इस गांव के नामकरण का अद्भुत है इतिहास गौतम बुद्ध से भी है खास कनेक्शन

प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि यह जंगल उस समय के लिए बेहद खास था. लोग पत्ते इकट्ठा कर पत्तल बनाकर पूरे जनपद में पहुंचाते थे. इस प्रकार से ऐसा केवल एक ही वन होने के कारण इस गांव का नाम एकौनी पड़ गया. गौतम बुद्ध के चरण बुद्धत्व प्राप्ति के बाद ही पड़ा, इसलिए लोग इस गांव को गौतम बुद्ध से भी जुड़ा मानते हैं. 

इस गांव के नामकरण का अद्भुत है इतिहास गौतम बुद्ध से भी है खास कनेक्शन
बलिया. उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है, जिसके नामकरण का भी अजीबोगरीब इतिहास है. एक अनोखा जंगल होने के कारण इस गांव का नामकरण हुआ. ऐसी मान्यता है कि बुद्धत्व प्राप्ति के बाद इस जंगल में गौतम बुद्ध के चरण भी पड़े थे. जी हां हम बात कर रहे हैं जनपद बलिया के फेफना थाना क्षेत्र अंतर्गत एकौनी गांव की, जो बहुत पहले एक वृहद घनघोर जंगल हुआ करता था. यह जंगल जनपद के लिए खास और बेहद महत्वपूर्ण था. 7 से 8 किमी में फैला था पलाश का जंगल प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 को बताया एकौनी गांव के नामकरण की बात की जाए तो लगभग 7- 8 किलोमीटर के क्षेत्र में बहुत घना जंगल हुआ करता था. इसके इतिहास की बात करें तो इसे पलाश का जंगल ही कहा जाता था. बलिया के लिए एकमात्र यही जंगल था, जहां पलाश के पेड़ अधिक संख्या में पाए जाते थे. ऐसा कहा जाता है कि सोने की थाली में भोजन करना और पलाश के पत्ते के बने पत्तल में भोजन करना दोनों एक बराबर होता है. ऐसे हुआ इस गांव का नामकरण प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि यह जंगल उस समय के लिए बेहद खास था. गरीब तबके के लोग पत्ते इकट्ठा करते थे और पत्तल बना करके पूरे जनपद में जहां भी बड़े कार्यक्रम होता था, वहां पत्तल पहुंचाते थे. इस प्रकार से ऐसा केवल एक ही वन होने के कारण इस गांव का नाम एकौनी पड़ गया. बोधगया से बुद्धत्व प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध सारनाथ से जब आ रहे थे तो रास्ते में वह बलिया होकर इसी जंगल को पार करके वह गए थे. इस भूमि पर गौतम बुद्ध के चरण बुद्धत्व प्राप्ति के बाद ही पड़ा और आज एक गांव बन गया है. इस प्रकार लोग इस गांव को गौतम बुद्ध से भी जुड़ा मानते हैं. Tags: Ajab Gajab news, Ballia news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 14:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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