एमकॉम की पढ़ाई के बाद किया हैंडीक्राफ्ट का कारोबार अब हो रही लाखों की कमाई

Handicraft Business : फिरोजाबाद के दीपक जैन ने एमकॉम की पढ़ाई के बाद अपने पिता द्वारा शुरू किए गए हैंडीक्राफ्ट के व्यापार को संभाल लिया. इस दौरान उन्होंने अपने से छोटी 4 बहनों की शादी भी की. उन्होंने बताया कि आज उन्हें इस व्यापार से लगभग लाखों रुपए के आर्डर मिलते हैं.

एमकॉम की पढ़ाई के बाद किया हैंडीक्राफ्ट का कारोबार अब हो रही लाखों की कमाई
धीर राजपूत/फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद को कांच नगरी के नाम से यूं ही नहीं जाना जाता है, यहां कांच के एक से बढ़कर एक आइटम तैयार किए जाते हैं, जो देश-विदेश तक भेजे जाते हैं. ऐसे में फिरोजाबाद में एक शख्स अपनी लगन और मेहनत से हैंडीक्राफ्ट कारोबार में सफलता हासिल की है. युवक के पिता ने संघर्ष के बाद जिस बिजनेस की शुरुआत की, उसे आगे बढ़ाने के लिए पढ़ाई पूरी कर पिता का सहारा बन गया. आज इनके द्वारा बनाए गए ग्लास मोमेंटो पूरे भारत में भेजे जाएंगे. 25 हजार से शुरू किया था हैंडीक्राफ्ट बिजनेस फिरोजाबाद में रहने वाले हैंडीक्राफ्ट बिजनेसमैन दीपक जैन ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने अपने पिता के कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की. उनके पिता ने 2007 में मात्र 25 हजार में हैंडीक्राफ्ट का काम शुरू किया था. इस दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे काम चलने लगा. एमकॉम की पढ़ाई के संभाला कार्य इसी दौरान वह अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी कर रहे थे. एमकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पिता के कारोबार में हाथ बटाना शुरू किया. साल 2016 में उनके पिता का देहांत हो गया. उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी,  पिताजी छोटे से कारोबार में कैसे घर के खर्चे चलाते थे. इसलिए उन्होंने बड़े होने के नाते परिवार की जिम्मेदारी को संभाला और इस काम में हाथ बंटाया. आज वह अपने यहां कांच की प्लेट पर अलग-अलग तरह की आकृतियां बनाते हैं. भगवान की आकृतियां बनाकर उन्हें ऑर्डर पर भेजते हैं. यह आकृतियां देखने में भी काफी खूबसूरत लगती हैं. इन पर गोल्ड की पॉलिश से कारीगरी की जाती है, जिन्हें पूरे भारत में भेजा जाता है. पिता की कुर्सी पर बैठकर नहीं करते बिजनेस हैंडीक्राफ्ट कारोबारी दीपक जैन ने बताया के उनके पिता का देहांत होने के बाद सारी जिम्मेदारी उनपर आ गई.  उनके परिवार में 4 छोटी बहन थी, जिनकी शादियों का भी जिम्मा था. इसलिए उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी नौकरी की तैयारी नहीं की और घर की जिम्मेदारी को निभाते हुए बहनों की शादी की और पिता के छोटे से कारोबार को आगे बढ़ाया. आज भी पिता की कुर्सी पर नहीं बैठते उन्होंने बताया कि आज भी वह गोदाम पर पिता की कुर्सी पर नहीं बैठते हैं. उनका कहना है कि वह पिता के सम्मान के लिए कभी कुर्सी पर नहीं बैठेंगे. वहीं, बताया कि उनके पिता को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा उन्हें कई सारे अवार्ड भी मिल चुके हैं. Tags: Firozabad News, Local18FIRST PUBLISHED : June 28, 2024, 14:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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