भारत का सबसे बड़ा गांव कौन-सा है क्या आप जानते हैं उसका नाम

अगर आपसे पूछा जाए कि भारत या एशिया का सबसे बड़ा गांव कौन-सा है? तो क्या आप बता सकते हैं इसका सही उत्तर? यकीन मानिए कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़ दिया जाए, तो ज्यादातर को इसके बारे में जानकारी नहीं होगी.

भारत का सबसे बड़ा गांव कौन-सा है क्या आप जानते हैं उसका नाम
भारत को गांवों का देश कहा जाता है. एक अनुमान के मुताबिक, आज भी देश की लगभग एक तिहाई आबादी गांव में ही रहती है. हमारे देश की अर्थव्यवस्था और तरक्की में भारत के गांवों का बहुत बड़ा योगदान है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां के गांव में आज भी लोगों की जीविका का मुख्य स्त्रोत खेतीबाड़ी ही है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि असली भारत गांवों में बसता है. लेकिन अगर आपसे यह पूछा जाए कि देश का सबसे बड़ा गांव कौन-सा है? जो न सिर्फ देश का बल्कि पूरे एशिया में सबसे बड़ा है? तो क्या आप इसका जवाब जानते हैं? यकीन मानिए, ज्यादातर लोगों को इसके बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं होगी. ऐसे में बता दें कि यह गांव उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में है, जिसका नाम है गहमर. गहमर को एशिया का सबसे बड़ा गांव कहा जाता है, जहां की जनसंख्या तकरीबन 1 लाख 20 हजार से ज्यादा है. वहीं, इस गांव में 25 हजार के करीब मतदाता हैं. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन बता दें कि यह गांव न सिर्फ देश और एशिया में सबसे बड़ा होने की वजह से पॉपुलर है, बल्कि इसके पीछे एक और वजह है. दरअसल, इस गांव के लगभग 12 हजार फौजी भारतीय सेना में कार्यरत हैं. इनमें से कोई सीपाही है, तो कोई कर्नल. इसके अलावा गांव में 15 हजार से ज्यादा रिटायर्ड फौजी भी हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस गांव में हर घर से कोई न कोई फौज में जरूर है या रहा है. यहां कई ऐसे परिवार हैं, जिसमें दादा भूतपूर्व सैनिक हैं तो बेटा सेना का जवान. वहीं, पोता भी फौज में जाने की तैयारी कर रहा है. यहां का हर युवा आज भी फौजियों के गांव की इस परम्परा की विरासत को पूरे जिम्मेदारी से संभाले हुए हैं. गाजीपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर गंगा के बिल्कुल किनारे बसा गहमर 8 वर्गमील में फैला हुआ है. इस गांव से होकर ही मुगलसराय से पटना जाने वाली ट्रेनें गुजरती हैं. यह गांव कुल 22 पट्टियों या टोले में बंटा हुआ है, जिसके हर पट्टी का नाम किसी पूर्व सैनिक के नाम पर है. उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक, इस गांव को सन् 1530 में कुसुम देव राव ने सकरा डीह नाम के जगह पर बसाया था. गहमर में ही प्रसिद्ध कामख्या देवी मंदिर भी है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत बिहार के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है. पहले और दूसरे विश्वयुद्ध से लेकर 1965, 1971 तथा कारगिल की लड़ाई में भी यहां के फौजियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. बताया जाता है कि विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों की फौज में गहमर के 228 सैनिक शामिल थे, जिनमें 21 मारे गए थे. गांव में आज भी इनकी याद में एक शिलालेख लगा हुआ है. कभी सेना लगाती थी आर्मी भर्ती शिविर ऐसा कहा जाता है कि देश और एशिया के इस सबसे बड़े गांव में हर घर से फौजी थे. ऐसे में यहां के लड़कों के लिए अलग से गांव में ही आर्मी भर्ती शिविर लगाया जाता था. लड़के सीधे गांव से ही आर्मी में नौकरी पा जाते थे. लेकिन 1986 के बाद से गांव के लिए स्पेशल आर्मी बहाली की प्रक्रिया को बंद कर दिया गया. ऐसे में अब यहां के लड़के सेना में भर्ती होने के लिए लखनऊ, रूड़की, सिकंदराबाद सहित अन्य जगहों पर जाते हैं. कभी भारतीय सेना ने गहमर गांव के लोगों के लिए सैनिक कैंटीन की भी सुविधा उपलब्ध कराई थी, जहां वाराणसी आर्मी कैंटीन से हर महीने सामान गहमर जाता था. लेकिन सालों पहले इसे भी बंद कर दिया गया. हालांकि, गहमर भले ही एक गांव है, लेकिन यहां पर शहर की तरह हर सुविधा उपलब्ध है. कॉलेज से लेकर हॉस्पिटल तक मौजूद है. Tags: Ghazipur news, Khabre jara hatke, OMG News, Shocking news, Weird newsFIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 13:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed