निजी खुन्नस जज को पड़ गई भारी हाईकोर्ट ने लगाई फटकार दे दी बहुत बड़ी नसीहत

सीजेएम बांदा को हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है और नसीहत भी दी है. दरअसल, बांदा सीजेएम ने जज के धौंस में अपने निजी हित के लिए बिजली कर्मियों के खिलाफ मुकदमा लिखा दिया था. यह मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तब कोर्ट ने सीजेएम बांदा के आचरण पर तीखी टिप्पणी भी है.

निजी खुन्नस जज को पड़ गई भारी हाईकोर्ट ने लगाई फटकार दे दी बहुत बड़ी नसीहत
विकाश कुमार/ बांदा : उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के सीजेएम को निजी हित में दरोगा को धमका कर बिजली कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना महंगा पड़ गया है. प्रयागराज हाईकोर्ट ने पीड़ित बिजली कर्मियों की याचिका पर दर्ज एफआईआर को रद्द कर बांदा सीजेएम को कड़ी फटकार लगाई है और एफआईआर निरस्त करने के निर्देश दिए हैं. बिजली बिल बकाया पर भेजी गई थी नोटिस बांदा में तैनात सीजेएम भगवान दास गुप्ता ने लखनऊ के अलीगंज मुहल्ले में एक मकान खरीदा था. उस मकान का लाखों रुपए बिजली वसूली बकाया था. विभाग ने बिजली बिल बकाया का नोटिस भेजा तो सीजेएम भगवान दास गुप्ता ने मकान बेचने वाले और बिजली विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अदालत में केस कर दिया. इस पर लखनऊ के सिविल कोर्ट के जज ने समन जारी किया लेकिन, बाद में कोर्ट ने समन वापस ले लिया और यह कानूनी लड़ाई सीजेएम भगवान दास हाईकोर्ट तक हारते गए. निजी हित के लिए सीजेएम ने दर्ज करवाई थी रिपोर्ट एक के बाद एक हार मिलने से बौखलाए सीजेएम भगवान दास गुप्ता ने अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए निजी हित में बांदा कोतवाली के इंस्पेक्टर दान बहादुर को धमका कर लखनऊ के बिजली विभाग के अधिशाषी अभियंता मनोज कुमार गुप्ता, एसडीओ फैजुल्लागंज,दीपेंद्र सिंह और संविदा कर्मी राकेश प्रताप सिंह के खिलाफ कोतवाली बांदा में मुकदमा दर्ज करा दिया. इससे बिजली विभाग के पीड़ित कर्मियों ने बांदा में दर्ज एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में चैलेंज कर दिया. हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति एम ए एच इदरीसी की बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में एस.आई.टी जांच के आदेश दे दिए. जांच में सीजेएम बांदा द्वारा लगाए आरोप में किसी भी अपराध का खुलासा नहीं हो पाया और याचिकाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई केस नहीं बना. इस पर हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति एम ए एच इदरीसी की खंड पीठ ने बांदा के सीजेएम भगवान दास गुप्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए याचिकाओं पर दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए बांदा सीजेएम भगवान दास के खिलाफ तीखी टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने की तीखी टिप्पणी उन्होंने कहा है कि बांदा सीजेएम जज बने रहने के लायक नही हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को आदेश देते हुए कहा कि अधीनस्थ अदालत का कोई भी जज बिना जिला जज की सहमति व विश्वास में लिए व्यक्तिगत हैसियत से अति गंभीर अपराधों के अलावा अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज न कराये. कोर्ट ने ऐसा आदेश सभी अदालतों में सर्कुलेट करने का रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया है. कोर्ट ने जजों के व्यक्तित्व, पद की गरिमा और उच्च आदर्शों का उल्लेख करते हुए सी जे एम बांदा भगवान दास गुप्ता के आचरण को लेकर तीखी टिप्पणी की है. कहा गया कि वह बकाया बिजली बिल भुगतान की कानूनी लड़ाई हारने के बाद अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए एफआईआर दर्ज कराई गई है. कोर्ट ने कहा कि एक जज की तुलना अन्य प्रशासनिक पुलिस अधिकारियों से नहीं की जा सकती. हालांकि जज भी अन्य अधिकारियों की तरह लोक सेवक है लेकिन, ये न्यायिक अधिकारी नहीं जज हैं, जिन्हें भारतीय संविधान से संप्रभु शक्ति का इस्तेमाल करने का अधिकार प्राप्त है. कोर्ट ने दिया एक किताब का हवाला कोर्ट ने कहा एक जज का व्यवहार, आचरण, धैर्यशीलता व स्वभाव संवैधानिक हैसियत के अनुसार होना चाहिए. इनकी तुलना समाज में शासन‌ की नीति लागू करने वाले अधिकारियों से नहीं की जा सकती. कोर्ट ने पूर्व चीफ जस्टिस आर सी लहोटी की किताब का उल्लेख करते हुए कहा कि जज जो सुनते हैं, देख नहीं सकते, और जो देखते हैं, उसे सुन नहीं सकते. कोर्ट ने कहा कि जज की अपनी गाइडलाइंस हैं. कोर्ट ने चर्चिल का उल्लेख करते हुए कहा कि जजों में दुख सहन करने की आदत होनी चाहिए और जजों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और उनका व्यक्तित्व उनके फैसलों से दिखाई पड़ना चाहिए. Tags: Local18FIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 21:17 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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