धान की फसल में डाल रहे नीम और लहसुन का अर्क इन 4 बातों का रखें ध्यान!

कृषि एक्सपर्ट विवेक कुमार ने बताया कि लहसुन और नीम के अर्क में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फसल को सड़न और कीटों से बचाने में मदद करते हैं.नीम और लहसुन के अर्क को एक साथ मिलाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. अगर इन बातों पर ध्यान नहीं दिया तो फसल को नुकसान हो सकता है.

धान की फसल में डाल रहे नीम और लहसुन का अर्क इन 4 बातों का रखें ध्यान!
रायबरेली. कृषि के क्षेत्र में प्राकृतिक और जैविक उपायों का उपयोग बढ़ता जा रहा है. धान की फसल में सड़न और कीटों से बचाने के लिए किसान अक्सर लहसुन और नीम के अर्क का उपयोग करते हैं. हालांकि सही घोल और उचित मात्रा का उपयोग न करने पर फसल बर्बाद हो सकती है. कृषि एक्सपर्ट ने इसके उपयोग के सही तरीका और सावधानियों के बारे में पूरी जानकारी दी है. रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्राविधिक सहायक विवेक कुमार (Msc Ag इलाहाबाद विश्वविद्यालय) बताते हैं कि लहसुन और नीम के अर्क में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फसल को सड़न और कीटों से बचाने में मदद करते हैं. इनका उपयोग जैविक कीटनाशक के रूप में होता है, जो पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है. ऐसे करें अर्क तैयार विवेक कुमार ने बताया कि नीम और लहसुन का अर्क तैयार करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं. 1.नीम का अर्क: 1 किलो नीम के पत्तों को पीसकर 10 लीटर पानी में 24 घंटे के लिए भिगो दें. इसके बाद इसे छानकर अर्क तैयार करें 2.लहसुन का अर्क: 250 ग्राम लहसुन को पीसकर 5 लीटर पानी में मिलाएं और 12 घंटे के लिए भिगो दें. इसे छानकर अर्क तैयार करें. कैसे तैयार करें संतुलित मिश्रण? विवेक कुमार ने बताया कि नीम और लहसुन के अर्क को एक साथ मिलाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.10 लीटर नीम के अर्क और 5 लीटर लहसुन के अर्क को 100 लीटर पानी में मिलाएं. इस घोल का उपयोग सुबह या शाम के समय करें जब तापमान कम हो. इससे फसल पर घोल का अधिकतम प्रभाव पड़ेगा और पत्तियों को नुकसान नहीं होगा. इन 4 बातों का रखें ध्यान 1.मात्रा का ध्यान : घोल में सही मात्रा का ध्यान रखें. अधिक मात्रा में अर्क का उपयोग करने से पत्तियों पर जलन हो सकती है. 2.टेस्ट स्प्रे: बड़े पैमाने पर उपयोग से पहले छोटे हिस्से पर टेस्ट स्प्रे करें. यदि कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखता, तो पूरे खेत में उपयोग करें। 3.ताजगी: ताजे अर्क का उपयोग करें. पुराने अर्क का प्रभाव कम हो सकती है. 4. अन्य रसायनों का उपयोग : इस घोल के साथ अन्य रसायनों का उपयोग न करें, क्योंकि यह रासायनिक प्रतिक्रिया कर सकता है और फसल को नुकसान पहुंचा सकता है. Tags: Agriculture, Local18, Rae Bareli News, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 18:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed