29के लड़ाकू विमानों और केए-31 हेलिकॉप्टरों का एक बेड़ा तैनात होगा.
-2500 किलोमीटर लंबा बिजली का तार लगा है.
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Tags: Indian navyFIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 05:00 IST