Bihar Politics:बिहार के राजनीतिक चक्रव्यूह में भीतर ही भीतर कुछ बड़ा हो रहा!

Bihar Politics: बिहार की सियासत में क्या भीतर ही भीतर कुछ बड़ा खेल हो रहा है ? रुपौली विधानसभा उपचुनाव के नतीजे देखें तो इससे यह बात मोटे तौर पर कही जा सकती है की कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ तो बिहार की राजनीति के अंदर बड़ी हलचल हो रही है... और जो हो रहा है वह काफी चौंका भी रहा है. बिहार की सियासत में सवाल उठ रहे हैं और जवाब ढूंढे जा रहे हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जैसे कद्दावर नेताओं के जन समर्थन की नींव कौन हिला रहा है? इसके पीछे का सूत्रधार कौन है ?

Bihar Politics:बिहार के राजनीतिक चक्रव्यूह में भीतर ही भीतर कुछ बड़ा हो रहा!
हाइलाइट्स जातीय राजनीति का वह चक्रव्यूह जिसे भेदना पार्टियों के लिए आसान नहीं.   प्रशांत किशोर ने तयार कर लिया है जातीय राजनीति को भेदने का रोड मैप. पटना. वर्ष 2025 में होने वाले बिहार विधान सभा चुनाव की तैयारियों में अभी से कई दल लग गए हैं. इस क्रम में धीरे-धीरे अब यह बात भी सामने आ रही है कि प्रशांत किशोर उर्फ पीके का जन सुराज अब अपने पूरे रंग में आने लगा है और बड़े पैमाने पर राजनीतिक प्लानिंग के तहत एक्शन भी शुरू है. प्रशांत किशोर की जन सुराज की राज्य स्तरीय बैठक में सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया है कि, दल के नेतृत्व का पहला अवसर दलित समाज को दिया जाएगा. दरअसल, प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति के लिए लगातार नए नए प्रयोग करते दिख रहे हैं और विधान सभा चुनाव के पहले बिहार के राजनीतिक दलों के लिए ऐसी बिसात बिछा रहे हैं जिसका जवाब देना उनके लिए आसान नहीं होगा. खासकर जातीय राजनीति के लिए जाना जाने वाले बिहार के लिए PK ने ऐसी रणनीति बनाई है जिसकी चर्चा अभी से शुरू हो गई है. दरअसल, बिहार की राजनीति में जो प्रमुख दल है या नेता उनके साथ कुछ खास जातियों के वोट बैंक भी जुड़े हुए हैं जिसके सहारे वो लंबे समय से बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण बने हुए हैं. इन्हीं की बदौलत समय-समय पर सत्ता भी पाते रहे हैं. अब प्रशांत किशोर ने इसी जातीय वर्चस्व को तोड़ने की कवायद तेज कर दी है. प्रशांत किशोर की जन सुराज की राज्य स्तरीय बैठक में सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया है कि, दल के नेतृत्व का पहला अवसर दलित समाज को दिया जाएगा, साथ ही 25 सदस्यीय संचालन समिति का भी चुनाव होगा जो बेहद महत्वपूर्ण होगा. इसमें तमाम जातियों के लोग होंगे. प्रशांत किशोर की जन  सुराज ने ये भी तय किया है कि जब दल बनेगा तो इसके नेतृत्व का पहला अवसर दलित समाज को मिलेगा, उसके बाद अति-पिछड़ा और मुस्लिम समाज में से नेतृत्व का फैसला किया जाएगा. प्रशांत किशोर ने संगठन को लेकर एक और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए तय किया है कि समाज के सभी लोगों को पांच बड़े वर्गों में रखा जाएगा. इसमें सामान्य वर्ग के लोग, ओबीसी वर्ग के लोग, अति-पिछड़ा समाज के लोग, दलित समाज के लोग और मुस्लिम समाज के लोग शामिल हैं. जिस वर्ग की जितनी संख्या है, उस वर्ग के उतने लोग जन सुराज का नेतृत्व करने वाली 25 सदस्यीय समिति में शामिल होंगे. जन सुराज का नेतृत्व करने का मौका सभी वर्ग के व्यक्ति को एक-एक साल के लिए मिलेगा. पांच साल के भीतर सभी वर्ग के लोगों को एक-एक बार जन सुराज का नेतृत्व करने का अवसर होगा. जन सुराज में नेतृत्व करने का पहला अवसर दलित समाज के व्यक्ति को देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ. इसके बाद दूसरा अवसर अति-पिछड़ा समाज या मुसलमान समाज को को दिया जाएगा. इस चुनाव में कोई दलित वर्ग का व्यक्ति शामिल नहीं होगा. इसके बाद ओबीसी और सामान्य वर्ग के बीच से किसी व्यक्ति को जन सुराज का नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा. प्रशांत किशोर ने सबसे महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए तय किया कि बिहार के राजनीतिक इतिहास में पहली बार होगा जब जन सुराज संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी और टिकट देने में कोई कटौती नहीं करेगा. हर समाज में काबिल लोग हैं.  किसी भी समाज से आने वाले लोगों की संख्या से ज्यादा न कम हिस्सेदारी मिले, यह जन सुराज की पहली प्राथमिकता होगी. आप अपना हक लीजिए दूसरे की मत मारिये. बिहार में आकर कुछ लोग हमें कहते हैं कि यादव जी लोग हमें वोट नहीं देंगे. वोट दें या न दें… अगर समाज में 15 प्रतिशत लोग यादव समाज के हैं तो ये जन सुराज की जिम्मेदारी है कि इसको बनाने वालों में इसकी पदाधिकारियों में इसको चलाने वालों में इसके टिकट में 15 प्रतिशत यादव समाज की भागीदारी भी होनी चाहिए. इस भावना को हम सब को आत्मसात करना होगा. Tags: Bihar BJP, Bihar Congress, Bihar politics, Bihar rjd, Bjp jdu, Prashant Kishor, Prashant KishoreFIRST PUBLISHED : July 31, 2024, 11:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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