फ्रीबीज का सुपरहिट शो देख चुकी नीतीश सरकार अब बिहार में महिलाओं की आएगी बहार
फ्रीबीज का सुपरहिट शो देख चुकी नीतीश सरकार अब बिहार में महिलाओं की आएगी बहार
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली इंडिया ब्लाक की सरकार ने मईयां सम्मान योजना के जरिये राजनीति की नई इबारत लिखी है. कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने भी महिलाओं को केंद्र कर योजनाएं बनाईं और उनका चुनावी लाभ भी उन्हें मिला. कई राज्यों ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) को रेवड़ी बांटने का जरिया बना लिया है. कुछ खुल कर बांट रहे तो कई घुमा-फिरा कर लाभ पहुंचा रहे हैं. इससे सत्ताधारी सियासी दल और निम्न आय वर्ग के लोग तो लाभ उठा रहे हैं, लेकिन मध्य वर्ग इसका खामियाजा भोग रहा है.
पटना: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के हालिया चुनाव में मुफ्त की रेवड़ियों का कमाल लोग देख चुके हैं. महाराष्ट्र में महायुति सरकार की लाडकी बहन योजना और झारखंड में इंडिया ब्लाक की सरकार की मईयां सम्मान योजना ने विरोधियों को धूल चटा दी. बंगाल में ममता बनर्जी सरकार पहले से ही महिलाओं के लिए लक्ष्मी भंडार योजना चला रही हैं. इसका लाभ भी ममता को लोकसभा चुनाव में मिला. 2026 के विधानसभा चुनाव में भी ममता बनर्जी की टीएमसी को इसका लाभ मिले तो आश्चर्य नहीं. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार महिलाओं के लिए गृह लक्ष्मी योजना चला रही है. इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2000 रुपए की आर्थिक मदद मिल रही है. अब तक कर्नाटक में 1.11 करोड़ परिवारों की प्रमुख महिला को लाभ मिल रहा है. इसके तहत अंत्योदय कार्ड धारकों को भी लाभ मिलता है. बिहार में भी महिलाओं को केंद्र कर नीतीश कुमार ने कई योजनाएं शुरू की हैं.
अब रेवड़ियों पर लड़े जाएंगे सभी चुनाव!
अब यह बात साफ हो गई है कि आने वाले चुनावों में मुफ्त की रवड़ियों की भरमार रहेगी. मुफ्त की रेवड़ी की संस्कृति के जनक दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अब बुजुर्गों को लक्ष्य कर 2500 रुपए मासिक मदद की घोषणा की है. दिल्ली और बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. उसके बाद बंगाल और उत्तर प्रदेश की बारी है. संभव है कि वहां की सरकारें भी चुनावी वैतरणी पार करने के लिए मुफ्त वाली आकर्षक योजनाएं शुरू करें. वैसे भी बिहार में सीएम नीतीश कुमार महिलाओं के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं. अब यह बात स्पष्ट हो गई है कि मतदाताओं को पाले में करने के लिए ऐसी योजनाएं आगे भी राज्य सरकारें लाती रहेंगी.
दिल्ली के बुजुर्गों को अब हर माह 2500
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने बुजुर्गों को अब हर महीने 2500 रुपए की वृद्धावस्था पेंशन देने की घोषणा की है. AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल के मुताबिक साल 2015 में दिल्ली में 3.32 लाख बुजुर्गों को पेंशन मिलती थी. तब से अब तक 1.25 लाख और बुजुर्ग पेंशन होल्डर बने हैं. 80 हजार और सीनियर सिटिजन ओल्ड एज पेंशन पाने वालों की सूची में जुड़ेंगे. इस तरह दिल्ली में वृद्धावस्था पेंशन पाने वालों की तादाद 5.3 लाख हो जाएगी. दिल्ली सरकार की 2500 रुपए पेंशन देने की घोषणा के बाद 24 घंटे के अंदर ही 10 हजार आवेदन आ गए थे. इससे वृद्धावस्था पेंशन के प्रति लोगों के क्रेज का अनुमान लगाया जा सकता है.
Freebies की जनक रही है AAP सरकार
देश में लोक कल्याण के लिए राज्य सरकारें पहले भी योजनाएं चलाती रही हैं, लेकिन सीधे-सीधे मुफ्त की आदत सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में डाली. दिल्ली में नौ साल पहले AAP की सरकार बनने पर मुफ्त बिजली और पानी की योजनाओं के अलावा युवाओं, महिलाओं और सीनियर सिटीजन के लिए भी कई तरह की लुभावनी योजनाएं शुरू हुईं. महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा, युवाओं के लिए जगह-जगह वाई-फाई जोन और बुजुर्गो को मुफ्त तीर्थयात्रा कराने के प्रलोभन ने उन्हें आम आदमी पार्टी का वोटर बनाने को मजबूर कर दिया. बाद में पंजाब में भी आम आदमी पार्टी ने यही तरीका अपनाया. अब जहां भी चुनाव होते हैं, आम आदमी पार्टी मुफ्त की ऐसी घोषणाओं और वादों की झड़ी लगा देती है.
झारखंड में मईयां स्कीम से हेमंत को लाभ
हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली इंडिया ब्लाक की सरकार ने भाजपा के हथियार से ही उस पर वार कर दिया. चुनाव के चार महीने पहले ही हेमंत सरकार ने 18 से 50 साल उम्र की महिलाओं के लिए हर महीने 1000 रुपए सम्मान राशि देने का ऐलान किया. इतना ही नहीं, हेमंत सोरेन ने एक और चुनावी चाल चल दी. वादा किया कि सम्मान राशि दिसंबर 2025 से 2500 रुपए की जाएगी. इसका व्यापक असर हुआ. भाजपा 2019 के दौर से भी बुरी हालत में 2024 के चुनाव में पहुंच गई. भाजपा को 2019 में 25 सीटें मिली थीं, इस बार यह 21 पर सिमट गई है. भाजपा ने भी सत्ता में आने पर 2100 रुपए की सम्मान राशि गोगो दीदी योजना के तहत देने का वादा किया, जो हेमंत सोरेन के 2500 से कम थी. इसलिए भाजपा की लोगों को लुभाने वाली कवायद बेकार साबित हुई.
झारखंड के खजाने पर 25000 करोड़ बोझ
मईयां सम्मान योजना पर 2500 करोड़ रुपए का अनुमान है. इसके अलावा 200 यूनिट फ्री बिजली भी राज्य सरकार दे रही है. झारखंड में 200 यूनिट बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या 41 लाख से अधिक है. इससे राज्य सरकार के खजाने पर पड़ने वाला बोझ अलग है. राज्य के खजाने की स्थिति यह है कि फिलहाल 6000 करोड़ रुपए ही बचे हैं. इस साल का राज्य का बजट 1.29 लाख करोड़ रुपए का है, जिसमें अभी तक सिर्फ 58 हजार करोड़ रुपए ही राज्य सरकार खर्च पाई है. योजना बजट की बची राशि का इस्तेमाल राज्य सरकार मुफ्त की रेवड़ियों पर करेगी, तब जाकर उसका वादा पूरा होगा. दूसरा रास्ता यह है कि राज्य सरकार राजस्व का श्रोत बढ़ाए. राज्य सरकार के राजस्व की स्थिति यह है कि अभी जो पैसे आ रहे हैं, उसमें 90 प्रतिशत राशि तो वेतन, पेंशन और ब्याज के मद में ही खर्च हो जाती है. विकास कार्यों के लिए बची 10 फीसदी रकम के अलावा राज्य को केंद्रीय मदद और उधारी से काम चलाना पड़ता है.
Freebies का खामियाजा भोग रहे राज्य
कांग्रेस ने चुनावी लाभ के लिए मुफ्त योजनाओं को गारंटी की शक्ल दी है. हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस ने इन्हीं लुभावनी गारंटियों की वजह से कामयाबी भी पा ली. अब कर्नाटक के सीएम कह रहे कि गारंटी पूरा करने के चक्कर में सरकार का खजाना खाली हो गया है. हिमाचल में तो वेतन-पेंशन भुगतान का संकट खड़ा हो गया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अब पार्टी की प्रदेश इकाइयों को चेतावनी दे रहे हैं कि जनता को ऐसी गारंटी न दें, जिन्हें पूरा करना संभव न हो. इसके बावजूद ऐसा नहीं लगता कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने में कोई कोताही करेगा. भाजपा इससे परहेज करती रही है. पर, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र के अलावा झारखंड में भी भाजपा ने मुफ्त की रेवड़ियों को चुनावी घोषणापत्रों में शामिल किया. कई राज्यों में चुनाव से पहले ही ऐसे कदम उठाए गए.
