घर में खाना नहीं है तो सस्ते दाम पर बेच रहे टोकरीगरीबी में मजबूर है ये महिला

बनासकांठा के छापी गांव के वादी परिवार की महिलाएं 150 साल पुराने परंपरागत व्यवसाय से बांस से टोकरी बनाकर परिवार का पालन करती हैं. हालांकि, आधुनिक युग में इन टोकरियों की मांग घटने से परिवार आर्थिक संकट में है.

घर में खाना नहीं है तो सस्ते दाम पर बेच रहे टोकरीगरीबी में मजबूर है ये महिला
बनासकांठा जिले में कई छोटे परिवार हैं जो अपने परंपरागत व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. ये परिवार अपने पूर्वजों द्वारा शुरू किए गए व्यवसाय के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते हैं. इसी तरह, बनासकांठा के वडगाम तालुका के छापी गांव में रहने वाले वादी परिवार की महिलाएं भी बांस से छोटी-बड़ी टोकरियाँ बनाकर उन्हें बेचकर अपनी आजीविका कमा रही हैं. आइए जानते हैं, ये टोकरी कितनी कीमत में बेचते हैं और उनकी स्थिति कैसी है. अलग-अलग व्यवसायों से जुड़े हैं बनासकांठा के लोग बनासकांठा जिले में विभिन्न जातियों के लोग निवास करते हैं, जो अलग-अलग व्यवसायों से जुड़े हुए हैं. जिले में कई लोग अपने पुरखों के समय से जुड़े परंपरागत व्यवसाय के अनुसार विभिन्न वस्तुएं बनाते और बेचते हैं, जिससे वे अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं. इसी प्रकार वडगाम तालुका के छापी गांव में वर्षों से वादी परिवार बांस से अलग-अलग डिज़ाइन वाली वस्तुएं बनाने का काम कर रहा है. यह परिवार अब भी विभिन्न आकार की टोकरी बनाकर उसे बेचता है. छापी गांव के वादी परिवार की मेहनत वडगाम तालुका के छापी गांव में रहने वाले 30 से अधिक वादी परिवार बांस से अलग-अलग वस्तुएं बनाने का कार्य वर्षों से करते आ रहे हैं. इन वादी परिवार की महिलाएं किसी भी प्रकार की मशीनरी का उपयोग किए बिना अपने हाथों से नई-नई डिज़ाइन देकर बांस से टोकरी बनाती हैं. कई साल पहले इनकी बनाई टोकरी का बहुत महत्व था, लेकिन आज के आधुनिक युग में इन टोकरियों की मांग में कमी आई है. 150 साल पुराना पारिवारिक व्यवसाय वादी परिवार की महिला गज़ीबेन वादी ने बताया कि उनका परिवार पिछले 150 वर्षों से बांस से अलग-अलग वस्तुएं बनाने का काम कर रहा है. वर्तमान में वे एक बांस 250 से 300 रुपये में खरीदकर उससे विभिन्न आकार की टोकरी बनाकर बेचते हैं, जिससे उन्हें आमदनी होती है. बांस लाने के बाद उससे वस्तुएं बनाना काफी मेहनत का काम होता है. सामान्यतः ये टोकरी 100 से 150 रुपये में बेची जाती हैं, लेकिन कई बार इन्हें बेहद सस्ते में बेचना पड़ता है. आधुनिक युग में कठिनाइयाँ वडगाम के छापी गांव का यह वादी परिवार बांस से नई-नई डिज़ाइन वाली छोटी-बड़ी टोकरियाँ बनाता है. पहले इन टोकरियों की बहुत मांग थी, जिससे परिवार अच्छी तरह से अपनी आजीविका कमा पाता था. लेकिन आज के आधुनिक युग में टोकरियों की मांग घटने के कारण परिवार कठिनाई का सामना कर रहा है. यह वादी परिवार सरकार से उचित प्लेटफार्म देने की मांग कर रहा है ताकि वे अपनी कला और मेहनत को जीवित रख सकें. Tags: Gujarat, Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 17:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed