काम छोड़कर बार-बार कोर्ट नहीं आ सकते महिला ने HC से मुकदमा लिया वापस
काम छोड़कर बार-बार कोर्ट नहीं आ सकते महिला ने HC से मुकदमा लिया वापस
Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट में महिला ने जज साहब से केस वापस लेने का आग्रह किया और उनका अनुरोध मान भी लिया गया. हालांकि कोर्ट में केस वापस लेने का उनका कारण....
नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट में एक महिला ने कोर्ट में आपराधिक मामला दायर किया था, लेकिन मुकदमे के चलते बार बार कोर्ट आने के तनाव और थकावट के चलते महिला ने केस वापस ले लिया. अपनी तरह के इस अनोखे मामले को लेकर हाई कोर्ट ने कहा कि जब आप मामले को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट नहीं आ सकते, तो इसे ‘मुकदमेबाजी की थकान’ कहते हैं.
दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में महिला द्वारा दायर किए गए एक आपराधिक मामले को वापस लेने की अनुमति दे दी. क्योंकि, शिकायतकर्ता ने कोर्ट को यह संकेत दिया था कि वह अदालत की सुनवाई में भाग लेने के लिए काम छोड़कर थक गई है. जिस समय शिकायतकर्ता और आरोपी (जोकि याचिकाकर्ता था) दोनों ने ही क्रिमिनल केस को निपटाने की अनुमति के लिए दिल्ली के हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तब ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही चल रही थी. तब शिकायतकर्ता ने कोर्ट में कहा, ‘कोर्ट में बार-बार काम छोड़कर नहीं आया जा सकता.’ इसी के साथ शिकायतकर्ता महिला ने कोर्ट से मामला वापस लेने की अनुमति देने की गुजारिश की.
केस वापस लेने को लेकर कोर्ट ने की यह टिप्पणी….
बार एंड बेंच वेबसाइट के मुताबिक, मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति अनूप भंभानी ने कहा कि यह मुकदमेबाजी की थकान का नतीजा है. उन्होंने कहा, अब 10 में से 7 मामलों में केस वापस लेने का असली कारण यही है. इसे ही आप मुकदमेबाजी की थकान कहते हैं और आप केस को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कोर्ट नहीं आ सकते. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं लगता कि केस वापस लेने का यही इकलौता कारण है. न्यायाधीश ने कहा, शिकायतकर्ता महिला जिरह के दौर में एफआईआर भी वापस ले रही हैं क्योंकि वह जानती हैं कि आप (यानी याचिकाकर्ता) उसे और शर्मिंदा करेंगे.
पिटीशन दायर करने वाले को कहा, लागत का खर्च उठाएं
न्यायालय ने भले ही मामले को वापस लेने की अनुमति दी लेकिन यह भी कहा कि आरोपी-याचिकाकर्ता लागत का भुगतान करें. न्यायालय ने कहा कि यह साफ है कि केस वापस लेने के दो कारण हैं. पहला यह कि मामले को आगे बढ़ाने में समय लगता है और दूसरा यह कि जांच के दौरान उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को खर्च उठाने का निर्देश दिया.
हालांकि याचिकाकर्ता ने लागत न लगाने की गुजारिश की लेकिन बेंच राजी नहीं हुई. न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा, लागत देनी पड़ेगी. नहीं तो मामला चलता रहेगा. मामले के निपटारे की शर्त के रूप में याचिकाकर्ता को कोर्ट ने 10,000 रुपये चुकाने के लिए कहा है.
Tags: DELHI HIGH COURT, Delhi newsFIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 14:56 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed