आईवीआरआई संस्थान बरेली में होगा पशुओं के स्केलेटन पर रिसर्च

Deemed University in Bareilly: बरेली में डीम्ड यूनिवर्सिटी की शुरुआत 1983 में यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालय का दर्जा देने के बाद हुआ. आज यह विश्वविद्यालय छात्रों क 22 विषयों में मास्टर डिग्री और 19 विषयों में डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान कर रहा है. विश्वविद्यालय में पशुओं की हड्डियों पर विद्यार्थियों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है.

आईवीआरआई संस्थान बरेली में होगा पशुओं के स्केलेटन पर रिसर्च
विकल्प कुदेशिया/बरेली: नाथनगर बरेली की पहचान है. यहां की (आईवीआरआई) डीम्ड यूनिवर्सिटी को 1983 में यूजीसी द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था. जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अपनी प्रतिष्ठा के साथ आईवीआरआई डीम्ड विश्वविद्यालय 22 विषयों में मास्टर डिग्री और 19 विषयों में डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान कर रहा है. पशुओं की हड्डियों पर रिसर्च वहीं, 2015 से 20 छात्रों के प्रवेश के साथ स्नातक डिग्री कार्यक्रम (बीवीएससी एंड एएच) भी शुरू किया गया है. जिसके लिए आईवीआरआई अपने प्रशिक्षण में छात्र छात्राओं के लिए मरे हुए पशुओं की हड्डियों के ढांचे पर रिसर्च कर रहा है. यहां संस्थान में एक बड़ी लैब के साथ छात्र-छात्राओं के लिए पशुओं के शरीर की हड्डियों से पशु की वास्तविकता के बारे में रिसर्च किया जाता है. जहां रिसर्च में यह पता चलता है कि यह हड्डियां किस पशु की. जिसके लिए बरेली के एक प्रोफेसर ने (एनाटॉमिक विभाग) भी बनाया है, जिसमें हर तरह के पशुओं के स्केलेटन उपलब्ध हैं. सीनियर प्रोफेसर ने बताया सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर अमरपाल ने लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि वह एक प्रोफेसर के साथ-साथ प्रिंसिपल, साइंटिस्ट और सर्जन भी हैं, लेकिन उन्हें 2015 को बीबीएससी के एक कार्यक्रम में उन्हें एक एनाटॉमी विभाग को बनाने की जिम्मेदारी सौंप गई थी. जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही उन लोगों ने इस पर कार्य शुरू कर दिए और यहां पर एनाटोमी का विभाग बना दिया गया लेकिन समय के साथ-साथ हम लोग छात्रों के लिए यहां पर और भी बदलाव कर रहे हैं. पशुओं के कंकाल पर होगा रिसर्च प्रोफेसर ने बताया कि वह अब यहां पर और भी चीज ला रहे हैं.जो की छात्रों की पढ़ाई के लिए आवश्यक हैं. साथ ही साथ अब यहां आने वाले छात्र-छात्राएं इन कंकालों पर रिसर्च भी कर पाएंगे. इससे उन्हें इन चीजों के बारे में और भी ज्यादा जानकारी मिलेगी. उन्होंने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य छात्रों के जीवन को सफल बनाने के लिए कार्य करना है, जिससे कि छात्र उनका और देश का नाम  रोशन करें. सीनियर प्रोफेसर,डॉक्टर अमरपाल ने हमें खास बातचीत के दौरान बताया कि जब उनके यहां 2015 में बीबीएससी का कार्यक्रम आयोजित कराया गया तो उसमें इन्हें जिम्मेदारी दी गई थी. कि वह यहां पर एक एनाटॉमिक विभाग बनाएं, जिस में वे सभी पशुओं के स्केलेटन को दिखाने के लिए यहां पर लाकर रख सके. सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर अमरपाल बताते हैं कि यहां पर पशुओं के स्केलेटन इसलिए रखे जाते हैं.जिससे कि छात्रों को पता चल सके की शेष शरीर मे क्या क्या पाया जाता है.और छात्रों को इन सभी चीजों की जानकारी देने के लिए उन्होंने यहां पर एक एनाटॉम विभाग को बनाया गया जिसमें बड़े स्तर पर देश-विदेश एवं भारत देश के अन्य राज्यों से आने वाले छात्र एवं छात्राएं यहां पर आकर पशुओं की बीमारी के बारे में और उनके शरीर के ढांचे के बारे में अध्ययन एवं रिसर्च करते हैं. उन्होंने बताया कि इस समय उनके यहां पर गए गाय,चीता,शेर, हाथी, नीलगाय,:ऊंट ,भैंस, कुत्ता,सांप अजगर एवं छात्रों की प्रयोग किए जाने वाले सभी पशु- पक्षी जानवरों के कंकाल यहां पर उपलब्ध हैं. अभी हम लोग और भी चीजों का छात्रों के लिए इंतजाम कर रहे हैं. जिससे कि आने वाले वर्ष में हमारे यहां के सभी छात्र इन चीजों पर प्रैक्टिकल भी कर सके. कहां-कहां से आते हैं बच्चे. सीनियर प्रोफेसर आईवीआरआई डॉक्टर अमरपाल ने हमें बताया कि उनके यहां बच्चे नीट के एग्जाम क्लियर करके आते हैं. जिन बच्चों को हड्डियों के बारे में जानना होता है. वह यहां पर आकर सभी जीवो के हड्डियों के बारे में जान सकते हैं. जीवो के शरीर का ढांचा किस तरह बना होता है. इस सब की जानकारी सभी छात्र ले सकते हैं. इसके अलावा उन्होंने बताया कि उनके यहां बच्चे काफी दूर से आते हैं. यहां तक की पूरे हिंदुस्तान से यहां आकर छात्र पशुओं के हड्डियों के बारे में सीख सकते हैं. अमरपाल बताते हैं कि उनके यहां पर वर्तमान में हरियाणा,उत्तर प्रदेश, बंगाल, मध्य प्रदेश,राजस्थान,अरुणाचल प्रदेश,पंजाब,राजस्थान,तमिलनाडु,कर्नाटक, झारखंड आदि राज्यों के बच्चे यहां आकर अपने स्टडी कर रहे हैं. और भविष्य के अच्छे डॉक्टर और सर्जन बनने की तैयारी कर रहे हैं. आईवीआरआई के इतिहास में भारतवर्ष को कई बड़े सर्जन और कई बड़े वैज्ञानिक भी दिए हैं. FIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 11:07 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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