उंगलियों में पट्टीओवैसी का हाथसंजय सिंह का साथ लगा ही नहीं JPCबैठक से आ रहे
उंगलियों में पट्टीओवैसी का हाथसंजय सिंह का साथ लगा ही नहीं JPCबैठक से आ रहे
जेपीसी की बैठक के बाद निकल रहे तीनों नेताओं ओसदुद्दी न ओवैसी, कल्याण बनर्जी और संजय सिंह को देख कर नहीं लग रहा था कि वे किसी संसदीय समिति की बैठक से निकल रहे हो. ऐसा लगा कि ये तीनों नेता किसी हाट बाजार से हंगामे, हाथा-पाईं के बाद निकले हों. कल्याण बनर्जी पर बोतल फेंकने का आरोप है. उन्हें एक दिन के लिए कमेटी से निलंबित कर दिया गया.
उंगलियों में पट्टी दूसरे हाथ में ओवैसी का हाथ और संजय सिंह का साथ. जेपीसी की बैठक से निकले कल्याण बैनर्जी. अजीब सा मंजर दिखा. लगा ये नेता संसद से नहीं किसी हाट-बाजार से निकले हों. किसी ऐसी जगह से आएं हो जहां जुबानी बहस की जगह कुछ और ही होता हो. हालांकि देश की तमाम विधान सभाओं समेत संसद के सदन सदस्यों की उग्रता के गवाह बन चुके हैं. लेकिन जेपीसी की बैठक में इस तरह बोतल फेंकने और मार-पीट जैसे हालत कभी पहले हुए हों, सुना नहीं गया है.
ये जेपीसी वफ्फ कानूनों में संशोधन के विधेयक पर विचार करने के लिए बनाई गई है. इसमें तय होना है कि संसद में जिस मामले पर एका नहीं कायम हो पा रही है, उसे सभी दलों के कुछ थोड़े से सांसद मिल कर बातचीत के जरिए हल कर लें. किसने किसे उकसाया और किसने पहले उग्रता की, ये तो बाद में तय होगा. लेकिन इस समिति में जो भी सांसद शामिल थे उनके लिए ये सब शर्मिंदगी से कमतर नहीं होना चाहिए. फिलहाल सांसद कल्याण बनर्जी पर पानी की बोतल फेंकने का आरोप है. वे ही घायल भी दिख रहे हैं. उन्हें एक दिन के लिए कमेटी से निलंबित भी कर दिया गया है. हंगामे के बाद कॉफी पीते टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी.
बैठक से बाहर निकलते तीनों सांसदों अदसदुल्ला ओवैसी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और टीएमसी के कल्याण बनर्जी ऐसे चल रहे थे उन्हें गंभीर चोटें आई हों. हो भी सकता है. तीनों कम से कम नौजवान नहीं हैं. इस वजह से भी हाथा-पाईं की किसी घटना के बाद तीनों का हक्का-बक्का दिखना कोई हैरान करने वाली बात नहीं है.
कल्याण बनर्जी वही सांसद हैं जिन्होंने लोकसभा में एक चर्चा के दौरान कित…कित…कित की ऐसी ध्वनि पैदा की थी जो लोगों को लंबे समय तक याद रहेगी. कल्याण बनर्जी पेशे से वकील हैं. लिहाजा उन्हें पता है कि संसद में क्या बोलना चाहिए, क्या नहीं. हालांकि कितकितकित…. की ध्वनि किशोरों के खेल में बोले जाने वाले उत्साह बढ़ाने और विरोधी को हतोत्साहित करने वाली आवाज है. अब संसद में इस आवाज की उन्होंने क्या उपयोगिता समझी ये तो वही जाने. लेकिन न तो उस दिन की उनकी आवाज को जायज ठहराया जा सकता है न ही आज की घटना को.
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देश की विधायिकाओं में सम्मानित जनप्रतिनिधि होते हैं. उनमें से कुछ विचारवान सदस्यों को पार्टियों की ओर से चुन कर संयुक्त संसदीय कमेटियों में शामिल किया जाता है. यानी कहा जा सकता है कि समझदारों में भी जो विचारवान है ये उनकी समिति होती है. लेकिन मंगलवार की घटना के बाद भी ये माना जाएगा इसमें संदेह है.
बैठक से बाहर निकलते हुए इन नेताओं के मनोभाव देख कर कम से कम जिन्होंने संसद की पहले की कार्यवाही या समितियों की दूसरी बैठकें देखी होगी उनके चेहरे पर भी निराशा और हताशा की लकीरें जरुर उभर आई होंगी.
Tags: AAP leader Sanjay Singh, Asduddin Owaisi, TMC Leader, Waqf BoardFIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 15:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed