कभी अकाल थी बाड़मेर की पहचान अनार की खेती ने बदली किसानों की किस्‍मत ये देश हुए दीवाने

Pomegranate Farming: भारत-पाकिस्‍तान बॉर्डर पर बसे राजस्‍थान के बाड़मेर जिले के किसानों की अनार की खेती ने किस्‍मत बदल दी है. कभी अकाल के लिए जाने जाने बाड़मेर जिले में फिलहाल 8 हजार हेक्टेयर में अनार की खेती की जा रही है. पढ़ें दिलचस्‍प कहानी.

कभी अकाल थी बाड़मेर की पहचान अनार की खेती ने बदली किसानों की किस्‍मत ये देश हुए दीवाने
मनमोहन सेजू बाड़मेर. एक जमाना हुआ करता था जब हर साल पड़ते अकाल की वजह से भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के चर्चे देश भर में होते थे. हालांकि अब हालात बदल रहे हैं. इस समय उगने वाले अनार की मांग सात समंदर पार होने लगी है. जबकि मौजूदा समय में रेतीले बाड़मेर में अब 8000 हेक्टेयर जमीन पर अनार की खेती हो रही है. बाड़मेर के कई इलाकों में ना केवल इस खेती से किसानी में बदलाव देखने को मिला है बल्कि लोगों की आमदनी और रहन सहन में भी अंतर साफ नजर आ रहा है. इस बागवानी से बाड़मेर में महज 10 से 12 साल में किसानों ने वो करिश्मा कर दिखाया है, जो पहले असंभव था. अनार की खेती किसानों के लिए बनी जीवनदान बड़ी बात है कि सरहदी बाड़मेर में साल भर बहने वाली ना तो कोई नदी है और ना ही जिले में सिंचाई के लिए कोई बड़ी नहर परियोजना. इसके बावजूद अब अनार की खेती और उत्पादन में बाड़मेर प्रदेश में पहले पायदान पर है. आठ हजार हेक्टेयर में अरबों रुपए के अनार की खेती हो रही है. इस खेती से होने वाली उपज को लेने के लिए महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक सहित कई राज्यों के व्यापारी खुद किसानों के खेतों तक पहुंच रहे हैं. बाड़मेर के पादरू के किसान रमेश कुमार के मुताबिक, पांच साल पहले उन्होंने नासिक (महाराष्ट्र) से 1300 पौधे मंगवाकर लगाए थे. पौधारोपण के पहले साल उसने 3 लाख के अनार बेचे थे. उसके अगले साल उन्होंने 6 लाख रुपये के अनार बेच दिए. अब तो व्यापारी खुद उनके खेतों तक पहुंच रहे हैं और उसके जैसे सैकड़ों किसानों की फसल भी खरीद रहे हैं. रमेश कुमार ने अनार के गोटी और जेन्ट ईएसयू किस्म के पौधे लगाए हैं. गोटी 28 रुपये, तो जेन्ट ईएसयू 41 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से खरीदे हैं. पादरू के अलावा यहां भी हो रही अनार की खेती पादरू की तरह महिलावास, सिवाना, कानासर, बाड़मेर, मांगी, कथाड़ी, मोकलसर, बालोतरा, उंडू, भियाड़, मोखाब सहित जिले के तीन दर्जन इलाको में अनार की खेती ने लोगों को समृद्ध बनाया है. एक तरफ जहां सरहदी बाड़मेर में कम आर्द्रता के कारण अनार में बीमारियां कम फैलती हैं, तो इसी वजह से अनार का साइज, क्वालिटी और स्वाद अनूठा है. मौसम के हिसाब से अनार की खेती पर समय पर छिड़काव भी किया जाता है जिससे अनार में को मौसमी बीमारियां से बचाया जा सके. पिछले साल हुआ था 550 करोड़ का कारोबार कृषि विभाग के सहायक निदेशक उद्यान सुरेंद्र सिंह मनोहर बताते है कि बाड़मेर का अनार दुबई, बंगलादेश, नेपाल सहित कई देशों में निर्यात हो रहा है. सिंदूरी किस्म के अनार की बंपर पैदावार हो रही है. इसी वजह से अब आठ हजार हेक्टेयर अनार की खेती के साथ राज्य भर में बाड़मेर का पहला स्थान है. इसके अलावा उन्‍होंने बताया कि बाड़मेर-जालोर में गत साल अनार की उपज से करीब 550 करोड़ का कारोबार हुआ था. इस बार भी अनार की खेती में किसानों का रुझान बढ़ा है और जिले के 8000 हेक्टेयर में खेती की जा रही है. दस से बारह साल में हुए इस बड़े बदलाव की वजह से यहां के किसानों के साथ साथ बाड़मेर समृद्धि के नए दौर से रूबरू हो रहा है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Barmer news, Pomegranate, Rajasthan news, Success StoryFIRST PUBLISHED : September 19, 2022, 13:22 IST