मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को आम जनता की अंतिम संस्कार के लिए सुनवाई करते हुए बड़ा बयान दिया है. कोर्ट मुंबई के पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान की मांग संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने अपना बयान देते हुए कहा कि एक मृत व्यक्ति का सम्मानजनक अंतिम संस्कार का अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों की तरह ही महत्वपूर्ण है. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की लेट लतीफी पर नाराजगी जताते हुए पूछा कि क्या लोगों को दफनाने के लिए ‘मंगल ग्रह पर जाना चाहिए’.
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान बीएमसी को जमकर लताड़ लगाई. उसने पूछा कि आपको नवंबर में कब्रिस्तान के लिए नये जगह की खोज के लिए कहा गया था, लेकिन आप अभी तक जमीन ढूंढ नहीं पाई है. चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने दो वर्ष से अधिक समय से पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान उपलब्ध कराने में उदासीन रवैये के लिए बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के प्रति नाराजगी जताई.
पीठ ने कहा कि मृतकों के सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराना महानगरपालिका का वैधानिक कर्तव्य और दायित्व है, अधिकारी इस संबंध में अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. कोर्ट ने कहा, ‘एक मृत व्यक्ति का सभ्य तरीके से और सम्मानजनक अंतिम संस्कार पाने का अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों के बराबर ही महत्वपूर्ण है.’
अदालत गोवंडी उपनगर के तीन निवासियों शमशेर अहमद, अबरार चौधरी और अब्दुल रहमान शाह की एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मुंबई के पूर्वी उपनगरों के लिए अतिरिक्त कब्रिस्तान की मांग की गई है.
Tags: Bombay high courtFIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 23:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed