करेला भी लगेगा मीठा! सिर्फ 3 महीने में आपको बना देगा लखपति

फर्रुखाबाद की जलवायु के लिए पांच तरह के करेले की खेती हो सकती है. बता दें कि करेले की फसल लगाने का साल में दो उत्तम समय है- फरवरी से मार्च से और जून से जुलाई.

करेला भी लगेगा मीठा! सिर्फ 3 महीने में आपको बना देगा लखपति
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: अगर आप भी इस समय तगड़ी नकदी आमदनी वाली फसलों की खेती करने को सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए खास है. दरअसल इस समय करेले की खेती से किसानों को लाखों की आमदनी हो सकती है. वहीं इस फसल को लगाने के बाद लगातार 3 महीना तक जमकर पैदावार होती है. ऐसे समय पर फर्रुखाबाद की जलवायु के लिए पांच तरह के करेले की खेती हो सकती है. बता दें कि करेले की फसल लगाने का साल में दो उत्तम समय है. फरवरी से मार्च और फिर जून से जुलाई. फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ बरगदिया घाट निवासी डब्लू बाथम बताते हैं कि वह पिछले 25 वर्षों से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. इस समय पर वह अपने खेतों में करेले की फसल का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने इस फसल की बुवाई मार्च महीने में की थी. लेकिन अब करेले की फसल मई में लगातार बंपर उत्पादन दे रही है. वहीं वह बताते हैं कि इसकी फसल को तैयार करने में आमतौर पर तीस हजार रुपए की लागत आती है. लेकिन जब यह बिक्री होती है तो हाथों-हाथ जमकर बिकते हैं साथ ही दाम भी अच्छे मिल जाते हैं. ऐसे समय पर अगर बाजार में इसकी तगड़ी डिमांड और अच्छे रेट पर बिकता रहे तो यह दो से ढाई लाख रुपये तक की प्रति बीघा कमाई कर देता है. करेले की खेती का तरीका किसान डब्लू बाथम बताते हैं कि इसकी फसल करने के लिए सबसे पहले जमीन की रोटावेटर या कल्टीवेटर से अच्छी तरीके से जुताई करके खरपतवार हटाई जाती है. इसके बाद आप इस फसल को बरसात के मौसम में भी कर सकते हैं. इस समय आप खराब गोबर को जैविक खाद की तरह प्रयोग कर सकते हैं. वही उन्नत सील करेले के बीजों को बोना फायदेमंद होता है. इस फसल को हम मचान विधि और खुले मैदान में जमीन पर भी फैलाकर ले सकते हैं. वही ये वैरायटी मुख्य रूप से कल्याणपुर बारहमासी, काशी हरित, सफेद काशी उर्वशी, सोलन पूसा 2 जैसी किस्म लाभकारी है. रोगों की समय से ऐसे करें पहचान करेले की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इसमें बैक्टीरिया लगने की वजह से इसके पौधे की बेल और पत्तियों पर सफेद गोलाकार जाला जैसा दिखाई देने लगता है. इसके बाद वह कत्थई रंग का भी हो जाता है. इस रोग में समानता इसकी पत्तियां पीली होकर सूखने लगते हैं. ऐसे समय पर किसान इस रोग से बचाव करने के लिए देसी तरीके से 5 लीटर खट्टा छाछ और 2 लीटर गोमूत्र के साथ ही 40 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें. जिससे 3 सप्ताह तक करेले की बेल सुरक्षित रहती है. वहीं समय से नमी के अनुसार हर तीसरे दिन सिंचाई भी कर सकते है. Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 12:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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