तपती धूप में 500 मीटर तक खाट पर ले जाना पड़ा प्रसूता को बारी-बारी परिजनों ने संभाला जानें वजह

जालोर में पलंग पर पैदल ले जाना पड़ा प्रसूता को: राजस्थान के जालोर (Jalore) जिले के बागोड़ा इलाके के राउता गांव की परेशान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां गांव के रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण (Encroachment) के कारण एक प्रसूता और उसके नवजात को करीब आधा किलोमीटर तक उसके परिजनों को तपती धूप में खाट पर ले जाना पड़ा. सबकुछ हो जाने के बाद अगले दिन प्रशासन ने इस रास्ते को खुलवाया.

तपती धूप में 500 मीटर तक खाट पर ले जाना पड़ा प्रसूता को बारी-बारी परिजनों ने संभाला जानें वजह
 श्याम विश्नोई. जालोर. राजस्थान के जालोर से दर्दनाक तस्वीर (Painful picture) सामने आई है. यह तस्वीर है जालोर (Jalore) जिले के बागोड़ा के राउता गांव की. बरसों से सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहे राउता गांव में रास्ते पर अतिक्रमण की वजह से वह बाधित है. इसके चलते एक प्रसूता को अस्पताल से घर लाने के बाद उसे करीब 500 मीटर तक खाट पर लेटाकर परिवार के सदस्य अपनी चौखट तक पहुंचे. तपती धूप में परिवार के सदस्य बारी-बारी से खाट को उठाते रहे. कड़ी मशक्कत के बाद प्रसूता और नवजात को घर लाया जा सका. घटना दो दिन पहले की बताई जा रही है. प्रसूता कोई पहली बार इस परेशानी का शिकार नहीं हुई है. इससे पहले जब वह गर्भवती तब भी उसे इस पीड़ा से गुजरना पड़ा था. प्रसूता शोभाग और उसके नवजात बच्चे को खाट पर लिटाकर ले जाने का वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन में हड़कंप मचा. दूसरे दिन प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए आनन-फानन में रास्ता खुलवाया. इससे पहले ग्रामीण इस रास्ते को खुलवाने को लेकर सरकारी मशीनरी के आगे काफी समय से हाथ पांव जोड़ते आ रहे हैं लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. पहाड़ी इलाका नहीं है यह गांव दरअसल राउता गांव के खेतों में 10 परिवार रहते हैं. यह गांव कोई वीरान बस्ती भी नहीं है औन न ही यहां कोई पहाड़ी इलाका है. लेकिन सरकारी लापरवाही के चलते गांव का रास्ता करीब 10 साल से बंद है. कुछ लोगों ने आपसी रजामंदी से आसपास के खेतों से आना जाना शुरू कर दिया जिनके पास कोई चारा नहीं है वे इसी रास्ते का उपयोग करते हैं. लेकिन शुक्रवार को हुई घटना के बाद प्रशासन की नींद टूटी और उसने रास्ता खुलवाया. तीन भाइयों का परिवार जुटा खाट उठाने में शुक्रवार को राउता निवासी सांवलराम की बेटी प्रसव के बाद घर आई थी. सड़क उसके घर से 500 मीटर दूरी पर है. लिहाजा कोई वाहन घर तक आ नहीं सकता. ऐसे हालात में प्रसूता को सड़क तक तो वाहन से लाया गया. उसके बाद शाम 4 बजे कड़ी धूप के बीच सड़क से घर तक 500 मीटर तक उसे खाट पर लेटाकर ले जाया गया. इसके लिये तीन भाइयों का पूरा परिवार इसमें जुटा. सांवलाराम ने बताया कि शोभाग जब गर्भवती थी तब भी अस्पताल जाने के लिये उसे इस रास्ते से पैदल ही चलना पड़ता था. 500 मीटर का यह रास्ता टीलों के ऊपर से और झाड़ियों से होते हुए पार करना पड़ता है. 2021 में 90 दिन में रास्ता खोलने का आश्वासन मिला था सांवलाराम ने बताया कि बिजली बिल की रिंडिग लेने के लिए भी कर्मचारी घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसके कारण कई बार भारी बिल भरना पड़ता है तो कई बार नहीं भर पाने के कारण जुर्माना भी भुगतना पड़ता है. सांवलाराम समेत 10 लोगों ने 29 अक्टूबर 2021 को आयोजित प्रशासन गांवों के संग शिविर में रास्ता नहीं होने की मांग उठाई तो 90 दिन में रास्ता खोलने का आश्वासन मिला. लेकिन हुआ कुछ भी नहीं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Ashok Gehlot Government, Rajasthan newsFIRST PUBLISHED : June 19, 2022, 13:53 IST