US के जख्म से कराह रहा था चीन तभी मोदी ने छिड़का नमक अब तो ड्रैगन तिलमिलाएगा

China News: तिब्बत पर चीन की अब हर चाल फेल होने वाली है. तिब्बत पर अमेरिका ने अपना सबसे बड़ा दांव चल दिया है. तिब्बत विधेयक पारित करवा कर चीन को अमेरिका ने करारा जवाब दिया है. अब पीएम मोदी ने भी चीन के जख्मों पर नमक छिड़का है. चलिए जानते हैं आखिर क्या है यह पूरी कहानी.

US के जख्म से कराह रहा था चीन तभी मोदी ने छिड़का नमक अब तो ड्रैगन तिलमिलाएगा
नई दिल्ली: तिब्बत पर अमेरिका की चाल से चीन तिलमिलाया हुआ है. चीन को अमेरिका ने ताबड़तोड़ जख्म दिए हैं. इन जख्मों से ड्रैगन अभी कराह ही रहा था कि पीएम मोदी ने उन जख्मों पर नमक छिड़क दिया. पीएम मोदी की एक तस्वीर आई है. उस तस्वीर को देख चीन पूरी तरह से छटपटा उठेगा. उसके पास हाथ मलने के अलावा कोई और चारा नहीं है. अमेरिका पहले ही उसकी गुहार पर ठेंगा दिखा चुका है. चीन बार-बार कहता रहा कि अमेरिकी सांसदों का ग्रुप तिब्बत में दलाई लामा से न मिले. मगर अमेरिका ने चीन की एक न सुनी. अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल चीन की गुहार और चेतावनी को दरकिनार कर दिया. चीन को क्यों लग रही मिर्ची? पहले समझते हैं कि अमेरिका ने चीन को ताबड़तोड़ दो जख्म कैसे दिए. अमेरिका चीन को अलग-थलग करने में जुटा है. अमेरिका तिब्बत के पक्ष में खुलकर खेल रहा है. वह यह दिखाना चाहता है कि तिब्बत के लोगों के साथ अमेरिका मजबूती से खड़ा है. अमेरिका चाहता है कि चीन का तिब्बत में कोई दखल न हो. यही वजह है कि अमेरिका ने ‘तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम 2020’ पारित कर दिया है. तिब्बत पर यह अमेरिका की आधिकारिक नीति है कि दलाई लामा का उत्तराधिकार एक पूर्णतः धार्मिक मुद्दा है, जिस पर केवल दलाई लामा और उनके फॉलोअर्स ही फैसला ले सकते हैं. इस पर अब केवल जो बाइडन के सिग्नेचर का इंतजार है. तिब्बत मामले पर अमेरिका ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है. दलाई लामा के उत्तराधिकारी की बात सुन भड़क उठा चीन, इतिहास की याद दिला चेताया- हमारा कानून मानना होगा अमेरिका ने दिए गहरे जख्म अमेरिका ने दिए जख्म दिलचस्प बात यह है कि चीन बार-बार अमेरिका को ऐसा नहीं करने के लिए चेताता रहा. चीन इस तिब्बत वाले बिल का विरोध करता रहा. उसने तो जो बाइडन से इस पर सिग्नेचर नहीं करने की गुहार तक लगाई और फिर बाद में गिदड़भभकी भी दी. चीन ने कहा कि तिब्बत उसका अंदरुनी मसला है और उसने अमेरिका को दखल देने के खिलाफ धमाकाया. मगर चीन की इन धमकियों का अमेरिका पर कुछ असर नहीं हुआ. तुरंत ही अमेरिका ने चीन को दूसरा जख्म दे दिया. दूसरा जख्म था अमेरिकी सांसदों का धर्मशाला में दलाई लामा से मिलना. चीन बार-बार चेता रहा था कि अमेरिकी सांसदों का ग्रुप दलाई लामा से न मिले, मगर उसके लाख चाहने के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया. मैककॉल की अगुवाई में अमेरिकी सांसदों का ग्रुप बुधवार को धर्मशाला में दलाई लामा से मिला. इस ग्रुप में मैककॉल के अलावा छह और प्रमुख सदस्य शामिल थे- नैन्सी पेलोसी, मैरिएनेट मिलर, ग्रेगरी मीक्स, निकोल मैलियोटैकिस, जिम मैकगवर्न और एमी बेरा. मोदी की तस्वीर मतलब जख्म पर नमक अमेरिका के इन दोनों वार की दर्द से चीन अभी कराह ही रहा था कि एक तस्वीर सामने आ गई. इसे देखकर पक्का चीन की छाती पर सांप लोट जाएगा. जी हां, धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मिलने के बाद अमेरिकी सांसदों का डेलिगेशन सीधे दिल्ली पहुंचा. गुरुवार को इन सभी सांसदों ने पीएम मोदी से मुलाकात की. पीएम मोदी और अमेरिकी सांसदों के मुलाकात वाली तस्वीर सामने आई है. इस तस्वीर को देखर छटपटा उठेगा. इसकी वजह है कि तिब्बत पर भारत का स्टैंड अमेरिका जैसा ही है. भारत भी तिब्बत की आजादी का पक्षधर रहा है. पीएम मोदी संग अमेरिकी सांसदों की टीम. तिब्बत पर क्यों तिलमिलाया चीन तिब्बत को चीन अपना हिस्सा मानता है. तिब्बत के लोग सालों से आजादी का सपना देख रहे हैं. अमेरिका ने बिल पास करके चीन को यही संदेश देने की कोशिश की है कि वह भी तिब्बत की आजादी का पक्षधर है. यही वजह है कि अमेरिका का तिब्बत के प्रति स्टैंड और अमेरिकी सांसदों का तिब्बत के बाद सीधे पीएम मोदी से मिलना चीन को जरूर खलेगा. अमेरिका और भारत दोनों मानते हैं कि तिब्बती लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है और उन्हें अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने की अनुमति देनी चाहिए. जबकि चीन चाहता है कि उसकी मंजूरी के बगैर तिब्बत में एक पत्ता तक नहीं हिले. चीन दलाई लामा को गद्दार और अलगाववादी मानता है. Tags: America vs china, China, PM Modi, World newsFIRST PUBLISHED : June 21, 2024, 12:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed