2025 के विधान सभा चुनाव में भी नीतीश कुमार का चेहरा ही क्यों चाहती है बीजेपी ये है 5 बड़ी वजह
2025 के विधान सभा चुनाव में भी नीतीश कुमार का चेहरा ही क्यों चाहती है बीजेपी ये है 5 बड़ी वजह
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में जदयू और भाजपा के असहज संबंधों की चर्चा के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी की कोर कमिटी के सदस्यों के साथ मिलकर कई संदेश दिए और स्थिति स्पष्ट कर दी. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी कहा है कि एनडीए गठबंधन में जदयू एक बड़ी सहयोगी है और आगे भी बिहार में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा रहेंगे.
हाइलाइट्सभारतीय जनता पार्टी ने जोर देकर कहा है कि वर्ष 2025 विधान सभा चुनाव में नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ेगीभाजपा की संयुक्त कार्रयकारिणी की बैठक में जेडीयू-बीजेपी के असहज संबंधों की कयासबाजी पर लगा विरामराजनीति के जानकारों की नजर में भाजपा ने नीतीश का नाम आगे कर एक तीर से कई लक्ष्य साधने की कोशिश की
पटना. बिहार की राजनीति में बीजेपी और जेडीयू के बीच के संबंधों को लेकर बीते कुछ महीनों से काफी कुछ कहा गया है. राजनीतिक गलियारे में यही कई कयास लागये जाते रहे कि दोनों ही पार्टियों के बीच असहज स्थिति है और जल्दी ही बिहार में कोई सियासी भूचाल आ सकता है. मगर 30 और 31 जुलाई को पटना में आयोजित भाजपा के सभी 7 संयुक्त मोर्चों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जब एक के बाद एक राष्ट्रीय नेताओं ने साफ कर दिया कि बिहार में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही प्रदेश की एनडीए की सरकार आगे भी चलती रहेगी. यही नहीं पार्टी के सभी कद्दावर नेताओं ने यह भी साफ किया कि आगामी 2025 का विधान सभा चुनाव भी भाजपा, जदयू नीत एनडीए गठबंधन बिहार में नीतीश कुमार के ही चेहरे पर इलेक्शन में जाएगी.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी दल के कोर कमिटी के सदस्यों के साथ मिलकर कई संदेश दिए. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस करते हुए बताया कि जदयू बड़ी सहयोगी है और आगे भी बिहार में नीतीश कुमार ही एनडीए गठबंधन का चेहरा रहेंगे. अब सवाल उठता है कि तमाम सियासी कयासबाजियों, चर्चाओं के बीच भाजपा बिहार में नीतीश कुमार का ही चेहरा क्यों चाहती है? इसके पीछे राजनीतिक विश्लेषक कई कारण मानते हैं.
छोटी व क्षेत्रीय पार्टियों को संदेश देना चाहती है बीजेपी
बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में कई प्रदेशों में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर मजबूती से सरकार बनाई है. राज्यों में छोटे दलों और क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन कर सरकार में मजबूत जगह देने का प्रयास किया है. बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के साथ भाजपा का दो दशक पुराना संबंधन रहा है. साथ में सरकार भी अच्छे से चलाई है और मिलकर कई चुनाव भी जीते हैं. ऐसे में आगामी 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा का चुनाव जदयू के साथ लड़कर भाजपा देश भर में क्षेत्रीय पार्टियों को संदेश देने का प्रयास करेगी कि बीजेपी सहयोगी दलों के साथ विश्वास के साथ राजनीति करती है और साथ लेकर आगे बढ़ती है.
इन मतदाताओं के साथ खड़ी दिखना चाहती है बीजेपी
बीजेपी ने राष्ट्रपति के चुनाव में आदिवासी मूल की द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर देश भर में बड़ा संदेश दिया है. पार्टी ने यह बताने का प्रयास किया है कि आदिवासी, पिछड़े कर वंचितों के साथ है. बिहार की सियासत में नीतीश कुमार की पिछड़े, अतिपिछड़े और महादलित वोटबैंक पर बड़ी पकड़ मानी जाती है. लोकसभा हो या विधानसभा का चुनाव; इस मजबूत वोटबैंक के जरिये ही बिहार में बड़ी जीत हासिल की जा सकती है. बीजेपी नीतीश कुमार को साथ रखकर यह संदेश देना चाहती है कि बीजेपी पिछड़ा, अतिपिछड़ा और महादलित के साथ खड़ी है.
नीतीश कुमार ने मन बदला तो दोष बीजेपी का नहीं
बिहार में जेडीयू- बीजेपी गठबंधन में असहज स्थिति को लेकर लगातार चर्चाएं अब भी जारी हैं. ऐसी खबरें भी हैं कि विपक्षी खेमा भी नीतीश कुमार को साथ लाने के लिए हर प्रयास कर रहा है. ऐसे में आने वाले दिनों में अगर नीतीश कुमार का मन बदलता है और वे पाला बदलकर महागठबंधन के साथ जाते हैं; तो बीजेपी आम जनता व मतदाताओं को यह खुलकर बताने की स्थिति में होगी कि एनडीए गठबंधन में टूट का दोष बीजेपी का नहीं है. इसके लिए सिर्फ और सिर्फ नीतीश कमार जिम्मेदार हैं. भाजपा यह कहती रहेगी कि हमारे तमाम बड़े नेताओं ने लगातार साथ रहकर चुनाव लड़ने की बात कही थी मगर नीतीश कुमार ने साथ छोड़ दिया. जाहिर है अगर ऐसी स्थिति आती है तो बीजेपी फ्रंटफुट पर खेलने की स्थिति में होगी.
भाजपा के पास नीतीश जैसा चेहरा नहीं
बिहार की सियासत के नजरिये से यह भी साफ है कि प्रदेश की राजनीति में बीजेपी का पास अभी भी नीतीश कुमार जैसा कोई ऐसा कद्दावर चेहरा नहीं जिसके बूते चुनाव जीता जा सके. नीतीश कुमार के साथ पिछले करीब दो दशक तक गठबंधन के बावजूद भाजपा मजबूत नेतृत्व सामने नहीं ला पाई है जो सीधे तौर पर नीतीश कुमार के सामने खड़ा हो सके. ऐसे में बीजेपी को प्रदेश व केंद्र की सरकार में मजबूती से रहने के लिए नीतीश जरूरी हैं. यही नहीं नीतीश कुमार भाजपा पर लगने वाले सांप्रदायिक राजनीति के काट के लिए एक बड़े सेकुलर चेहरे के तौर पर भी हैं जो भाजपा विरोधियों के आरोपों का बड़ा जवाब हैं.
भाजपा के लिए 2024 का चुनाव जीतना बेहद जरूरी
भाजपा के लिए नीतीश का ही चेहरा होने के पीछे बड़े कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कारण आगामी 2024 का लोकसभा चुनाव है. बीजेपी ने साफ कर दिया है कि 2024 का चुनाव नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ेगी. भाजपा इस चुनाव में बड़ी जीत चाहती है और उसी योजना के तहत आगे भी बढ़ रही है. जाहिर है भाजपा वर्ष 2024 में जीत को लेकर कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती है. पिछले लोकसभा में बीजेपी की बड़ी जीत में बिहार का नतीजा सबसे अहम था. एनडीए ने बिहार में 40 में 39 सीटें जीतकर सभी राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया था. जदयू एनडीए की सबसे बड़ी सहयोगी दल रही. जब एक मंच पर नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार साथ होते हैं तो उसका संदेश भी बहुत बड़ा होता है. बीजेपी चाहती है कि 2024 के चुनाव में भी वर्ष 2019 जैसी ही बड़ी जीत हासिल हो और बिहार में इसके लिए नीतीश कुमार का चेहरा बेहद जरूरी है.
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Tags: Amit shah, Bihar News, Bihar politics, CM Nitish Kumar, Jp nadaa, Narendra modi, Nitish kumar, PATNA NEWS, Prime Minister Narendra ModiFIRST PUBLISHED : August 02, 2022, 10:45 IST