आग से जलाया गया मारे गए कोड़े फिर भी कहते रहें भारत माता की जय जानें इस

Independence Day 2024: 20 वर्ष की अवस्था में गुरू प्रताप सिंह स्कूल से भाग कर उन्होंने गांधी जी के विचारों को सुना और देश आजाद होने तक उन्होंने लड़ाई लड़ी. पहले उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने सुल्तानपुर जेल में बंद किया. उन्हें वहां पर आग से जलाया गया. इसके अलावा तमाम शारीरिक यातनाएं दी गईं. कोड़ों से मारा गया, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. फिर वहां से उन्हें हटाकर नैनी जेल में बंद कर दिया गया.

आग से जलाया गया मारे गए कोड़े फिर भी कहते रहें भारत माता की जय जानें इस
आदित्य कृष्ण /अमेठी: कर चले हम फिदा जाने तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों. आजादी की लड़ाई में कई अनसुने किस्से आपने सुने होंगे, जिसे सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी. उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला भी आजादी की लड़ाई का गवाह रहा है. यहां पर एक शख्स ने कम उम्र में ही क्रांतिकारी बन अंग्रेजों से मोर्चा शुरू कर दिया और स्कूल की पढ़ाई के बजाय वह क्रांतिकारी बन स्वतंत्रता आंदोलन के लिए निकल पड़े. आखिरकार उन्होंने आजादी की लड़ाई में देश के विभिन्न हिस्सों के साथ अमेठी को आजादी दिला दी. आज उनका नाम बड़े ही गर्व से लिया जाता है. हम बात कर रहे हैं अमेठी जिले के मुसाफिरखाना तहसील के रिछौरा दतनपुर गांव के रहने वाले गुरु प्रताप सिंह की. 4 दिसंबर 1920 को जन्म लेने वाले गुरु प्रताप सिंह 20 वर्ष में ही क्रांतिकारी बन गए. 20 वर्ष की अवस्था में स्कूल से भाग कर उन्होंने गांधी जी के विचारों को सुना और देश आजाद होने तक उन्होंने लड़ाई लड़ी. पहले उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने सुल्तानपुर जेल में बंद किया. उन्हें वहां पर आग से जलाया गया. इसके अलावा तमाम शारीरिक यातनाएं दी गईं. कोड़ों से मारा गया, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. फिर वहां से उन्हें हटाकर नैनी जेल में बंद कर दिया गया. यहां पर भी उन्हें अनेक यातनाएँ दी गईं. लेकिन उन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना सब कुछ कुर्बान करने की ठानी थी, तो उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया. वह बार-बार भारत माता की जय के नारे लगाते रहे और आखिरकार अंग्रेजी हुकूमत को उन्होंने अंततोगत्वा परास्त कर दिया. विधानसभा गौरीगंज का भी किया प्रतिनिधित्व अंग्रेजी हुकूमत से लड़ाई लड़ने वाले गुरु प्रताप सिंह काफी क्रांतिकारी थे. उन्होंने कई किताबें अपने आप लिखी, जिसमें आजादी की लड़ाई के किस्से, कैसे मिली आजादी जैसी तमाम किताबों को उन्होंने स्वयं लिखा. और वह बड़े स्तर पर प्रकाशित भी हुईं. इसके साथ ही गुरु प्रताप सिंह ने 1952 से लेकर 1962 तक बतौर विधायक गौरीगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. साथ ही भूमि धरी आंदोलन का हिस्सा भी वह बने. बचपन से ही क्रांतिकारी बनने की ज्वाला उनके उत्तराधिकारी के तौर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार के सदस्य राजेश सिंह बताते हैं कि गुरु प्रताप, जो उनके बाबा थे. वह काफी क्रांतिकारी थे. बचपन से ही उन्होंने क्रांति की ज्वाला अपने दिल में जगा रखी थी. बार-बार वे पकड़े जाते ,उन्हें मारा जाता, यातनाएं दी जाती. जेल में बंद किया जाता, डराया जाता, लेकिन वह बार-बार सिर्फ आजादी की जय भारत माता की जय नारे लगाते रहते. उन्होंने कभी पीछे नहीं हटना चाहा. और आजादी की लड़ाई पूरी होने तक वे देश के साथ रहे. उन्होंने कहा कि आज हम सबको उन पर गर्व है. उनकी वजह से आज पूरे क्षेत्र में लोग एक सम्मान देते हैं. आज सैकड़ों ऐसे परिवार हैं, जो मुसाफिरखाना क्षेत्र में आजादी की लड़ाई के लिए शहीद हुए हैं, मैं सबको श्रद्धांजलि देता हूं. Tags: 15 August, Amethi Latest News, Independence day, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 11:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed