यहां जज और वकील के रूप मे हैं भगवान शंकर कान पकड़कर उठक बैठक करते हैं लोग

Shiv Kachari Temple: शिव कचहरी मंदिर के प्रबंधक अमित सिंह बताते हैं कि इस मंदिर के शिवलिंग को ना गिन पाना ही शिव की महिमा है. यहां भक्त आते हैं तो बहुत लोग शिवलिंगों को गिरने की कोशिश करते हैं लेकिन उनकी संख्या हर बार अलग आती है....

यहां जज और वकील के रूप मे हैं भगवान शंकर कान पकड़कर उठक बैठक करते हैं लोग
रजनीश यादव/प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में एक जादुई और अलौकिक शिव मंदिर है. इस मंदिर की महिमा अद्वितीय है. भोलेबाबा का ये अनूठा मंदिर शिव कचहरी के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंगों के बारे में कहा जाता है कि आज तक कोई इनकी सही गिनती नहीं कर पाया है. यही कारण है कि यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बना है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने स्वयं किया था. सावन में कांवड़ियों की भीड़ यहां पर खूब बढ़ जाती है. यह है पौराणिक इतिहास पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव कचहरी मंदिर का निर्माण भगवान राम ने वनवास के दौरान किया था. कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के आदेश पर इस शिवलिंग की स्थापना की थी. इस मंदिर को लेकर कई धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएं हैं जो इसे और भी रहस्यमय और आकर्षक बनाती हैं. शिवलिंग का रहस्य मंदिर में स्थापित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि इसे आज तक कोई सही नहीं गिन पाया है. श्रद्धालुओं का कहना है कि इस शिवलिंग की गहराई अनंत है और इसे मापना असंभव है. कई प्रयासों के बावजूद, किसी को भी इसका अंत नहीं मिल पाया है. यही कारण है कि इसे ‘अजिन शिवलिंग’ भी कहा जाता है. शिव कचहरी मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना के लिए आते हैं. सावन महीने में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है जिसमें, भाग लेने के लिए देश-विदेश से भक्तगण आते हैं. मान्यता है कि यहां की गई पूजा और प्रार्थना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर के प्रबंधक अमित सिंह बताते हैं कि यहां आने वाले शिव भक्तों ने कई बार यहां मौजूद शिवलिंगों की संख्या को गिनने का प्रयास किया है लेकिन, हर बार संख्या अलग-अलग आती है. कोई 277 तो कोई 285 शिवलिंग बताता है. कुछ ने 300 के ऊपर शिवलिंग भी गिने हैं. इसे भगवान शिव की महिमा माना जाता है. भगवान को कभी ना कोई बढ़ सकता है ना कोई गिन सकता है. बस उनका भक्ति की जा सकती है. इनमें एक पंचमुखी शिवलिंग मुख्य न्यायाधीश के रूप में हैं और बाकी शिवलिंग जज और वकील के रूप में हैं. शिव कचहरी मंदिर में भोलेबाबा के भक्त जाने- अनजाने में हुई गलतियों की माफी मांगने और उसका प्रायश्चित करने आते हैं. लोग अलग-अलग तरह से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं. कोई चिट्ठी लिखकर अर्जी लगाता है तो कोई शब्दों के जरिए माफी मांगता है. कोई कान पकड़कर अपनी गलती के लिए क्षमा मांगता है तो कोई उठक-बैठक करता है. मान्यता है कि शिव कचहरी मंदिर में भोले भंडारी की अदालत लगती है. यहां वह खुद न्यायाधीश यानी जज के रूप में विराजमान हैं. भोलेनाथ इस अनूठी कचहरी में जज के रूप में रहते हैं, लेकिन वह बहुत दयालु भगवान हैं. ऐसे में वह गलती मान लेने वालों को माफ कर देते हैं. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 14:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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