बांग्लादेश से आई अच्छी खबर मुक्ति योद्धा भारत आएंगे विजय दिवस पर

Bangladesh : बांग्लादेश में ग़दर मचने के पीछे का सबसे बड़ा कारण था सरकारी नौकरी में मुक्ति योद्धाओं के परिवारजनो को आरक्षण दिया जाना था. प्रदर्शन ने हिंसक रूप लिया और बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन तक हो गया.

बांग्लादेश से आई अच्छी खबर मुक्ति योद्धा भारत आएंगे विजय दिवस पर
Bangladesh : इसी साल की शुरुआत से ही बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन रुक रुक कर जारी था. 5 अगस्त के आखिरकार छात्रों और उनकी आढ में जमात ने तख्ता पलट कर दिया. मजबूरन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी जान बचाकर भारत आना पड़ा. शेख हसीना को हटाने के बाद छात्र तो शांत हो गए लेकिन जमात एक्टिव हो गया. लगातार हिंदुओं को खिलाफ अत्याचार और मंदिरों के तोड़े जाने की ख़बरें नहीं आई. लेकिन अब एक अच्छी खबर आ रही है. 1971 की जंग में पाकिस्तान के खिलाफ लड़े मुक्ति योद्धाओ को बांग्लादेश की केयर टेकर सरकार विजय दिवस के मौके पर भारत भेज रही है. पिछले हफ्ते हुए भारत के विदेश सचिव के दौरे का इसे असर कह सकते है. 16 दिसंबर को कोलकाता में होंगे मुक्ति योद्धा हर साल भारत 1971 की जंग को विजय दिवस के तौर पर मनाता है. चूँकि ये लड़ाई पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश बनाए जाने के लिए लड़ी गई थी. हर साल इस जीत के जश्न में बांग्लादेश की तरफ से मुक्तियोद्धा शारीक होते रहे है. मौजूदा हालात में जब भारत और बांग्लादेश के रिश्ते खराब दौर से गुजर रहे हैं तो ये क़यास लगाए जा रहे थे कि हो सकता है कि इस साल से जारी विजय दिवस का जश्न इस बार फीका हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं है. सेना के सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश की सरकार की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा जा रहा है. कोलकाता में भारतीय सेना के इस्टर्न कमांड हेडक्वाटर फ़ोर्ट विलियम में 16 दिसंबर को विजय स्मारक पर 1971 के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे. फ़ोर्ट विलियम में तकरीबन दो घंटे का कार्यक्रम में वो सभी मौजूद रहेंगे. हालाँकि अभी तक इस बात की आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है कि प्रतिनिधिमंडल में मुक्ति योद्धा के अलावा और कौन कौन होगा. पाकिस्तानी जमात को मुंह पर तमाचा पाकिस्तान के दो टुकड़े होने के बाद से ही वो बांग्लादेश में उस दल को निशाना बनाने के लिए लंबे समय से साज़िश रच रहा था जिसकी वजह से एसा हुआ. शेख़ हसीना की सरकार का पतन करा कर वो अपनी साज़िश में काफी हद तक सफल हो गया. शेख हसीना का जाना, भारत के खिलाफ विरोध होना और फादर ऑफ बांग्लादेश कहे जाने वाले मुजिबुर रहमान के स्टैच्यू को तोड़ा जाना. इन सब से पाकिस्तान का कनेक्शन साफ़ हो गया. प्रदर्शन छात्रों का था लेकिन कत्लेआम कोई और ही कर रहे थे. अब तो बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर भी जान की संकट है. अब भी पाकिस्तान का जमात बांग्लादेश में भारत विरोधी गतिविधियों में लगा है लेकिन बांग्लादेश और ऐसे वक्त में 1971 की जंग की जीत के पारंपरिक समारोह में मोहम्मद यूनिस का मुक्ति योद्धाओ को भारत भेजना पाकिस्तानी जमात के तो गले नहीं उतरेगा. Tags: Bangladesh, Bangladesh Liberation WarFIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 01:03 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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