बिहार का शोक कोसी Mt एवरेस्ट के लिए बनी वरदान कैसे लगातार बढ़ाती जा रही ऊंचाई

हाल ही में माउंट एवरेस्ट की बढ़ती ऊंचाई पर शोध हुआ. वैज्ञानिकों को मिला की इसकी लगातार बढ़ती ऊंचाई में इसकी नदी प्रणाली का अधिक योगदान है. वैज्ञानिकों ने खुलासा किया बिहार का शोक कोसी नदी का भी इसकी ऊंचाई बढ़ाने में बड़ा योगदान रहा है.

बिहार का शोक कोसी Mt एवरेस्ट के लिए बनी वरदान कैसे लगातार बढ़ाती जा रही ऊंचाई
नई दिल्ली. दुनिया के सबसे ऊंची माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है. लगभग 50 मिलियन साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप जब यूरेशियन प्लेट से टकराया था, तब हिमालय का निर्माण हुआ था. तब से लगातार इसकी ऊंचाई बढ़ती जा रही है. बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इसकी ऊंचाई बढ़ाने में एक नदी का खासा योगदान रहा है. पहले तो अरुण नदी, जो कलांतर में कोसी में मिल गई, का हिमालय की ऊंचाईं बढ़ाने में योगदान देते रहा. दरअसल, हिमालयी नदियों का नेटवर्क पिछले 89 हजार सालों से इसकी निचले हिस्सों को काट कर अपनी घाटी का निर्माण करती रही हैं. इसके वजह से हिमालय का द्रव्यमान लगातार कम होते जाता है. बाकी का रहा सहा काम टेक्टोनिक फोर्स कर देता है. चूंकि, नदियों के काटने से हिमालय का द्रव्यमान कम होते जाता है, जिसके वजह से टेक्टोनिक फोर्स हिमालय पर ऊपर की ज्यादा बल लगा पाते हैं. इसकी ऊंचाई साल दर सार बढ़ती जाती है. टेक्टोनिक बल क्या होता है आगे बढ़ने से पहले आपको टेक्टोनिक बल के बारे में बता दें. टेक्टोनिक फोर्स तीन तरीके के होते हैं- अपसारी, अभिसारी और रूपांतरित बल. अपसारी टेक्टोनिक बल में जब दो प्लेट एक दूसरे से अलग होती हैं. इससे उस भूभाग पर गहरे घाटी का निर्माण होता है. जैसे कि नर्मदा वैली घाटी. अभिसारी टेक्टोनिक बल में दो टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे की तरफ आते जाते हैं. इसी बल की हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ है. रूपांतरित टेक्टोनिक बल दो प्लेटें एक दूसरे के साथ रगड़ करती हैं. यहां न तो किसी बल का निर्माण होता है ना ही नष्ट होता है. इससे धरती पर फॉल्ट का निर्माण होता है. कैलिफोर्निया में बना सैन एंड्रियास फॉल्ट एक ट्रांसफॉर्म बाउंड्री का बड़ा एग्जांपल है. नदियों के अपरदन का अहम योगदान हिमालय की बढ़ती ऊंचाई पर एक नया शोध किया गया. जैसे-जैसे नदियों के अपरदन से हिमालय का द्रव्यमान कम होता है, इसपर धरती के मेंटल से ऊपर की ओर धक्का मिलता है, जिसके कारण यह सामान्य गति से अधिक गति बढ़ता है. 8,849 मीटर ऊंचा माउंट एवरेस्ट पृथ्वी का सबसे ऊंचा पर्वत है और यह हिमालय की दूसरी सबसे ऊंची चोटी से लगभग 250 मीटर ऊंचा है. आपको बता दें कि जब हिमालय की दो नदियां कोसी और अरूणा एक दूसरे से मिलीं तो एक बड़ा नेक बन गया और दोनों ने हिमालय से एक बड़े अमाउंट में मिट्टी को बहा दिया. हर साल 2 मिलीमीटर बढ़ती है ऊंचाई इन नदियों की वजह से हिमालय का एक बहुत बड़ा भूभाग के नष्ट हो कर इनके साथ बह गया. जिससे पहाड़ हल्का हो गया और यह हर साल 2 मिलीमीटर तक ऊपर की ओर उछलता रहा. पिछले 89 हजार सालों में इसकी ऊंचाई 15 से 50 मीटर के बीच बढ़ती रही है. लेटेस्ट रिसर्च में क्या पता चला यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के रिसर्च में बताया गया है कि माउंट एवरेस्ट मिथक और किंवदंती का यह एक ऐसा पर्वत है जो आज भी बढ़ रहा है. हमारे शोध से पता चलता है कि जैसे-जैसे पास की नदी प्रणाली गहरी खाई बनाती है, पहाड़ और ऊपर की ओर उछलता जाता है. यह आइसोस्टेटिक रिबाउंड नामक प्रभाव के कारण होता है. जहां पृथ्वी की पपड़ी का एक हिस्सा जब द्रव्यमान खो देता है, वह ऊपर की ओर झुकता है और “तैरने” लगता है. यह इलिए होता है क्योंकि द्रव्यमान के नुकसान के बाद धरती के नीचे के तरल मेंटल का तीव्र दबाव धरती गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक होता है. Tags: Mount EverestFIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 11:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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