ममता की योजना से 2 करोड़ हैं लाभान्वित
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी महिलाओं के लिए लक्ष्मी भंडार योजना चला रही हैं. इस योजना की लोकप्रियता इतनी है कि 30 जून 2024 तक राज्य की 2 करोड़ 15 लाख 88 हजार 775 महिलाएं इसकी लाभुक बन चुकी हैं. अब तक इस योजना पर राज्य सरकार 13,523.88 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. राज्य सरकार का अनुमान है कि दिसंबर में 5 लाख से अधिक नाम इस योजना से जुड़ेंगे. ऐसी लुभावनी योजनाओं के बंगाल के खजाने पर असर को इस रूप में महसूस किया जा सकता है कि सभी राज्यों में सातवें वेतनमान का लाभ सरकारी कर्मचारी ले रहे हैं तो बंगाल के कर्मचारी अभी छठे वेतनमान में ही फंसे हैं.
नीतीश भी देते हैं लाभ, पर मुफ्त से परहेज
बिजली पर सब्सिडी, लड़कियों को पोशाक और साइकिल के लिए आर्थिक मदद, किसानों के लिए कई तरह की छूट, मैट्रिक से लेकर बीए पास करने वाली अविवाहित लड़कियों को वजीफा बिहार में नीतीश कुमार की सरकार देती रही है. इसी साल नीतीश कुमार ने भी महिलाओं को लाभान्वित करने के लिए एक नई योजना शुरू की है. इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 4000 दिए जाएंगे. यह योजना उन महिलाओं के लिए है, जिनके पति का निधन हो चुका है या फिर वे महिलाएं, जो तलाकशुदा हैं. नीतीश कुमार की होशियारी यह है कि उन्होंने कभी मुफ्त या फ्री शब्दों का इस्तेमाल अपनी योजनाओं के लिए नहीं किया.
बिहार में महिलाओं के लिए कई योजनाएं हैं
नीतीश सरकार मुख्यमंत्री साइकिल योजना के तहत DBT के जरिए लड़कियों के खाते में 3000 रुपए भेजती है. तकरीबन 9 लाख बच्चियां साइकिल योजना का लाभ ले चुकी हैं. सरकार ने इस पर पौने दो सौ करोड़ रुपए अब तक खर्च किए हैं. गर्भवती महिलाओं के लिए बिहार सरकार ने योजना चला रखी है. इसके तहत गर्भवती ग्रामीण महिलाओं को 1400 तो शहरी गर्भवती महिलाओं को 1000 रुपये दिए जाते हैं. बच्चे के जन्म के बाद परिवार नियोजन के लिए 2000 से 3000 रुपए मिलते हैं. बिहार में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना भी लागू है. बेटी पैदा होने पर अभिभावकों को 5000 रुपए सरकार देती है. अधिकतम 2 बेटियों के लिए इसका लाभ मिल सकता है.
बिहार में नीतीश भी खोल सकते हैं खजाना
बिहार में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है. दूसरे राज्य चुनाव को ध्यान में रख कर जिस तरह अपने खजाने का मुंह लोगों के लिए खोल रहे हैं, ऐसे में बिहार की नीतीश कुमार की सरकार भी पीछे कैसे रह सकती है. महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के परिणामों को देखते हुए सरकार इस बात पर मंथन जरूर कर रही होगी. उम्मीद कर सकते हैं कि अगले साल के लिए पेश होने वाले बजट में महिलाओं के लिए इस तरह की कोई नई स्कीम लांच की जा सकती है.
Tags: Arvind kejriwal, Assembly elections, Bihar News, Maharashtra NewsFIRST PUBLISHED : November 30, 2024, 14:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed