बाढ़ के जाने के बाद भी चुनौतियों से भरा है असम का जीवन मानव तस्करी का मंडरा रहा खतरा

Life after Assam flood: असम में आई बाढ़ से भीषण त्रासदी के बाद लोगों का जीवन कई तरह की चुनौतियों में फंसा हुआ है. बाढ़ तो चली गई लेकिन इसमें सबसे ज्यादा बच्चों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. उनकी किताबें और अन्य पाठ्य सामग्री नष्ट हो गई है. मानव तस्वकरी का भी खतरा मंडरा रहा है और स्वच्छता के कई मोर्चे पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

बाढ़ के जाने के बाद भी चुनौतियों से भरा है असम का जीवन मानव तस्करी का मंडरा रहा खतरा
हाइलाइट्सअसम में बाढ़ के कारण 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं असम के 36 जिलों में से 32 जिले बाढ़ से प्रभावित बाढ़ में ज्यादातर बच्चों की किताबें बह गईं गुवाहाटी. असम में बाढ़ का पानी घटना शुरू हो गया है और प्रभावित लोगों का जीवन पटरी पर लौट रहा है लेकिन खासतौर से इससे प्रभावित करीब 20 लाख बच्चों के लिए हालात अब भी चुनौतीपूर्ण हैं. बाढ़ के कारण स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, किताबें और अन्य पाठ्य सामग्री भी नष्ट हो गयी है, मानव तस्करी का खतरा मंडरा रहा है और इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा के दौरान परिवार के सदस्यों की मौत का सदमा भी खत्म नहीं हुआ है. इस साल बाढ़ में 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और यह पूर्वोत्तर राज्य में अब तक की सबसे खराब बाढ़ है, जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इनमें से 70 बच्चे थे. बच्चे सबसे अधिक खतरे में होजई जिले में पश्चिम हातीमोरा गांव की 12 वर्षीय मोइना बिस्वास को हर साल राहत शिविरों में रहना पड़ता है लेकिन यह वर्ष उसके लिए बहुत दुखद रहा क्योंकि उसकी तीन साल की बहन इस बाढ़ में बह गयी. पांचवीं कक्षा की छात्रा ने कहा, हम हर साल बाढ़ में घर का सामान खो देते हैं लेकिन मैं अपनी बहन की मौत से उबर नहीं पा रही हूं. हम पूरी तरह टूट गए हैं और मैं पढ़ाई भी नहीं कर सकती क्योंकि मैंने बाढ़ में अपनी सभी किताबें गंवा दी हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नवजात से लेकर किशोरों तक सभी उम्र के बच्चे सबसे अधिक खतरे में होते हैं. इस दौरान बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा चिंता के प्रमुख क्षेत्र हैं. उन नोट्स का क्या होगा जो मैंने बाढ़ जाने से पहले बनाए थे? बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित बरपेटा जिले में रुपईकुची गांव के 14 वर्षीय समसुर रहमान ने कहा कि उसने अपने माता-पिता के साथ एक राहत शिविर में शरण ली थी. हालांकि, वे घर लौट गए हैं लेकिन उसने स्कूल जाना शुरू नहीं किया है क्योंकि उसकी ज्यादातर किताबें खो गयी हैं और पिछले दो महीने से बेरोजगार उसके माता-पिता उसकी जरूरतें पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं. उसने कहा, राज्य सरकार ने हमें किताबें खरीदने के लिए पैसे दिए हैं लेकिन उन नोट्स का क्या होगा जो मैंने बाढ़ जाने से पहले बनाए थे? बाढ़ में न केवल हमारा सामान बह गया बल्कि समय भी व्यर्थ हो गया. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने राहत शिविरों में शरण लेने वाले 1,01,537 छात्रों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपये जमा कराए हैं जबकि शिक्षा विभाग प्रभावित छात्रों को 15 अगस्त तक अतिरिक्त निशुल्क पाठ्य पुस्तकें देने की योजना बना रहा है. सैनिटरी नैपकिन का सही से निस्तारण न होना चुनौती सामाजिक कार्यकर्ता अर्चा बोरठाकुर ने कहा कि आपदाओं के दौरान निजी स्वच्छता बनाए रखना चिंता का विषय है, खासतौर से किशोरियों की महावारी के दौरान स्वच्छता बनाए रखना क्योंकि सभी के लिए एक शौचालय होने और सैनिटरी नैपकिन का सही से निस्तारण न होना एक चुनौती है. वहीं, असम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बाढ़ के बाद की परिस्थिति में जल जनित बीमारियों को रोकने के लिए कई एहतियातन कदम उठाए हैं. एनएचएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियमित स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं, कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है और गर्भवती महिलाओं, नवजातों तथा बच्चों की विशेष देखभाल की जा रही है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Assam, Assam news, Flood, Landslide, RainFIRST PUBLISHED : July 31, 2022, 21:42 IST