दोस्तों ने IIT कानपुर के एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर तैयार किया ये खास एप

आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने पुणे के रहने वाले शोभित और उनके दोस्त के साथ मिलकर एक ऐसा ऐप तैयार किया है जिसकी मदद से इस रोग की पहचान करने और उसके रखरखाव में काफी मदद मिल सकेगी.

दोस्तों ने IIT कानपुर के एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर तैयार किया ये खास एप
कानपुर: देश-दुनिया में लगातार अब न्यूरो से जुड़ी बीमारियों में इजाफा देखने को मिल रहा है. डिमेंशिया के भी बड़ी संख्या में मरीज सामने आ रहे हैं. जिस प्रकार से हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटिक जैसी बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं उसी प्रकार से देखते-देखते डिमेंशिया भी एक बड़ी बीमारी बन गई है. बड़ी संख्या लोग इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं. डॉक्टरों की मानें तो अगर इसका समय पर इलाज ना हो तो लोगों की जान भी जा सकती है. लेकिन अगर इसका प्रॉपर इलाज समय से किया जाए तो इससे मुक्ति भी पाई जा सकती है. आईआईटी कानपुर मेडिकल क्षेत्र में लगातार नए-नए शोध कर रहा है और तकनीक विकसित कर रहा है. इसी क्रम में आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने पुणे के रहने वाले शोभित और उनके दोस्त के साथ मिलकर एक ऐसा ऐप तैयार किया है जिसकी मदद से इस रोग की पहचान करने और उसके रखरखाव में काफी मदद मिल सकेगी. ऐसे आया आइडिया पुणे के रहने वाले शोभित दास ने बताया कि उनके पिता डिमेंशिया से पीड़ित थे जिसके चलते उनके मन में विचार आया कि क्यों ना कोई ऐसा मोबाइल ऐप विकसित किया जाए जिससे इस बीमारी के रखरखाव और इलाज में मदद मिल सके. इसके बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों से मुलाकात की और इस ऐप को तैयार करने की ठानी, जिसके बाद 2022 में यह ऐप तैयार किया गया, जिसे मनस्तिक नाम दिया गया है. इस ऐप की मदद से एक क्लिक पर डिमेंशिया से जुड़े मरीजों को इलाज मिल सकेगा. इतना ही नहीं, इस ऐप में लोगों को देश और दुनिया के नामचीन डिमेंशिया के डॉक्टरों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी. दो दोस्तों ने मिलकर तैयार किया ऐप इस ऐप को मनस्तिक टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया. जिसमें शोभित दास और उनके दोस्त पुष्कर राज को फाउंडर है. दोनों ने मिलकर यह ऐप तैयार किया है. इस ऐप का क्लिनिकल ट्रायल जारी है. इस ऐप को तैयार करने वाले पुष्कर राज ने बताया कि देश में 5 से 6 मिलियन लोग औसतन हर साल इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं और दुनिया में यह आंकड़ा इसका 10 गुना है. वहीं अगर समय पर मरीजों को इसका इलाज मिल जाए तो इस बीमारी को काबू में किया जा सकता है. वहीं शोभिक दास ने बताया कि डिमेंशिया एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. यह बीमारी खास तौर से दिमाग यानी मस्तिष्क को प्रभावित करती है इसमें सर की नसे सिकुड़ने लगते हैं. जिस वजह से इंसान के प्रभाव में बदलाव आ जाता है. समय से अगर इसका इलाज मिल सके तो इंसान की जान बचाई जा सकती है. Tags: Health, Local18FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 14:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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