क्या कामाख्या देवी मंदिर को तोड़कर बनाया गया सलीम चिश्ती का दरगाह
क्या कामाख्या देवी मंदिर को तोड़कर बनाया गया सलीम चिश्ती का दरगाह
Salim Chishti Dargah in Fatehpur Sikri: अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने डीबी शर्मा का किताब का हवाला दिया. शर्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खुदाई की, जिसमें उन्हें सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली
आगरा. ताजमहल और जामा मस्जिद के बाद अब फतेहपुर सीकरी में स्थित सलीम चिश्ती की दरगाह को लेकर एक नया विवाह जुड़ गया है. गुरुवार को आगरा के वकील अजय प्रताप ने आगरा सिविल कोर्ट में एक वाद दाखिल किया है. जिसमें दावा किया गया है कि फतेहपुर सीकरी में सलीम चिश्ती की दरगाह नहीं बल्कि वहां पर कामाख्या माता का मंदिर है.
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि फिलहाल विवादित संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अधीन संरक्षित स्मारक है. फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है जिसे विजयपुर सीकरी भी कहते थे. ये सिकरवार क्षत्रियों का राज्य था और विवादित संपत्ति माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ गृह व मंदिर परिसर था. जहां पर कथित तौर पर सलीम चिश्ती की दरगाह होने का दावा किया जाता है
झूठे दावे का आरोप
अजय प्रताप सिंह ने दावा किया कि यहां की प्रचलित ऐतिहासिक कहानी के अनुसार फतेहपुर सीकरी को अकबर ने बसाया. ये बिल्कुल झूठ है. उन्होंने कहा, ‘ बाबर ने अपने बाबरनामा में सीकरी का उल्लेख किया था और वर्तमान में बुलंद दरवाजे के नीचे दक्षिण पश्चिम में एक अष्टभुजीय कुआं है और दक्षिण पूर्वी हिस्से में एक गरीब घर है, जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने किया है’.
खुदाई में निकल चुकी है जैन धर्म से संबंधित मूर्तियां!
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने डीबी शर्मा का किताब का हवाला दिया. शर्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षण पुरातत्वविद रहे हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के बीर छबीली टीले की खुदाई की, जिसमें उन्हें सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली, जिनका काल 1000 ईस्वी के लगभग था. डीबी शर्मा ने अपनी पुस्तक “आर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज़” में इसका विस्तार से वर्णन किया है. इसी पुस्तक के पेज संख्या 86 पर वाद संपत्ति का निर्माण हिन्दू व जैन मंदिर के अवशेषों से बताया है. वहीं अंग्रेज अधिकारी ईबी हावेल ने वाद संपत्ति के खंभों व छत को हिन्दू शिल्पकला का बताया है और मस्जिद होने से इनकार किया है’.
युद्ध के दौरान हुई थी माता कामाख्या मंदिर की स्थापना
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने दावा किया कि खानवा युद्ध के समय सीकरी के राजा राव धामदेव थे. खानवा युद्ध में जब राणा सांगा घायल हो गए तो राव धामदेव धर्म बचाने के लिए माता कामाख्या के प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को ऊंट पर रखकर पूर्व दिशा की ओर गए और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सकराडीह में कामाख्या माता के मंदिर को बनाकर इस विग्रह को पुनः स्थापित किया .उस तथ्य का उल्लेख राव धामदेव के राजकवि विद्याधर ने अपनी पुस्तक में किया है.
Tags: Agra taj mahal, ASI, Fatehpur News, Kamakhya mandir, Local18FIRST PUBLISHED : May 10, 2024, 09:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed