किसानों के लिए वरदान होगा यह कीटनाशक औषधीय पौधों से किया है तैयार
किसानों के लिए वरदान होगा यह कीटनाशक औषधीय पौधों से किया है तैयार
डॉ. नरेंद्र का यह पेस्टीसाइड छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है. इसकी कीमत प्रति मिलीमीटर मात्र 20 से 25 रुपये होगी, जिससे एक क्विंटल अनाज का सुरक्षित भंडारण संभव हो सकेगा.
रजत भट्ट: गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोधार्थी डॉ. नरेंद्र कुमार द्वारा विकसित किया गया प्राकृतिक बॉटेनिकल पेस्टीसाइड किसानों के लिए एक बड़ी सौगात साबित हो सकता है. यह अनाज भंडारण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जो न केवल अनाज को 36 प्रकार के कीड़ों और फंगस से बचाएगा, बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सस्ती और प्रभावी तकनीक
डॉ. नरेंद्र का यह पेस्टीसाइड छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है. इसकी कीमत प्रति मिलीमीटर मात्र 20 से 25 रुपये होगी, जिससे एक क्विंटल अनाज का सुरक्षित भंडारण संभव हो सकेगा. इसकी यह विशेषता इसे बाजार में मौजूद रासायनिक कीटनाशकों से अलग और सस्ता बनाती है.
औषधीय पौधों से किया है तैयार
यह कीटनाशक औषधीय पौधों जैसे टिनोस्पोरा कार्डिफोलिया, सीजेजियम एरोमेटिकम, टेजेटिस इरेक्टा आदि से तैयार किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण में सहायक है. इसके इस्तेमाल से पारंपरिक रासायनिक कीटनाशकों जैसे सल्फास और ईडीसीटी एंपुल पर किसानों की निर्भरता घटेगी. यह एक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल विकल्प के रूप में उभर रहा है.
अनाज भंडारण में नए युग की शुरुआत
डॉ. नरेंद्र ने अपने शोध को पेटेंट के लिए फाइल कर दिया है, जो उन्हें गोरखपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त करने में सहायक साबित हुआ. उन्होंने इस उत्पाद को तीन प्रमुख कीटों और 33 प्रकार के फंगस से अनाज को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया है, जिससे अनाज की गुणवत्ता में कमी नहीं आएगी. उनके शोध पत्रों का प्रकाशन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स जैसे नेचर साइंटिफिक, मेडिशनल प्लांट, जर्नल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट्स में हो चुका है.
पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता
शोध निर्देशक प्रो. वीएन पांडेय का कहना है कि इस प्राकृतिक कीटनाशक का पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसे औषधीय पौधों से तैयार किया गया है, जो इसे पारंपरिक रासायनिक कीटनाशकों का प्रभावी और सुरक्षित विकल्प बनाता है. गोरखपुर से शुरू हुआ यह नवाचार जल्द ही किसानों की नई उम्मीद बन सकता है, जो उन्हें सुरक्षित अनाज भंडारण और बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में प्रेरित करेगा.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 16:42 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed