अतीश त्रिवेदी/लखीमपुर: भारतीय घरों में मटर का खूब इस्तेमाल होता है. सब्जी हो या चावल, मटर का जायका हर किसी को पसंद आता है. किसानों को भी मटर बहुत पसंद हैं. खासतौर पर इस बरसात के दौरान. क्योंकि मटर किसानों को तगड़ा मुनाफा देते हैं. उनकी अधिक मांग भी होती है. इस फसल की एक और खास बात यह कि मटर बहुत जल्दी तैयार हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि आप कैसे मटर की खेती से मुनाफा पा सकते हैं.
मटर की खेती
संतोष कुमार विश्वकर्मा ने जानकारी को बताया कि अगेती किस्मों में आर्किल, जवाहर मटर-3, आजाद 3 की अगेती प्रमुख मटर की फसले हैं. ये किस्में 60 से 65 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इनकी बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक करनी चाहिए. मध्य और देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में करें.
किसानों की फेवरेट है मटर की फसल
भारत में सर्दियों के दिनों में शायद ही कोई ऐसी सब्जी बनती है, जो मटर के साथ न बनती हो. मटर एक दलहनी फसल है और भारत में बड़े पैमाने पर मटर का उत्पादन होता है, जबकि इसकी खपत भी काफी होती है. अब तो हरी मटर के दाने फ्रीज कर भी बेचे जाते हैं. इसके मार्केट का दायरा भी तेजी से बढ़ा है. वहीं, सूखे मटर का उपयोग तो काफी पहले से होता आ ही रहा है. यही वजह है कि मटर की खेती फायदे के सौदे वाली खेती में गिनी जाती है और किसान अच्छे मुनाफे के लिए इसकी खेती करना बहुत पसंद करते है.
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जानें बीज दर और उपचार
शीघ्र पकने वाली किस्मों के लिए बीज दर 100 से 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है. जबकि मध्य और देर से पकने वाली किस्मों के लिए यह 80 से 90 किलोग्राम बीज को पहले फफूंदनाशक कार्बेण्डाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज दर से उपचारित करना चाहिए, उसके बाद राइजोबियम कल्चर से 10 ग्राम प्रति किलो बीज दर से उपचारित करें.
साफ है कि मटर की फसल अभी लगाने से आपको सर्दियों तक मुनाफा मिलता रहेगा. क्योंकि पूरी सर्दी मटर का सेवन अलग-अलग सब्जियों के साथ बनाकर किया जाता है.
Tags: Agriculture, Lakhimpur Kheri, Local18FIRST PUBLISHED : September 21, 2024, 10:50 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed