गुलामी की जंजीरों से लेकर आधुनिक भारत का गवाह है अलीगढ़ का ये चर्च

अलीगढ़ के सिविल लाइन इलाके के नकवी पार्क में बने इस चर्च का निर्माण 189 साल पहले विशप विल्सन ने कराया था. 1835 ईस्वी में बना ये चर्च भारत की गुलामी की दास्तां से लेकर विकसित होते स्मार्ट अलीगढ़ के पूरे सफर का गवाह है. ये अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है. इस चर्च ने बदलते हुए अलीगढ़ की यादों को अपने अंदर छिपा रखा है.

गुलामी की जंजीरों से लेकर आधुनिक भारत का गवाह है अलीगढ़ का ये चर्च
वसीम अहमद /अलीगढ़: उत्तर प्रदेश का जनपद अलीगढ़ ताला और तालीम के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसके अलावा अलीगढ़ शहर में कई ऐतिहासिक धरोहर भी मौजूद हैं, जो अपने में इतिहास को समेटे हुए है. इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च भी है, जो अलीगढ़ में मौजूद है. अलीगढ़ के सिविल लाइन इलाके के नकवी पार्क में बने इस चर्च का निर्माण 189 साल पहले विशप विल्सन ने कराया था. 1835 ईस्वी में बना ये चर्च भारत की गुलामी की दास्तां से लेकर विकसित होते स्मार्ट अलीगढ़ के पूरे सफर का गवाह है. ये अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है. इस चर्च ने बदलते हुए अलीगढ़ की यादों को अपने अंदर छिपा रखा है. विदेश के कारीगों ने किया है इस चर्च का निर्माण अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर व इतिहासकार एमके पुंडीर बताते हैं कि अलीगढ़ के नक्वी पार्क में क्राइस्ट चर्च उत्तर भारत के सबसे पुराने चर्च में से एक है. विशप डेनियल विल्सन नाम के एक अंग्रेज ने 1825 से 1845 के दौरान स्थापित 20 चर्चो में से एक के रूप में इसका निर्माण कराया था. अलीगढ़ लंबे समय से फ्रांसीसी प्रभाव में रहा है. कोई भी फ्रांसीसी वास्तुकला की विशेषताओं को देख सकता है. हालांकि, इस चर्च में इस्तेमाल किए गए रंगीन कांच इंग्लैंड से ले गए थे. क्राइस्ट चर्च की शुरुआत एक छोटे से चेपल के रूप में हुई थी, जो बाद में एक पूर्ण चर्च के रूप में विकसित हुआ. इस क्राइस्ट चर्च के निर्माण के लिए विदेश से कारीगरों को बुलाया गया था. फ्रांस और इटली से आए कारीगरों ने इसमें नक्काशी का काम किया था. चर्च में लगे शीशे इंग्लैंड से मंगाए गए थे. पीछे से यह शीशे खुले हुए हैं और जब इसमें सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तो इसमें प्रभु यीशु के साथ उनकी मां मरियम और उनके तीन परम शिष्यों की (छवि)तस्वीर नजर आती है. जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं. दो साल में बनकर तैयार हुआ ये चर्च प्रोफेसर एमके पुंडीर ने आगे बताया कि इस चर्च का निर्माण 1833 में शुरू हुआ, जो 1835 में कंप्लीट हो गया. उस समय यह क्षेत्र मराठा साम्राज्य के अधीन था. यहां पर अंग्रेजी फौज व मराठा सैनिक प्रार्थना किया करते थे. इसके अलावा यहां डिस्पेंसरी भी थी, जहां युद्ध में घायल हुए सैनिकों का इलाज किया जाता था. आज यह चर्च नक्वी पार्क के अंदर स्थित है. आज भी यह चर्च अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है. इस चर्च मे बड़ी संख्या में ईसाई समाज के लोग प्रभु यीशु की आराधना करते हैं. Tags: Aligarh news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 16:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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