सावधान! बच्चों में हो रही है यह खतरनाक बीमारी यहां मिले 150 केस जानें लक्षण
सावधान! बच्चों में हो रही है यह खतरनाक बीमारी यहां मिले 150 केस जानें लक्षण
इस बीमारी में बच्चे जन्म से ही कम इम्यूनिटी वाले होते हैं. जिससे उनके बॉडी में प्रतिरोधक क्षमता नहीं पनप पाती और तरह-2 के बैक्टीरिया बच्चे के कुछ आर्गेन को डेमेज कर देते हैं.
सुमित राजपूत/नोएडा: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गौतमबुद्ध नगर के पीजीआई में करीब 150 बच्चों में एक दुर्लभ बीमारी प्राइमरी इम्यून डेफिशिएंसी के केस सामने आए हैं. जिसकी जानकारी पीजीआई में तैनात डॉक्टर नीता राधाकृष्ण ने दी है. उन्होंने बताया कि अगर आपके बच्चे में भी ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें.
इस बीमारी में बच्चे जन्म से ही कम इम्यूनिटी वाले होते हैं. जिससे उनके बॉडी में प्रतिरोधक क्षमता नहीं पनप पाती और तरह-2 के बैक्टीरिया बच्चे के कुछ आर्गेन को डेमेज कर देते हैं. अगर उन्हें समय पर इलाज न मिले तो उनकी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है. आपको बता दें कि इस बीमारी का इलाज पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ नोएडा (चाइल्ड पीजीआई) अपने मरीजों को दे रहा है.
दुर्लभ बीमारी के ये हैं लक्षण
आपको बता दें कि नोएडा सेक्टर 31 स्थित पीजीआई में अब तक करीब 150 बच्चों में यह बीमारी जांच में पाई गई है. डॉ. नीता राधाकृष्ण ने लोकल.18 से बात करते हुए बताया कि अगर समय पर नवजात में खराब प्रतिरोधक क्षमता के लक्षण वाली इस बीमारी को पता नहीं किया जाए, तो प्रभावित बच्चों की जान भी जा सकती है. इसलिए किसी बच्चे को लगातार खांसी, जुकाम, सर्दी, बुखार या लगातार वजन घटना, इन्फेक्शन के साथ अन्य कोई समस्या आ रही है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. डॉक्टर ने बताया कि प्राइमरी इम्यून डेफिशिएंसी के अंदर अलग अलग प्रकार के करीब चार सौ बैक्टीरिया पाए जाते हैं. जिसमें दो मुख्यता बड़े घातक होते हैं और ये बीमारी जैनेटिक होती है.
हजारों में से एक बच्चे को होती ये बीमारी
चाइल्ड पीजीआई में हेमेटोलॉजी आंकोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. नीता राधाकृष्णन ने बताया कि यह दुर्लभ बीमारी है और हजारों बच्चों में से एक बच्चे में मिलती है. सही समय पर अगर बीमारी का पता नहीं चले, तो बच्चे की मौत भी हो सकती है. यह बीमारी जितनी दुर्लभ है. इसकी पहचान करना और भी मुश्किल है. चाइल्ड पीजीआई में हम बीमारी की समय पर जांच करने के अलावा जरूरी इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर बोन मेरो ट्रांसप्लांट भी बच्चों का किया जाता है. इसकी क्षमता को भी अभी संस्थान में बढ़ाकर एक बेड से नौ बेड किया गया है. इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एक इंस्टिट्यूट में कराए गए अध्यन में पाया कि जिन बच्चों को पोलियो पिलाया जाता है और उनकी लैट्रिन में पोलियो डिडेक्ट होता है. उसमे पता चलता है कि बच्चे की इम्यूनिटी कम है.
Tags: Health News, Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : May 3, 2024, 10:23 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed