मोदी के शपथ में यूं ही नहीं 3800 KM दूर के खास मेहमान को न्योता पूरी कहानी
मोदी के शपथ में यूं ही नहीं 3800 KM दूर के खास मेहमान को न्योता पूरी कहानी
नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में एक मेहमान 3800 किमी दूर से शामिल होने आया है. भारत ने यूं ही इनवाइट नहीं किया. बल्कि उसके जरिये चीन पर नकेल कसने की तैयारी है...
नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. शपथ ग्रहण समारोह में तमाम विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को इनवाइट किया गया है. ज्यादातर भारत के पड़ोसी देश हैं, पर एक देश ऐसा भी है जो न तो सीधे भारत का पड़ोसी और न ही दुनिया में इसका कोई खास रुतबा है. यह भारत से 3800 किलोमीटर दूर है. इसकी कुल आबादी सवा लाख से भी कम है. भौगोलिक तौर पर भारत के तमाम शहरों से भी छोटा है. यह देश है पूर्वी अफ्रीका का सेशेल्स.
मोदी के शपथ समारोह में से सेशेल्स के वाइस प्रेसिडेंट अहमद (Ahmed Afif) भी शामिल हो रहे हैं. भारत ने यूं ही सेशेल्स को न्योता नहीं भेजा. बल्कि इसके पीछे सोची-समझी रणनीति है.
सेशेल्स से क्या चाहता है भारत?
भारत लंबे समय से सेशेल्स के असम्पशन आइलैंड पर एक नौसेना बेस (Naval Base) की परियोजना पर काम कर रहा है. साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सेशेल्स गए. सेशेल्स के साथ ‘असम्पशन एग्रीमेंट’ साइन हुआ. शुरुआत में असम्पशन आइलैंड पर भारत को एक लॉजिस्टिक फैसिलिटी डेवलप करना था. जहां जहाज ईंधन भरा सकते और उनकी मरम्मत हो सकती.
बाद में इस फैसिलिटी का विस्तार होना था. हालांकि सेशेल्स ने न तो कभी इस एग्रीमेंट की पुष्टि की और न ही इससे इनकार किया. साल 2018 में दोनों देशों के बीच नए सिरे से एग्रीमेंट हुआ. हालांकि इस बार भी एग्रीमेंट के बारे में कुछ खास जानकारी सामने नहीं आई.
विदेशी मीडिया ने क्या छापा?
कई विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में भारत और सेशेल्स के एग्रीमेंट की डिटेल छपी. दावा किया गया कि नए एग्रीमेंट में भारत को असम्पशन आइलैंड 20 साल की लीज पर मिलना था. भारत को यहां एक हवाई पट्टी और नौसैनिक बेस बनाना था. जून 2018 में सेशेल्स के राष्ट्रपति डेविड फॉर, दिल्ली आए. PM मोदी से मुलाकात के बाद उन्होंने 2018 वाले एग्रीमेंट को मंजूरी दे दी. इस मुलाकात के बाद एक ज्वाइंट स्टेटमेंट भी जारी हुआ.
जिसमें PM मोदी ने कहा था कि भारत, सेशेल्स के हितों का ध्यान रखते हुए वहां नौसैनिक अड्डा विकसित करेगा. वहीं, सेशेल्स के राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों पक्ष ‘असम्प्शन परियोजना’ पर काम करना जारी रखेंगे. इसी मुलाकात में भारत ने सेशेल्स को भारतीय रक्षा उपकरण खरीदने के लिए 100 मिलियन डॉलर की एलओसी की पेशकश की. साथ ही वहां नए पुलिस मुख्यालय, अटॉर्नी जनरल ऑफिस और तमाम प्रोजेक्ट के लिए भारतीय विशेषज्ञों को भेजने पर की भी सहमति जताई.
क्यों बार-बार पटरी से उतरता रहा प्रोजेक्ट?
हालांकि 2015 वाले एग्रीमेंट की तरह ही 2018 के एग्रीमेंट (Assumption Island Project) पर भी दोनों देश, जून 2019 तक खास आगे नहीं बढ़ पाए. जून 2019 में भारत ने जनरल दलबीर सिंह को सेशेल्स में अंबेस्डर नियुक्त किया. उनके अप्वाइंटमेंट के बाद मिलिट्री कोऑपरेशन में तेजी और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम बढ़ा. इसी बीच कोरोना महामारी आ गई और एक बार फिर असम्पशन प्रोजेक्ट पटरी से उतर गया. हालांकि भारत ने कोरोना में भी असम्पशन प्रोजेक्ट को प्रियॉरिटी पर रखा. सेशेल्स पहला देश था, जिसे भारत ने कोविड वैक्सीन दी थी.
कहां है असम्पशन आइलैंड?
असम्पशन द्वीप महज 7 किलोमीटर लंबा है. यह सेशेल्स की राजधानी विक्टोरिया से दक्षिण-पश्चिम की ओर 1,135 किमी. की दूरी पर स्थित है. 11.6 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले इस कोरल द्वीप पर सिर्फ 300 के आसपास लोग रहते हैं. इस आइलैंड पर एक पुरानी हवाई पट्टी और एक छोटा डाकघर भी है. असम्पशन द्वीप के करीब ही यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट ‘एल्डब्रा एटोल’ (Aldabra atoll) भी मौजूद है, जिसे ‘कोरल द्वीप’ के नाम से भी जानते हैं.
क्यों भारत के लिए महत्वपूर्ण?
असम्पशन आइलैंड भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण है. पहला- अगर इस आईलैंड पर भारत अपना नौसेना बेस बना लेता है तो दक्षिण हिंद महासागर के इलाके में जहाज और कंटेनरों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित कर सकेगा. दूसरा- असम्पशन आइलैंड, मोजांबिक चैनल के बहुत करीब है और दुनिया का अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार इसी क्षेत्र से होता है. यहां भारत का नवल बेस होने से, मोजांबिक चैनल की निगरानी हो सकेगी. खासकर समुद्री डकैतों के खतरे से निपटा जा सकेगा. तीसरा- असम्पशन आइलैंड खाड़ी देशों के लिए एनर्जी रूट यानी ऊर्जा मार्ग का काम करता है. ज्यादातर तेल, गैस की सप्लाई इसी रूट से होती है. इसलिए भी इस पर कंट्रोल जरूरी है.
चीन पर नकेल की तैयारी में भारत
सबसे महत्वपूर्ण प्वाइंट यह है कि असम्पशन आइलैंड पर भारत का नौसैनिक बेस होने से चीन की नाक में नकेल डली रहेगी. भारत, हिंद महासागर के इलाके में चीन के दबदबे को काबू कर सकेगा और उसके सुरक्षा घेरे को आसानी से काउंटर कर सकेगा.
Tags: India china, Modi cabinet, Narendra modi, New Modi CabinetFIRST PUBLISHED : June 9, 2024, 18:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed