बकरियों के लिए बेहद खतरनाक होती है यह बीमारी एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचाव
बकरियों के लिए बेहद खतरनाक होती है यह बीमारी एक्सपर्ट से जानें लक्षण और बचाव
पशु चिकित्सा के क्षेत्र में लगभग 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के पशु विशेषज्ञ डॉ इंद्रजीत वर्मा(एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि भेड़ बकरियों में होने वाली बीमारी चेचक एक संक्रामक वायरल बीमारी है.यह वायरस के कारण होती है. जो त्वचा पर दाने और फफोले पैदा करती है .
सौरभ वर्मा/ रायबरेली: हमारे देश की 80% आबादी खेती किसानी के साथ ही पशुपालन का काम करके अच्छा मुनाफा कमा रही है. पशुपालन का काम करने वाले किसान पशुओं के उत्तम स्वास्थ्य के लिए खान पान में बदलाव करते हैं. जिससे पशु बीमार ना पड़े. क्योंकि पशुओं के बीमार होने पर इसका सीधा असर पशुओं के साथ ही पशुपालकों पर भी पड़ता है. क्योंकि पशुओं में दुग्ध या फिर मीट का उत्पादन में कमी आती है. जो पशुपालकों के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होती है. खासकर भेड़ बकरियों में कई प्रकार की बीमारियां होती हैं. जिनमें चेचक भी एक खास प्रकार की बीमारी है. जो पशुओं की सेहत के साथ ही उनके दूध एवं मांस पर भी प्रभाव डालती है. इसीलिए जरूरी है कि समय रहते इस बीमारी से पशुपालक अपनी भेड़ एवं बकरियों का बचाव करें. जिसके कारण उन्हें किसी भी प्रकार के आर्थिक नुकसान का सामना न करना पड़े. तो आइए पशु विशेषज्ञ से जानते हैं. भेड़ बकरियों में होने वाली बीमारी चेचक से बचाव के क्या तरीके हैं?
पशु चिकित्सा के क्षेत्र में लगभग 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के पशु विशेषज्ञ डॉ इंद्रजीत वर्मा(एमवीएससी वेटनरी) बताते हैं कि भेड़ बकरियों में होने वाली बीमारी चेचक एक संक्रामक वायरल बीमारी है. यह वायरस के कारण होती है. जो त्वचा पर दाने और फफोले पैदा करती है .
यह हैं लक्षण
लोकल 18 से बात करते हुए डॉ इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि भेड़ बकरियों में चेचक होने पर यह पांच लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
1. त्वचा पर दाने: सबसे प्रमुख लक्षण त्वचा पर लाल या गुलाबी रंग के दाने होते हैं, जो धीरे-धीरे फफोले में बदल जाते हैं. ये दाने आमतौर पर चेहरे, गर्दन, और अन्य हिस्सों पर होते हैं.
2. फफोले: दानों के आकार में वृद्धि हो सकती है और ये फफोले में बदल सकते हैं, जो फिर सूखकर क्रस्ट बना सकते हैं.
3. बुखार: संक्रमित जानवरों को बुखार हो सकता है, जो सामान्य शरीर के तापमान से अधिक होता है.
4. खुजली और दर्द: दाने और फफोले खुजली और दर्द का कारण बन सकते हैं, जिससे जानवर असहज महसूस कर सकते हैं.
5. सामान्य कमजोरी: संक्रमित भेड़ या बकरी सामान्य रूप से सुस्त और कमजोर महसूस कर सकती है.
6. भोजन में कमी: जानवर भोजन करने में असहजता महसूस कर सकते हैं, जिससे उनका वजन घट सकता है.
ऐसे फैलता है यह रोग
भेड़ बकरियों में चेचक की बीमारी शरीर पर घाव की वजह से एरोसॉल, लार , मल ,बीमार पशुओं की नाक से निकलने वाला स्राव से फैलता है . यह वायरस 2 घंटे के लिए 56 डिग्री सेल्सियस और 30 मिनट के लिए 65 डिग्री सेल्सियस तापमान पर प्रभावित होता है जो पशुओं में 6 महीने तक जिंदा रहता है .
ऐसे करें बचाव
डॉ इंद्रजीत वर्मा बताते हैं कि इससे बचाव के लिए पशुपालक ईथर 20 प्रतिशत , क्लोरोफार्म, फार्मेलीन एक प्रतिशत, फिनोल 2 प्रतिशत का उपयोग करें एवं समय-समय पर प्लेग एवं चेचक बीमारी का टीका करना जरूर करवाते रहें.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 08:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed