इन महिलाओं ने आज भी जारी रखी है ये परंपराजानिए क्या है बांस से बने कुलो

West Bengal news: पश्चिम मेदिनीपुर के बेलिया गाँव में महिलाएं बांस से बने कुलो और टोकरियां बनाकर थोड़ी आमदनी की उम्मीद में परंपरा को जीवित रख रही हैं. मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर इनकी बिक्री होने की उम्मीद है.

इन महिलाओं ने आज भी जारी रखी है ये परंपराजानिए क्या है बांस से बने कुलो
पश्चिम मेदिनीपुर के ग्रामीण इलाकों में लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में कई बदलाव आ रहे हैं. एक समय था जब बांस से बने विभिन्न उत्पादों की मांग बहुत अधिक थी, लेकिन अब यह मांग काफी कम हो गई है. इससे बांस से बने उत्पादों का उत्पादन भी गिर गया है. पहले, बांस के उत्पादों का इस्तेमाल प्राकृतिक रूप से होता था, लेकिन अब लोग इनसे ज्यादा प्लास्टिक जैसे अन्य विकल्पों को प्राथमिकता देने लगे हैं. कुलो बनाने की परंपरा मकर संक्रांति के त्योहार के करीब आते ही घर की महिलाएं थोड़ी आय की उम्मीद में कुलो बनाने का काम कर रही हैं. इन महिलाओं का मानना है कि मकर मेले और पौष संक्रांति जैसे अवसरों पर इन उत्पादों की थोड़ी बहुत बिक्री हो सकती है. ये महिलाएं बांस से छोटी-बड़ी टोकरियां और कुलो बना रही हैं, जो पहले बांस की लकड़ी से बनते थे, अब उनकी संरचना में बदलाव आया है. बांस को अलग-अलग तरीकों से काटकर ये महिलाएं इन उत्पादों को तैयार कर रही हैं. बांस से बने कुलो की पुरानी अहमियत बांस से बने कुलो का इस्तेमाल पहले कई प्रकार के कार्यों में किया जाता था, जैसे कि खेती के काम में और धान की कटाई के दौरान. ये कुलो बहुत उपयोगी होते थे, लेकिन अब प्लास्टिक और अन्य सामग्रियों के बढ़ते प्रभाव ने बांस से बने इन उत्पादों की मांग को घटा दिया है. फिर भी, पश्चिम मेदिनीपुर के सुदूर बेलिया गाँव की महिलाएं अब भी इस परंपरा को जीवित रखने की कोशिश कर रही हैं. बेलिया गाँव की उम्मीद बेलिया गाँव में कई परिवार अभी भी अपने पूर्वजों के पेशे को जीवित रखे हुए हैं. यहां की महिलाएं घर के कामकाज से फुर्सत के पलों में कुलो और टोकरियां बना रही हैं. एक बांस से 4-5 कुलो तैयार किए जाते हैं, जो मुख्य रूप से काली पूजा और पौष संक्रांति के दौरान बेचे जाते हैं. हालांकि, इनकी मांग आजकल कम हो गई है, फिर भी ये महिलाएं उम्मीद करती हैं कि इन उत्पादों से उन्हें थोड़ी आमदनी हो सकेगी. कुछ परिवार आज भी इस पेशे से जुड़े हुए हैं और इस परंपरा को बनाए रखे हुए हैं. Tags: Local18, Special Project, West bengalFIRST PUBLISHED : January 4, 2025, 17:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed