118 साल पुराने लॉकर चोर-डकैतों के डर से बड़े व्यापारी रखते थे कीमती सामान

118 साल पुराने इस थाने में ये बेहद खास तरीके की तिज़ोरीयां आज भी मौजूद है . जिसमें भारतीय रेलवे और डाक विभाग की एक- एक तिजोरी है.

118 साल पुराने लॉकर चोर-डकैतों के डर से बड़े व्यापारी रखते थे कीमती सामान
हरिकांत शर्मा: एक समय ऐसा था जब चोर-डाकू और लुटेरों से बचने के लिए बड़े से बड़े व्यापारी और सेठ रेलवे व पोस्ट ऑफिस जैसे विभाग में अपना कीमती सामान तिजोरी (लॉकर्स) में पुलिस के हवाले छोकर जाते थे. उनका सामान पुलिस की सुरक्षा और कड़े पहरे में लॉकरों में बंद रहता था. ये व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से शुरू हुई. जो एक दशक पहले ही बंद हुई है. आज भी आगरा के लोहा मंडी थाने में ये तिजोरियां मौजूद है. यह तिजोरिया खास तरीके से डिजाइन की गई थी. तकरीबन तीन से पांच फीट तक जमीन में धसी हुई है. जिसमें बहुत मजबूत ताले लगे रहते है. आगरा का लोहा मंडी थाना कई मायनों में ऐतिहासिक है. इस थाने को अंग्रेजों के द्वारा बनाया गया था. इस थाने में उस जमाने में सबसे ज्यादा फोर्स डिप्लॉयड रहता था. इसी थाने से अन्य स्थानों पर फोर्स भेजा जाता था. 118 साल पुराने इस थाने में ये बेहद खास तरीके की तिज़ोरीयां आज भी मौजूद है . जिसमें भारतीय रेलवे और डाक विभाग की एक- एक तिजोरी है. तीसरी तिजोरी में शहर के धनी, व्यापारी और सेठों का कीमती सामान और ज़मीन जायदात के कागज पुलिस की सुरक्षा में रखे जाते थे. उस वक्त चोर डाकू डकैतों के भय शहर के धनी लोग ऐसा करते थे. लोहा मंडी पोस्ट ऑफिस में एमटीएस के पद पर तैनात मनोज कुमार ने बताया कि पिछले साल तक वह पोस्ट ऑफिस के कीमती कागज और स्टांप थाने में बनी तिजोरियों में रखते थे. जान लेते हैं लोहा मंडी और थाने का इतिहास एसीपी लोहा मंडी मयंक तिवारी के अनुसार मुगल राज में मुगल राजा अकबर की सेना के वक्त सेनापति राजा मानसिंह थे. उनके आदेश पर युद्ध के बाद गाड़िया लोहारों को मानसिंह अपने साथ सैकड़ों की संख्या में आगरा लेकर आए थे. इन गाड़िया लोहारों को मानसिंह ने जिस स्थान पर बसाया वह जगह लोहा मंडी के नाम से प्रसिद्ध हो गई. जहां पर हथियार बनाए जाते थे. वर्ष 1860 के बाद अंग्रेजों ने कानून व्यवस्था को सख्त करने के लिए कोतवाली के साथ आगरा शहर में 31 थाने बनाए थे. जिसमें की कोतवाली , छत्ता, रकाबगंज, हरी पर्वत,लोहामंडी ,ताजगंज ,एत्माद्दौला, सदर और लाल कुर्ती शामिल थे. लोहा मंडी थाना एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक थाना है. इस थाने में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मी आज भी तैनात रहते हैं. इस थाने की स्थापना 1906 में हुई थी.यह थाना 31756 वर्ग फीट में फैला हुआ है. जब भी शहर में कोई भी दुर्घटना या घटना होती है तो सबसे ज्यादा पुलिस फोर्स इसी थाने से भेजा जाती है. थाने में ही संरक्षित की गई है तीनों तिजोरियां यह थाना इतना सुरक्षित माना जाता था कि यहां पर दूसरे विभाग अपना कीमती सामान थाने परिसर में बने लोहे के बेहद खास संदूक जिसे तिजोरी कहा जाता है, में रखकर जाते थे. कई सालों तक भारतीय रेलवे और पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी इसमें अपने कीमती डॉक्यूमेंट ,डाक टिकट, स्टांप रखते थे. उस समय पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर लोगों को इस तरह यकीन था कि वह अपने घरों का जेवर कीमती सामान प्रॉपर्टी के कागज थाने में बने लॉकर में रख कर जाते थे .जिसकी सुरक्षा पुलिस के जिम में रहती थी. यह तीन संदूक आज भी पुरातात्विक के रूप में थाने में मौजूद हैं. आने वाली पीढ़ियों के लिए है अब यह धरोहर एसीपी लोहामंडी मयंक तिवारी ने बताया कि थाने का जीणोद्धार किया गया है. लेकिन इन तीनों तिजोरियों को उनके इस वास्तविक रूप में रखा गया है. ताकि इनका वहीं पुराना मूल स्वरूप जिंदा रहे. अब यह तिजोरिया पुरातात्विक धरोहर के रूप में है. नई पीढ़ी के बच्चे इससे यह जान सकेंगे कि उस समय पुलिस का काम कितना कठिन रहता था और लोग पुलिस व्यवस्था पर कितना यकीन रखते थे. Tags: History of India, Local18FIRST PUBLISHED : July 11, 2024, 15:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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