पीएम मोदी को नहीं पड़ने देते पस्तमुश्किल वक्त में साथ खड़ा रहते यहां के लोग
पीएम मोदी को नहीं पड़ने देते पस्तमुश्किल वक्त में साथ खड़ा रहते यहां के लोग
बात 2015 की है जब बिहार में जदयू और राजद का गठबंधन था. तब आरएसएएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा वाले बयान को लालू यादव ने चुनावी मुद्दा बना लिया था. इसके मुद्दे को लेकर लालू यादव की राजनीति परवान चढ़ गई और बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने एनडीए को करारी शिकस्त दी थी. लेकिन, बड़ी बात यह है कि उस दौर में भी... पूरी रिपोर्ट आगे पढ़िये.
पटना. छठे और सातवें चरण के चुनाव में बची हुई 16 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं. इनमें चंपारण की तीन सीट- मोतिहारी , बेतिया और वाल्मीकिनगर भी है जिसपर एनडीए और महागठबंधन दोनों की निगाहें टिकी हुई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चंपारण पहुंचे और चंपारण के लोगों से एक बार फिर सपोर्ट मांगा और उन्होंने मोतिहारी में बड़ी जनसभा के जरिये चुनाव प्रचार कर तीनों सीटों पर एनडीए का कब्जा बरकरार रखने का प्रयास किया है. दरअसल, इसके पीछे की वजह यह भी है कि पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण जिले ने हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का मुश्किल घड़ी में भी साथ दिया है.
बात 2015 की है जब बिहार में जदयू और राजद का गठबंधन था. तब आरएसएएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा वाले बयान को लालू यादव ने चुनावी मुद्दा बना लिया था. इसके मुद्दे को लेकर लालू यादव की राजनीति परवान चढ़ गई और बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने एनडीए को करारी शिकस्त दी थी. लेकिन, बड़ी बात यह है कि उस दौर में भी पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया था. विधानसभा चुनाव में पश्चिम चंपारण की नौ सीटों में से भाजपा के खाते में पांच सीटें आई थीं. वहीं, पूर्वी चंपारण की 12 सीटों में से भाजपा सात सीटों पर भगवा पताका फहराने में कामयाब रही थी.
कुछ ऐसी ही तस्वीर 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में भी दिखी. खास बात यह कि उस दौर में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने कड़ी टक्कर दी थी. पूरे बिहार में तेजस्वी यादव की जनसभाओं में भीड़ उमड़ रही थी. वह लगातार अपना जनाधार बढ़ाते जा रहे थे. विधान सभा के चुनाव परिणाम आये तो यह बात साबित भी हुई और राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. वहीं, भाजपा जदयू को पछाड़कर बिहार में दूसरे नंबर की पार्टी बनने में कामयाब रही तो इसके पीछे चंपारण का अहम योगदान रहा. भाजपा ने इस क्षेत्र से लगभग क्लीन स्वीप किया था और पूर्वी चंपारण में 12 सीटों पर और पश्चिम चंपारण में 9 सीटों पर जीत हासिल कर जदयू के साथ सत्ता में साझीदार बनी थी. मजबूती से साथ खड़ा रहा है चंपारण
बात सिर्फ विधानसभा चुनाव परिणाम की ही नहीं है, लोकसभा चुनाव में भी चंपारण ने मजबूती से एनडीए का साथ दिया है और प्रधानमंत्री को भरपूर समर्थन दिया है. कभी कांग्रेस का गढ़ रह चुके पश्चिम चंपारण में पहली बार 1996 में कमल खिला था. तब बीजेपी के टिकट पर पश्चिम चंपारण से मदन मोहन जायसवाल ने जीत हासिल की थी. बीच में एक बार आरजेडी ने इस सीट पर कब्जा जमाया था, लेकिन इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में बीजेपी के संजय जायसवाल ने कब्जा जमा रखा है. इस बार भी संजय जायसवाल ही मैदान में है, जिन्हें कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी टक्कर दे रहे हैं. पीएम मोदी की अपील, क्या पड़ेगा असर?
वहीं, बात अगर वाल्मीकि नगर सीट की करें तो बीजेपी की सहयोगी जदयू का कब्जा रहा है. 2009 में जदयू के टिकट पर बैजनाथ महतो सांसद बने थे, वहीं 2014 में बीजेपी के टिकट पर सतीश चंद्र दुबे सांसद बने. जबकि 2019 में सुनील कुमार जदयू से सांसद बने और इस बार भी जदयू से उम्मीदवार हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई की अपनी जनसभा में इन्हें जिताने की अपील भी की है. भाजपा के गढ़ में एनडीए को बड़ी उम्मीद
अब बात पूर्वी चंपारण के मोतिहारी सिट की करें तो मोतिहारी सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता राधा मोहन सिंह मैदान में एक बार फिर से सांसद बनने के लिए ताल ठोक रहे हैं. वहीं, उन्हें VIP के उम्मीदवार राजेश कुशवाहा टक्कर दे रहे हैं. 2008 में परिसीमन के बाद हुए 2009 के लोकसभा चुनाव में राधा मोहन सिंह सांसद बने. 2014 और 2019 में भी राधा मोहन सिंह ने कब्जा बरकरार रख बीजेपी के किले को बरकरार रखा. राधा मोहन सिंह ने इस बार भी जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. एक बार फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को अपने इस गढ़ से काफी उम्मीद है.
FIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 16:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed