कौन है इंडियन 007 जिसपर PM मोदी को पूरा भरोसा सौंप दी LAC की जिम्मेदारी
कौन है इंडियन 007 जिसपर PM मोदी को पूरा भरोसा सौंप दी LAC की जिम्मेदारी
पीएम नरेंद्र मोदी ने जिनपिंग से मुलाकात के बाद कहा, "भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों के लिए और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं. आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे."
नई दिल्ली. कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर दुनिया की नज़र रही और सबसे ज़्यादा सुर्ख़ियों में रही भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक. बैठक में साढ़े चार साल से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्म करने के फैसले पर मुहर जो लगनी थी, वो मुहर लगा दी गई और इस विवाद को सुलझाने के पीछे के तीन बड़े चेहरे रहे हैं.
पहला विदेशी मंत्री एस जयशंकर… जिन्होंने इस संवेदनशील मामले को सुलझाने की जमीन तैयार की. विदेश मंत्रालय ने सेना के साथ लगातार बात कर माकूल हल निकालने के लिए एक डिजाइन तैयार किया और फिर चीनी समकक्षों के साथ बात करके एक फैसले पर पहुंचे की एलएसी पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल किया जाए. यानी की दोनों सेनाओं की बंद हुए पेट्रोलिंग फिर से शुरू होगी.
दूसरा सबसे बड़ा चेहरा रहे प्रधानमंत्री मोदी… जो कि चीन के साथ LAC के साथ विवाद पर मुहर लगाने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बातचीत की मेज़ तक लेकर आए वो भी पांच साल के बाद. और जब दोनों के बीच विवाद ख़त्म करने पर सहमति का ऐलान हुआ तो तीसरे सबसे महत्वपूर्ण शख़्स जिसे भारत का जेम्स बॉन्ड कहा जाता है यानी एनएसए अजीत डोभाल के कंधे पर आगे की ज़िम्मेदारी सौंप दी गई.
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की बैठक के बाद सीमा विवाद के हल के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव लेवल की बातचीत का रास्ता खोल दिया गया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि दोनो देशों के डिप्लोमैटिक और मिलिटरी लीडरशिप के बीच सार्थक वार्ता के बाद LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर जिस एग्रीमेंट तक पहुंचे उसका दोनों नेताओं ने स्वागत किया. साथ ही तनाव को पूरी तरह से कम कर शांति और व्यवस्था को बनाए रखने पर जोर दिया.
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि मतभेदों और विवादों को सही तरीके से संभालना जरूरी है ताकि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बनी रहे. साथ ही दोनों देशों के स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव जिसमें भारत की तरफ से एनएसए अजीत डोभाल और चीन की तरफ से उनके विदेश मंत्री वांग यी जल्दी सीमा विवाद को हल करने के लिए मुलाक़ात करने को कहा गया है… और बैठक की तारीख जल्द तय की जाएगी यानी की साफ है कि दोनों देशों इस एग्रीमेंट को जल्द से जल्द जमीन पर उतारना चाहते हैं.
अजीत डोभाल और वांग यी के बीच मुलाक़ात अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय ईवेंट में साइड लाइन पर तो ज़रूर हुई, लेकिन बतौर स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव फॉर्मेट में दिसंबर 2019 के बाद ऐसी कोई बैठक नहीं हुई. जब विदेश सचिव से ये सवाल पूछा गया कि क्या पांचवें साल भी सेना का जमावड़ा LAC के करीब रहेगा तो उन्होंने साफ कर दिया कि ये ऑपरेशन संबंधी मामला है तो इसे मिलिट्री लीडरशिप पर छोड़ देते हैं. विदेश सचिव ने ये भी साफ किया कि डेवलपमेंट एक-दो दिन में दिख रहे हैं. दरअसल, इस पर लंबे समय से काम चल रहा था और दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने की यात्रा चल पड़ी है. इस समझौते से एक रास्ता खुला है और अब दोनों को इस पर चलने की जरूरत है.
भारत और चीन के बीच जारी विवाद के महज दो साल के बाद साल 2022 में खुद चीनी विदेश मंत्री वांग यी दिल्ली में एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात करने भी आए थे. बहरहाल, ये तो साफ हो गया कि LAC पर विवाद को सुलझाने की ज़िम्मेदारी देश के सबसे तेज़ तर्रार अफसर को दी गई है जो कि कंधार हाइजैक से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ना जाने कितने सफल ऑपरेशन में शामिल रहे हैं और अब LAC विवाद सुलझाने की बारी है.
Tags: LAC India China, Narendra modi, Xi jinpingFIRST PUBLISHED : October 23, 2024, 23:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed